कुछ ‘सवालों का जवाब’ हमें जानना ही होगा

punjabkesari.in Monday, Aug 24, 2020 - 01:46 AM (IST)

सी.बी.आई. ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले की जांच को लेकर 5 टीमें बनाई हैं। मुझे नहीं पता कि आखिर क्यों सी.बी.आई. इस मामले की जांच कर रही है। न ही मुझे यह समझ आ रही है कि इस मामले में लोगों की ज्यादा रुचि क्यों है? मुझे बताया गया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि बिहार में चुनावों के साथ कुछ राजनीतिक कारण जोड़े गए हैं। यदि ऐसा कुछ है तब मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा आखिर क्यों हो रहा है? 

भारत में बिहार सबसे पुराना राजनीतिक सत्ता का केंद्र रहा है। ऐसा चंद्रगुप्त मौर्य तथा चाणक्य के समय से है। क्या ऐसे मामले पर वोट देने के लिए बिहारी इतने मूर्ख हैं? शायद हैं। मुझे यह जानकर निराशा होगी कि यही मामला है। विश्व में बिहार सबसे गरीब हिस्सों में से एक है। बिहार 2 पार्टियों द्वारा शासित हुआ है जहां दशकों से ऐसा प्रचलन रहा है। क्या लोग बॉलीवुड इवैंट पर आधारित वोट करेंगे? यदि ऐसा हुआ तो यह अद्भुत होगा। 2 अन्य कारण भी नजर आते हैं जोकि इस कहानी को आगे बढ़ाने का कारण बनते हैं। पहला यह कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बेटे पर निशाना साधा गया है। दूसरा यह है कि बॉलीवुड के मुस्लिम अभिनेताओं से बातें जुड़ी हुई हैं। यह मुझे और भी ज्यादा सही लगता है। 

यह सरकार मुस्लिम विरोधी है और उन पर हमला बोलने के लिए वह कोई भी झूठ बोल सकती है जिसमें यह भी शामिल है मगर मतदाताओं की रुचि के सवाल पर लौटते हुए मेरे दोस्त शेखर गुप्ता ने इस सप्ताह लिखा था कि प्रधानमंत्री मोदी 2024 में सत्ता में लौट आएंगे। जब तक कि वह अपने ऊपर कोई क्षति न थोप दें। गुप्ता का तर्क जहां तक मैं समझता हूं यह है कि मतदाता पर थोपी गई क्षति प्रासंगिक नहीं है क्योंकि मतदाता ऐसी चीजों जैसे अर्थव्यवस्था का धड़ाम होना, बेरोजगारी बढना, चीन द्वारा हमारी भूमि पर कब्जा करना तथा कोविड महामारी को नियंत्रित करने में सरकार का असफल होना, के बारे में ध्यान नहीं रखता। 

गुप्ता ने विस्तार में यह वर्णन नहीं किया कि वह इस नतीजे पर कैसे पहुंचे हैं। मगर उन्होंने यह कहा कि अच्छे ट्रैक रिकार्ड पर एक सर्वे बताता है कि मोदी प्रसिद्धि के शिखर पर थे। एक बार फिर मैं नहीं जानता कि ऐसा मामला हो सकता है मगर यह दिलचस्प होगा अगर ऐसा हुआ। हमारी जी.डी.पी. जनवरी 2018 से लेकर ढलान पर है जोकि लगातार 9 तिमाहियों के लिए है। यह मोदी के अपने आंकड़ों पर आधारित है। बेरोजगारी ऊंचे स्तर पर है जोकि एक बार फिर सरकार के अपने आंकड़ों के मुताबिक है। यह भी अस्पष्ट है कि मोदी ने जब कहा कि चीन की ओर से कोई घुसपैठ नहीं की गई। 

वर्तमान में हम चीन के साथ संघर्ष कर रहे हैं और उसे अपनी भूमि से वापस लौटने के लिए कह रहे हैं। हमारे जनरल आधा दर्जन बैठकें पहले से ही चीन के साथ कर चुके हैं। यदि चीन हमारे क्षेत्र पर नहीं बैठा हुआ तब उससे बातचीत करने का क्या कारण हो सकता है? कोविड महामारी के आंकड़े भी स्पष्ट हैं। केसों की गिनती के मामले में हम विश्व में तीसरे स्थान पर हैं। रोजाना केसों के मामले में हम नंबर एक हैं और शायद हम विश्व में सबसे ज्यादा संक्रमित लोगों के मामले में भी पहले स्थान पर आ जाएं। 

यह रिकार्ड उस सरकार का या फिर उस प्रधानमंत्री का नहीं है जो प्रसिद्ध है। किसी दूसरे राष्ट्र में यह राजनीतिक आपदा का संकेत हो सकता है। क्या हम फेसबुक या फिर ट्विटर को चलाने के जैसे वोट दे दें। क्या हमारी वोटिंग के माध्यम से की गई राजनीतिक क्रिया प्रदर्शन के आधार पर नहीं छवि के आधार पर हो? यकीनन यह उचित नहीं है। निश्चित तौर पर मेरे लिए तो यह उचित नहीं। कितने लोग साधारण तौर पर इस तरीके से सोचते हैं। 

मुझे मेरे जीवन में ऐसा कोई समय याद नहीं आता जब हमारे पास ऐसी बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, एक राष्ट्रीय आपदा तथा हमारे घर के भीतर पहुंच चुके दुश्मन जैसी बातें हों। ऐसे मामलों पर हम कम रुचि दिखाएं जबकि दूसरी तरफ बॉलीवुड तथा मंदिरों जैसे मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें। क्या हम वास्तव में ऐसे नागरिक, व्यक्ति या फिर मतदाता हैं? मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा नहीं है। मैं नहीं सोचता कि हमारी युवा पीढ़ी निश्चित तौर पर या फिर अगली पीढ़ी राष्ट्र की सुरक्षा, अपना स्वास्थ्य, अपना रोजगार तथा भविष्य के प्रति चिंतित नहीं होगी। क्या वे बॉलीवुड में ज्यादा दिलचस्पी दिखाएंगे? मेरे पास इन सवालों का जवाब नहीं मगर इन सवालों का जवाब हमें जानना होगा।-आकार पटेल


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