चीनी उईगर पर हो रहे जुल्मों को नस्लवाद करार दिया जाए
punjabkesari.in Saturday, May 29, 2021 - 04:08 AM (IST)
आधुनिक युग में 21वीं शताब्दी की विड बना देखिए! विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे अल्पसं यक लोगों का निरंतर शोषण तथा नस्लवाद इसके माथे पर एक कलंक का टीका है। 20वीं शताब्दी में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजीवादी हिटलर ने करीब 60 लाख यहूदियों का बर्बरतापूर्वक कत्लेआम किया। उसको विश्व इतिहास के पन्नों में ‘सर्वनाश’ के तौर पर दर्ज किया गया।
9 दिसंबर 1948 को एक स मेलन में एक नस्लवाद विरोधी प्रस्ताव पास किया गया। अगले दिन 10 दिस बर को यूनिवर्सल डैलीगेशन ऑफ हयूमन राइट्स का प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव को वर्ष 1946 में गठित यू.एन. मानवाधिकार आयोग को मजबूत करने के लिए पास किया गया जिसको वर्ष 2006 में मानवाधिकार कौंसिल में बदल दिया गया।
उल्लेखनीय है कि विश्व भर के देशों में मानवाधिकार संगठन तथा संवैधानिक तौर पर गठित मानवाधिकार आयोग होने के बावजूद अल्पसं यकों का शोषण तथा उनका कत्लेआम निरंतर जारी है। इसकी अति बर्बरतापूर्वक मिसाल चीन के भीतर 20 लाख के करीब उईगर मुस्लिम समुदाय है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्र प के कार्यकाल के अंतिम समय में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग प्रशासन के गैर मानवीय व्यवहार को उईगर अल्पसं यक समुदाय का शिनजियांग राज्य में नस्लवाद मान लिया गया है जिससे चीन बुरी तरह से तिलमिला गया।
हॉलैंड और कैनेडियन संसद में इस मुद्दे को लेकर आलोचनात्मक प्रस्ताव पास किए गए। पश्चिमी लोकतांत्रिक देश भी ऐसे दुव्र्यवहार की ङ्क्षनदा कर रहे हैं। यू.एन. तथा अन्य मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध संस्थाओं, लोकतांत्रिक देश तथा मानवीय अधिकारों के प्रतिनिधि इस नस्लवाद को लेकर बेहद ङ्क्षचतित हैं। चीन उईगर के चीनीकरण, उनकी धार्मिक आस्था, संस्कृति, भाषा तथा धार्मिक चिन्हों को खत्म करने के लिए अडिग है। पूरा प्रशासकीय तंत्र, चीनी क युनिस्ट पार्टी संगठन, सिविल तथा पुलिस प्रशासन एक योजनाबद्ध तरीके से इस कार्य को अंजाम दे रहा है।
वर्तमान तथा भयानक महामारी के दौर में उईगर महिलाएं, बच्चे तथा वृद्ध गैर-मानवीय मानसिक, शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। घरों से पकड़ कर समस्त पारिवारिक सदस्यों को लेबर तथा सिखलाई कैंपों में डाला जा रहा है।
बी.बी.सी. समाचार एजैंसी के अनुसार औरतों से दुष्कर्म, शारीरिक शोषण तथा उनका उत्पीडऩ बड़े योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसका मु य मंतव्य प्रत्येक उईगर को बर्बाद करना है। प्रत्येक उईगर घर में एक चीनी गुंडा किस्म का व्यक्ति भेजा जाता है जो घर के अंदर महिला सदस्यों के साथ गैर-कानूनी ढंग से उनका यौन शोषण करता है। उनके साथ लगातार दुष्कर्म किया जाता है। उन्हें शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक कष्ट दिया जाता है। उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया जाता है।
उईगर समुदाय के लोगों को जबरदस्ती लेबर तथा सिखलाई कैंपों में रखा जाता है। जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती है। एड्रियन जैन्ज रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की नसबंदी भी जबरन की जाती है। उन पर औलाद न पैदा किए जाने का दबाव भी डाला जाता है।
बच्चों को मां-बाप से अलग कर दिया जाता है ताकि वे अपनी भाषा, रीति-रिवाजों तथा संस्कृति से दूर हो जाएं। उन पर मुस्लिम धर्म तथा संस्कृति से दूर रहने के लिए दबाव डाला जाता है। धार्मिक चिन्हों को घर में रखने से मनाही की जाती है। यदि जांच के दौरान कोई चिन्ह घर में से बरामद हो जाता है तो परिवार पर आफत आ जाती है। मस्जिदों और इस्लामिक शैली के बने घरों को तोड़ दिया जाता है। उईगर मुसलमानों को चीनी शैली के घरों, लेबर कैंपों तथा टैंटों में बसेरा करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यदि उईगर मुसलमानों ने तालिबानों,अलकायदा या आतंकवादियों की तरह अपनी धार्मिक आजादी तथा अस्तित्व के लिए हथियार उठाए या आतंकवादी घटना को अंजाम देने की मुहिम जारी रखी तो उनका सिर बुरी तरह से कुचल दिया गया। अब चीन के दक्षिण में करीब 1000 वर्ष से रह रहे सान्या जजीरे में 10,000 के करीब उत्सुलज मुसलमानों पर चीनी प्रशासन का कहर टूटना शुरू हो गया है। उनके घरों और दुकानों पर लिखे ‘अल्लाह हू अकबर’ को स्टिकरों से ढांप दिया जाता है। हलाल मीट पर पाबंदी लगी हुई है। 18 वर्ष से छोटे बच्चों पर अरबी पढऩे पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
धार्मिक चिन्ह पहनने पर भी मनाही है। वर्तमान हालातों में उईगर तथा उत्सुलज मुस्लिम भाईचारे को चीन से आजादी हासिल हो सकती है यदि अरब, अन्य मुस्लिम देश तथा यू.एन. समस्त राष्ट्रीय भाईचारे से मिलकर चीनी शासकों पर दबाव बनाए।-दरबारा सिंह काहलों
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