हमें ‘गुंडागर्दी’ नहीं परिपक्व राजनीति चाहिए

punjabkesari.in Tuesday, Feb 04, 2020 - 01:48 AM (IST)

दिल्ली विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं। दिल्ली वासियों के लिए सभी प्रकार के मनोरंजक साधन मौजूद हैं। हमारे देश में राजनीति तथा राजनेताओं का स्तर गिर रहा है। आज की राजनीति में यह एक नई बात है। फिल्म स्टार्स, खिलाड़ी, गायक तथा ड्रामेबाज सभी इस राजनीति में शामिल किए गए हैं। मगर ये सब बातें हॉलीवुड में नहीं। हम देख सकते हैं कि आधा बॉलीवुड  राजनीति को लेकर बंटा हुआ है। कुछ जोर-शोर से राजनीति पर बोल रहे हैं और कुछ लोग अपने विचार प्रस्तुत करने से डरते हैं। 

हिन्दुत्व कार्ड तथा विकास को लेकर बंटे हुए हैं हिन्दू
आज के समय में आम आदमी पार्टी सबसे आगे है क्योंकि वास्तविक मतदाता केजरीवाल के कार्यों चाहे वे स्कूल हों, स्ट्रीट लाइट्स हों, सी.सी.टी.वी. कैमरा हों, स्वास्थ्य सेवाएं, नि:शुल्क जल, बिजली इत्यादि हों, से प्रभावित हैं। कट्टरवादी हिन्दू जोकि जनसंख्या का 70 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं, हिन्दुत्व कार्ड तथा विकास को लेकर बंटे हुए हैं। इसके बाद हमारे पास तीसरी मुख्य पार्टी कांग्रेस है। मैंने अभी तक एक भी कांग्रेसी कार्यकत्र्ता को सड़क पर नहीं देखा। जमीनी स्तर पर कोई कार्यकत्र्ता कार्य नहीं कर रहा। न तो कोई कमेटी दिखती है, जो दिखता है वह सभी कागजों में है। सच कहूं तो मैंने ऐसा कोई भी उम्मीदवार नहीं देखा जो इन चुनावों के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा हो। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वे जान गए हों कि वे हारने वाले हैं । व्यक्तिगत तौर पर एक कांग्रेसी उम्मीदवार शायद जीत सकता है। दूसरी ओर भाजपा दिन और रात कार्य कर रही है। कांग्रेस पहले के वर्षों के जैसे  निद्रा में है।  मात्र 10 लोग ही समाचारों में दिखाई देते हैं जो बैठकें कर रहे हैं, कमेटियों का गठन कर रहे हैं। उससे परे मैंने कुछ भी नहीं देखा। जमीनी स्तर पर कोई मेहनत नहीं की जा रही। 

इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव मेरे लिए उस स्तर के नहीं। मैं राजनीतिज्ञ परिवार से संबंध रखती हूं। मैंने बहुत से चुनाव देखे हैं। मेरे कई पाॢटयों में अच्छे दोस्त हैं जो मुझे निजी तौर पर जानते हैं। वे सभी रसूख वाले, शिक्षित तथा अच्छे शिष्टाचार वाले हैं। मेरे लिए मुश्किल है कि मैं अपनी संस्कृति तथा निष्पक्ष चुनावों के लिए रक्षात्मक न हो पाऊं। मैं एक स्वस्थ सीधी-सादी राजनीति में पली-बढ़ी। बेशक यहां पर प्रतिस्पर्धा होती थी और चुनावों में काफी कुछ गलत भी किया जाता था। मगर मैंने ऐसी अभद्र भाषा तथा प्रदर्शन अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे। और तो और अब तो युवा छात्रों पर फायरिंग भी हो रही है। 

प्रदर्शनकारी राजनीतिक चालबाजों की तरह दिखते हैं
हमें गुंडागर्दी नहीं परिपक्व राजनीति की जरूरत है। मेरे पिता के समय चुनावों के दौरान कामों के मुद्दे पर मैंने कई उच्च कोटि की बहस देखीं। मगर कभी भी निजी हमले नहीं देखे और न ही साम्प्रदायिक हमला देखा है। उम्मीदवार चाहे वे किसी भी धर्म से संबंधित हों, सभी के सभी परिपक्व थे। सभी पार्टियों को वोट बैंक के लिए धर्म के इस्तेमाल को लेकर दोषी ठहराया जा सकता है। प्रदर्शनकारी राजनीतिक चालबाजों  की तरह दिखते हैं। मगर उनकी सोच में यह नहीं होता कि किसी मुद्दे को प्रमाणित करने के लिए एक वास्तविक प्रदर्शनकारी क्या करता है। कोई भी व्यक्ति बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, स्वास्थ्य देखभाल तथा देशभर में सुरक्षा के मुद्दे को लेकर नहीं बोल रहा। जिस तरह हम चुनावों में लड़ रहे हैं उससे विश्व भर में हमारी छवि खराब होती दिखाई दे रही है। एक दिन अमरीका से एक एन.आर.आई. आया, उसने मुझसे कहा, ‘‘देवी, क्या आप सोच सकती हैं यदि कुछ देश कुछ भारतीयों को अपने देश से निकाल फैंकें तब वे लोग कहां जाएंगे, भारत में आकर वे लोग क्या काम करेंगे? वे बेरोजगार हो जाएंगे तथा आपकी अर्थव्यवस्था पर एक बोझ साबित होंगे।’’ मैंने सरकार पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। 

हिमाचल प्रदेश गंदी राजनीति से अछूता है
मैं अपने रोजमर्रा के खर्चे, अपने परिवार की जांच के लिए चिंतित हूं। मैं टैलीविजन पर बहसबाजी देखती हूं और मैं अपने पोते-पोतियों को भी इन्हें देखने के लिए अपनी अनुमति देती हूं। मैं एक छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश से संबंध रखती हूं जो देश भर में व्याप्त गंदी राजनीति से अछूता है। चुनावों के दौरान हम लोग अपने कार्य, राजनीति तथा आॢथक मुद्दों को लेकर लड़ते हैं। हम कभी भी निजी मुद्दों, धर्म तथा वोट पाने की चालबाजियों का इस्तेमाल नहीं करते। मैंने शायद ही कोई प्रदर्शन या फिर हड़ताल देखी होगी। हां, कुछ यूनियनें वहां पर जरूर हैं। हमारे प्रदेश के राजनेता बहुत ही  साधारण लोग हैं। फिर वे चाहे हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री हों या फिर पूर्व के मुख्यमंत्री। 

मेरा प्रदेश कभी भी नहीं  बदले
हिमाचली होने के नाते मेरे लिए सम्मान की बात है कि जे.पी. नड्डा हमारे राष्ट्रीय भाजपाध्यक्ष हैं। वह बिलासपुर से संबंधित हैं और देश की सबसे बड़ी सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष बने हैं। उन्हें तथा उनके परिवार को सभी जानते हैं और केवल हिमाचल में ही नहीं सभी राजनीतिक गलियारे के लोग उनकी सख्त मेहनत  तथा भद्र पुरुष जैसे व्यवहार के लिए  उन्हें जानते हैं। यह ऐसी राजनीति है जहां से मैं संबंध रखती हूं। ये ऐसे लोग हैं जिनके साथ मैं उम्र के साथ बढ़ी हूं। भगवान से मेरी यही कामना है कि मेरा प्रदेश कभी भी नहीं  बदले। मैं कभी भी अपने हिमाचल में ऐसा चुनाव लड़ते हुए नहीं देखना चाहती जैसा कि आज देश की राजधानी में लड़ा जा रहा है। इसी कारण मेरे बच्चों ने भी हिमाचल में शिक्षा ग्रहण की और अगर अपने पोते-पोतियों को शिक्षा देने की बात करूं तो मैं अपने राज्य में लौटना चाहूंगी। हिमाचल में कोई भी पार्टी सत्ता ग्रहण करे, मैं अपने राज्य के राजनेताओं में पूरा विश्वास रखती हूं कि वे कभी भी वोट पाने के लिए सस्ती चालबाजियां नहीं करेंगे। 

यदि दिल्ली चुनावों की बात करूं तो मैं अपने देश की सशक्त लोकतांत्रिक प्रणाली की उम्मीद करती हूं कि कांग्रेस को इकट्ठे चल कर कार्य करना चाहिए। उसको पता होना चाहिए कि उसके पास प्रत्येक राज्य में एक सच्चा कार्यकत्र्ता मौजूद है। कांग्रेस को अपने कार्यकत्र्ताओं में विश्वास जागृत करना चाहिए ताकि वे अपने राज्य में पार्टी के लिए जिम्मेदारी से काम करें। यह बड़ी अचम्भे वाली बात है कि आम आदमी पार्टी ने पिछले 5 वर्षों के दौरान मतदाताओं का दिल जीता है।  भाजपा दिल्ली वासियों का विश्वास जीतने में लगी है और मुझे यकीन है कि वह अपनी छाप छोड़ेगी। मगर यह सब 11 फरवरी को पता चलेगा कि देश की राजधानी पर कौन शासन करेगा।-देवी चेरियन 
 


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