कैप्टन जो पौने 5 साल में न कर सके, क्या चन्नी 100 दिन में कर पाएंगे

punjabkesari.in Thursday, Sep 23, 2021 - 04:16 AM (IST)

कांग्रेस पार्टी संबंधित अस्थिर, कमजोर तथा राजनीतिक तौर पर दिशाहीन गैर-लोकतांत्रिक एक परिवार के 3 सदस्यों तक सीमित हाईकमान ने आखिर एक साजिशकारी शह-मात की रणनीति से पंजाब के शक्तिशाली मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को सत्ता से बाहर निकाल फैंका, जिन्होंने पंजाब तथा पंजाबियों को बढिय़ा, जवाबदेह, विकासशील, पारदर्शी, रोजगारपरक सरकार देने की बजाय कमजोर हाईकमान को दबाव में रखने के लिए केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार तथा पंजाब में ताकतवर शिरोमणि अकाली दल पर काबिज सुखबीर सिंह बादल परिवार से गैर-संवैधानिक तथा संवैधानिक भाईचारा कायम रखा। 

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बड़ी बेबाकी के साथ कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने उनको बेइज्जत करके सत्ता से बाहर किया है। दरअसल इस बार वह ऐसे व्यवहार के हकदार थे। वह साढ़े 4 साल के शासनकाल में साढ़े 4 दिन भी राज्य के लोगों का हालचाल जानने, कोविड-19 की मार से बचाने, प्रवासी गरीब मजदूरों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाने, पंजाबियों के साथ 2017 की गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर ली गई शपथ अनुसार चुनाव घोषणा पत्र में दर्ज वायदों की पूर्ति के लिए सिसवां फार्म से मित्रों तथा अन्य महफिल सहयोगियों के साथ मौज-मस्ती को दरकिनार करके बाहर नहीं निकले। 

बेअदबी, नशा तस्करी, रेत-बजरी, लैंड, सैंड ट्रांसपोर्ट, केबल माफिया, बेरोजगारी, छठा पे-कमिशन, किसान ऋण माफी, शगुन, आटा-दाल-चीनी कानून व्यवस्था में बिगड़ाव, किसान आंदोलन, बुढ़ापा पैंशन आदि मसले हल न होने के कारण कैबिनेट की बजाय 24-25 निजी सहायकों द्वारा प्रमुख सचिव सुरेश कुमार के माध्यम से सिसवां फार्म से गैर-जवाबदेह सरकार चलाने के कारण न केवल कांग्रेस के 80 विधायक बल्कि पंजाब के लोग भी निराश तथा नाराज हो गए। बेरोजगार, नशे के मारे, किसान आंदोलन के माध्यम से जागरूक लोगों ने कांग्रेस तथा अन्य पाॢटयों के विधायकों को गांवों-शहरों में घुसने से रोक दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव सिर पर आने के कारण एक लम्बी आंतरिक जद्दोजहद के बाद पहले कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को पी.पी.सी.सी. अध्यक्ष और फिर 19 सितम्बर को एक गोपनीय राजनीतिक कार्रवाई के माध्यम से चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित करने में सफल रही। 

दरअसल पंजाब तथा देशभर में जारी किसान आंदोलन से ध्यान हटाने के लिए सर्वाधिक प्रभावित भाजपा ने घोषणा की थी कि यदि राज्य में उसकी सरकार बनी तो मुख्यमंत्री दलित होगा। दलितों की राज्य में 31 प्रतिशत आबादी है। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट घोषणा की कि उनकी पार्टी किसी सिख चेहरे को पंजाब के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगी। शिरोमणि अकाली दल के सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल ने किसी दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी। इसी दौरान कांग्रेस में आपसी लड़ाई के चलते सांसद शमशेर सिंह दूलो ने चुनौती दी कि यदि कांग्रेस को दलितों से इतना प्रेम है तो अब तक पंजाब का दलित मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया। 

19 सितम्बर को कांग्रेस की तीन सदस्यीय पारिवारिक हाईकमान ने अंतत: अन्य राजनीतिक दलों की घोषणाओं को सबसे पहले अमलीजामा पहनाते हुए एक ऐतिहासिक फैसले के अंतर्गत दलित-सिख चेहरे के दोहरे प्रभाव के मद्देनजर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का 16वां मुख्यमंत्री नियुक्त करने का निर्णय लिया।चरणजीत सिंह चन्नी, जो प्रभावशाली रामदासिया सिख बिरादरी से संबंध रखते हैं, ने अपना राजनीतिक जीवन खरड़ म्युनिसिपल कमेटी के प्रधान के तौर पर 2002 से शुरू किया। 2007 में वह आजाद उम्मीदवार के तौर पर चमकौर साहिब से विधायक बने। कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह 2012 और फिर 2017 में विधायक बने। 

इसके बाद कैप्टन मंत्रिमंडल में तकनीकी शिक्षा एवं उद्योगमंत्री बने। हालांकि वह कैप्टन की तरह धड़ल्लेदार नेता नहीं रहे। खैर, एक बहुकरोड़ी प्रश्र यह है कि क्या वह एक गतिशील, जवाबदेह, पारदर्शी सरकार गठित कर सकेंगे या पुरानी शराब नई बोतलों में परोसेंगे?  जो चुनावी घोषणापत्र, 18 अनुपाती हाईकमान से संबंधित कार्यक्रम कैप्टन सरकार पौने 5 वर्ष में लागू न कर सकी वह 100 दिनों में कैसे पूरे करेंगे? क्या कैप्टन की तरह ‘नो फार्मर्स-नो फूड’ का बैज लगाकर किसान आंदोलन के पीछे चट्टान की तरह डटेंगे? 

क्या वह कैबिनेट तथा कांग्रेसी विधायकों सहित प्रधानमंत्री के आवास के सामने तीन काले कानून रद्द करने के लिए धरना देंगे? क्या पंजाब की सर्वदलीय बैठक में किसानों की हिमायत जुटाएंगे? क्या कैप्टन, उसके परिवार, 24-25 विशेष सहायकों के घोटालों तथा साधु सिंह धर्मसोत के सैंकड़ों करोड़ी वजीफे घोटाले की समयबद्ध जांच के लिए हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व में जांच कमीशन बिठाने की जुर्रत दिखाएंगे? क्या सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे कच्चे मुलाजिमों, बेरोजगारों, सरकारी मुलाजिमों का छठा पे-कमीशन, घर-घर नौकरी, बेघरों को घर, विभिन्न विभागों की खाली असामियों, चंडीगढ़ राजधानी, बेअदबी, नशाबंदी, भ्रष्टाचार, उद्योगों आदि के मसले हल हो सकेंगे? क्या खाली खजाना की रट वाले खजाना मंत्री से पंजाब को निजात मिलेगी? 300 यूनिट मुफ्त बिजली, आटा-दाल के साथ पत्ती तथा चीनी का प्रबंध करेंगे? दावों की लम्बी सूची। क्या नौकरशाहों को नुकेल डालेंगे? वास्तव में कुछ भी नहीं होना। विधानसभा चुनाव 2022 जीतने पर लगेगा प्रश्रचिन्ह। 

दरअसल देश को एक ताकतवर विपक्ष तथा गतिशील नेतृत्व की जरूरत है। जब तक 23 महारथी कांग्रेसियों के पत्र अनुसार कांग्रेस पार्टी को बढिय़ा नेतृत्व नहीं मिलता ऐसा संभव नहीं। कांग्रेस को ऐसी निकम्मी, एकाधिकार वाली तथा दिशाहीन मानसिकता वाले परिवारवादी नेतृत्व को बदलने तथा आंतरिक लोकतंत्र की जरूरत है। सुबाई लीडरशिप अपने आप सुधर जाएगी।-दरबारा सिंह काहलों


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