भारत में इस रोग का ‘भविष्य’ क्या है

punjabkesari.in Thursday, Apr 09, 2020 - 02:42 AM (IST)

कोविड-19 जिसे आमतौर पर कोरोना वायरस कहा जाने लगा है, ने एक महामारी का रूप धारण कर लिया है। आज तक इस महामारी से विश्व में लगभग 83,600 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और लगभग 14.55 लाख से अधिक लोग इस रोग से पीड़ित हैं। चीन के वुहान प्रांत से शुरू इस रोग ने अभी तक दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में अपने पैर पसार लिए हैं। 

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश कहलाने वाले अमरीका जैसे देश ने इस महामारी के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं। आज तक इस समृद्ध देश में भी लगभग दस हजार मौतें हो चुकी हैं। न्यूयार्क जैसे शहर में मौतों का आंकड़ा प्रतिदिन 600 के आसपास हो चुका है। अमरीका जैसा विकसित देश भी इस रोग के उपचार के लिए जरूरी सामान जैसे वैंटिलेटर, पी.पी.ई. किट, मास्क आदि हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन जैसी दवाइयां उपलब्ध करने के लिए दर-दर भटक रहा है। 

कितना हास्यास्पद है कि जिस देश के पास विश्व युद्ध जीतने की क्षमता है उसे आज की तारीख में अपनी जनता के लिए जीवन रक्षक उपकरण और दवाइयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस परिदृश्य में भारत की स्थिति इस समय क्या है और भारत में इस रोग का भविष्य क्या है। सभी भारतवासी इसे जानने के लिए उत्सुक हैं। अभी तक हमारी सरकार द्वारा इस महामारी को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम काफी कारगर सिद्ध हुए हैं। 23 मार्च को लिया गया सर्वव्यापी लॉकडाऊन का निर्णय रामबाण सिद्ध हुआ परन्तु दुर्भाग्यवश दिल्ली की मरकज में तब्लीगी जमात के इकट्ठे हुए लोगों ने इस अभियान को गहरा धक्का लगाया है। 

मरकज में इकट्ठा हुए लोगों ने न केवल एक-दूसरे को संक्रमित किया अपितु समस्त देश में इस रोग को फैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। कन्याकुमारी व अंडेमान से लेकर कश्मीर तक इन लोगों के फैल जाने से स्थिति काफी हद तक चिंताजनक बन चुकी है और सभी प्रदेश सरकारों पर भारी दबाव है। यही नहीं देश में इस रोग से पीड़ित रोगियों तथा मौतों की संख्या में भी भारी वृद्धि इसी कारण हुई है। इन लोगों के उग्र व्यवहार से मैडीकल तथा कानून बनाए रखने वाली एजैंसियों का उत्साह भंग करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। आज हर देशवासी यह जानना चाहता है कि भविष्य में क्या होगा? क्योंकि इस रोग का न तो कोई इलाज है और न ही कोई वैक्सीन है। चारों तरफ अनिश्चितता का वातावरण है। 

आगे क्या होगा इसकी भविष्यवाणी करना असंभव है परन्तु यदि इस महामारी को वर्तमान परिपेक्ष्य में देखा जाए तो हमारे देश में यह रोग दिन-प्रतिदिन अपने पैर पसार रहा है। यद्यपि यह गति विश्व भर में दूसरे देशों से बहुत कम है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वर्तमान लॉकडाऊन जोकि इस मास की 15 तारीख तक समाप्त होना है, को इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए कम से कम तीन सप्ताह तक बढ़ाना पड़ सकता है और तब भी लॉकडाऊन को धीरे-धीरे समाप्त करना होगा। 

इस अवधि के बाद उन राज्यों में जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, यू.पी. जहां इन रोगियों की संख्या बहुत अधिक है, वहां लॉकडाऊन आगे बढ़ाने की आवश्यकता होगी। हम सब देशवासियों को अभी भी पूरी सावधानी से काम लेना होगा, जरा-सी लापरवाही भारी पड़ सकती है और यदि यह बीमारी समुदाय में फैल जाती है तो हमें भयंकर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मुझे पूर्ण आशा है कि भारत सरकार के प्रयत्नों तथा जनता के सम्पूर्ण सहयोग से हम इस भयंकर महामारी पर विजय पाकर रहेंगे। हम होंगे कामयाब। (चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरैक्टर टैगोर अस्पताल, जालंधर)-डा. विजय महाजन, एम.डी.


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