धर्म पर कोरोना वायरस का क्या ‘असर’

punjabkesari.in Wednesday, Apr 08, 2020 - 02:17 AM (IST)

धर्म पर कोरोना वायरस का क्या असर है? जर्मनी के फिलास्फर तथा अर्थशास्त्री कार्ल माक्र्स ने कहा था कि धर्म लोगों की अफीम है। इसको मानने वालों के लिए धर्म मानसिकता तथा भावपूर्ण के साथ-साथ नैतिक समर्थन उपलब्ध करवाता है। मगर नोवल कोरोना वायरस एक महामारी है जिसने धर्म को मानने वालों तथा नास्तिकों दोनों को ही अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इस वायरस का कोई भी धर्म नहीं। हालांकि धार्मिक नेता अपने लाखों अनुयायियों पर नैतिक जिम्मेदारी रखते हैं। सभी धार्मिक नेता कोरोना वायरस महामारी संकट पर अंकुश लगाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। मक्का से लेकर वेटिकन तक लोगों के लिए प्रवेश बंद कर दिया गया है। 

पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक पादरियों से आग्रह किया है कि वे इतना साहस दिखाएं कि बीमार लोगों तक पहुंचा जा सके मगर सभी को सावधानी बरतनी होगी। एक कोरोना वायरस केस के क्षेत्र में पुष्टि हो जाने के बाद बैथलेहम में चर्च ऑफ नेटीविटी को बंद कर दिया गया है। जापान, इसराईल, दक्षिण कोरिया तथा ईरान जैसे देशों ने अपने धार्मिक संस्थानों को बंद कर दिया है। एक अभूतपूर्व फैसले में सऊदी अरब ने अस्थायी तौर पर उमरा के लिए आने वाले यात्रियों की यात्रा को निलंबित कर दिया है। रियाद ने भी मक्का में विशाल मस्जिद तथा मदीना में हजरत मोहम्मद की दरगाह को बंद कर दिया है। 

भारत जोकि विभिन्न धर्मों को मानने वाला है, यहां के आध्यात्मिक नेता तथा गुरु अपवाद नहीं रहे। यही कारण है कि 2 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के धार्मिक नेताओं से बात की तथा उन्हें अपने अनुयायियों को सरकारी दिशा-निर्देशों की पालना करने का आग्रह किया ताकि महामारी पर अंकुश लगाया जा सके। मुख्यमंत्रियों को भी प्रधानमंत्री ने सभी धर्मों के धार्मिक नेताओं के साथ बैठकें आयोजित करने को कहा ताकि सरकारी दिशा-निर्देशों की पालना करने में कोई कोताही न बरती जाए। मोदी की अपील ऐसे समय में लोगों को जागृत करने के लिए आई जब निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक इकके ने सरकारी दिशा-निर्देशों की अवहेलना की और यह स्थान महामारी के फैलने का एक हॉटस्पॉट बन कर रह गया। मरकज निजामुद्दीन से करीब 2100 लोगों को हटाया गया। 1100 से ज्यादा लोगों को शहर के विभिन्न हिस्सों में क्वारंटाइन किया गया। कुछ धार्मिक नेताओं के लिए अपनी संस्थाओं के द्वार बंद करने का निर्णय लेना मुश्किल लगा मगर वे महामारी के घातक होने के बाद समझ गए तथा सकारात्मक तरीके से अपील का समर्थन किया। 

ईस्टर तथा रमजान जैसे पवित्र दिन भी आने वाले हैं 
ईस्टर तथा रमजान जैसे पवित्र दिन भी आने वाले हैं और ऐसे समय में लोगों को बड़ी संख्या में एकत्रित होने से रोका जाना चाहिए। लोगों का मानना है कि महामारी के दिनों में उन्हें आध्यात्मिक होना ज्यादा जरूरी होगा। एक अभूतपूर्व फैसले के तहत भारत में अनेकों मंदिरों को श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए बंद कर दिया गया। इसमें सिद्धि विनायक मंदिर, कामाख्या मंदिर, तिरुपति बाला जी, जगन्नाथ पुरी मंदिर तथा अन्य शामिल हैं। यहां तक कि बनारस के घाटों पर गंगा आरती बंद कर दी गई है तथा काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह में पूजा-अर्चना पर रोक लगी हुई है। अपने मतभेदों को अलग रखते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अपील पर ध्यान देते हुए केरल के धार्मिक नेता जिसमें काॢडनल्स, बिशप्स, मुस्लिम धार्मिक नेता तथा हिन्दू समुदाय के नेता शामिल हैं, ने एक संयुक्त वक्तव्य के माध्यम से लोगों को महामारी से निपटने के लिए एकजुट होने को कहा। 

अयोध्या में रामनवमी उत्सव को भी नहीं मनाया गया
पटना में विभिन्न धर्मों के सैंकड़ों लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर सर्वधर्म प्रार्थना में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने अपने-अपने धार्मिक परिधान पहन रखे थे तथा अपने ढंग से उन्होंने प्रार्थनाएं कीं। अयोध्या में रामनवमी उत्सव को भी नहीं मनाया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां की राजनीतिक महत्ता और भी बढ़ गई है। आध्यात्मिक गुरु तथा अन्य धार्मिक नेताओं जोकि राजनीतिक समर्थन पर निर्भर रहते हैं, ने भी इस मुश्किल घड़ी में साहस दिखाया है। अमृत आनंदमयी, जग्गी वासुदेव तथा श्री श्री रविशंकर जैसे आध्यात्मिक नेताओं ने अपने-अपने आश्रमों को बंद कर दिया है तथा लोगों को महामारी के खत्म होने तक आपस में दूरी बना कर रखने को कहा क्योंकि वायरस की कोई जाति, बिरादरी, धर्म नहीं होता। आए हम सब मिलकर इस वायरस को खत्म करें। ऐसे समय में धार्मिक गुरु लोगों को योग तथा प्राणायाम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे लोग अमीर तथा गरीबों के गुरु हैं। उनके देश तथा विदेशों में अच्छी तादाद में अनुयायी हैं। उनके अनुयायियों में राजनेता, फिल्म स्टार, खिलाड़ी तथा नौकरशाह शामिल हैं। 

योग गुरु बाबा रामदेव एक सफल उद्यमी हैं और एक विशाल कारोबारी साम्राज्य चलाते हैं। भारत में धार्मिक नेताओं की भूमिका बेहद अहम है। महामारी पर अंकुश लगाने के रास्ते अभी लम्बे तय करने होंगे। यह एक स्वागती कदम है कि सभी हाथ से हाथ मिलाकर वायरस के खिलाफ लड़ें क्योंकि भारत एक अनेकों गुरुओं तथा देवपुरुषों की धरती है।-कल्याणी शंकर
 


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