महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

punjabkesari.in Saturday, Jul 17, 2021 - 06:28 AM (IST)

सारी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है। महिलाओं को हत्या, घरेलू हिंसा और दहेज से संबंधित अपराध, एसिड अटैक, बलात्कार व सामूहिक बलात्कार और यौन उत्पीडऩ सहित विभिन्न प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा में मनोवैज्ञानिक हिंसा भी शामिल है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा लैंगिक असमानता की ओर ले जाती है और सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों की समान भागीदारी के लिए एक बुनियादी बाधा के रूप में खड़ी होती है। 

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा दुनिया में होने वाले व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। यह घर में, सड़कों पर, स्कूलों में, कार्यस्थलों पर, खेतों में और शरणार्थी शिविरों में, शांति के समय के साथ-साथ संघर्षों और संकटकाल में भी होता है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की किसी भी समाज को भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है लेकिन यह व्यापक हिंसा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की रणनीतियों में अदृश्य रहती हैं। 

आर्थिक विकास वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा आर्थिक कल्याण और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जाता है। किसी देश के आॢथक विकास और विकास को प्रभावित करने वाले कुछ कारक हैं- मानव संसाधन, शिक्षा, श्रम गतिशीलता, पर्यटन। उपलब्ध मानव संसाधनों की गुणवत्ता और मात्रा किसी भी विकास को सीधे प्रभावित कर सकती है। अर्थव्यवस्था में  सभी मानव संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा क्योंकि अधिकांश महिलाएं पुरुष आबादी के समकक्ष उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि उन्हें कार्यस्थल पर उत्पीडऩ का सामना करना पड़ता है। 

मानव संसाधन की गुणवत्ता उसके कौशल, रचनात्मक क्षमताओं, प्रशिक्षण और शिक्षा पर निर्भर है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षित व्यक्ति नए विचार उत्पन्न कर सकता है जिससे वस्तुओं के उत्पादन के तरीकों में सुधार हो सकता है। चूंकि किसी अपराध की आशंका से कुछ सीखने की इच्छा खत्म हो जाती है, अधिकांश महिलाएं उचित शिक्षा और कौशल या प्रशिक्षण का लाभ नहीं उठा सकीं, जिसका उपयोग उत्पादकता और विकास के लिए किया जा सकता था। 

लोगों को अपेक्षाकृत अनुत्पादक स्थानों से अधिक उत्पादक विनिर्माण स्थानों की ओर जाने की आवश्यकता है। महिलाएं किसी दुर्घटना का सामना करने के डर से उन स्थानों की ओर नहीं जा सकतीं। एक आकर्षक वातावरण और पर्यावरण के साथ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए पर्यटन विदेशी आय का महत्वपूर्ण स्रोत और बुनियादी ढांचे और नए होटलों के विकास के लिए प्रोत्साहन हो सकता है। हम पाते हैं कि अगर कोई लड़की देश के विकास के लिए पढऩा या काम करना चाहती है तो भी उसके परिवार द्वारा उसे कई बार अनुमति नहीं दी जाती। महिलाओं के साथ लगभग हर दिन होने वाले अपराधों के अनगिनत उदाहरण हैं, जबकि उनके परिवार की चिंता पूरी तरह से अनदेखी भी नहीं की जा सकती। 

सड़क पर और सार्वजनिक परिवहन में उत्पीडऩ महिलाओं की आवाजाही की स्वतंत्रता, व्यवसाय की स्वतंत्रता और सार्वजनिक, राजनीतिक, आॢथक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने के समान अवसर को गंभीर रूप से कम कर देता है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के परिणामस्वरूप रोजगार और उत्पादकता का नुक्सान होता है। उत्पादकता का स्तर तभी उच्च होता है जब किसी देश की पूरी आबादी काम करती है। महिलाएं दुनिया की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हैं। वे देश का आधा हिस्सा बनाती हैं इसलिए किसी भी देश को पूरी तरह से शक्तिशाली बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। 

महिलाओं के खिलाफ हिंसा तब होती है, जब उचित दंड प्रक्रिया के कार्यान्वयन की कमी, निष्पादन की कार्रवाई में भ्रष्टाचार और कानून न्याय में देरी होती है। समस्या की गंभीरता के प्रति जागरूकता का अभाव, पुरुषों की सामान्य स्वीकृति, महिलाओं पर उनकी श्रेष्ठता की भावना और महिलाओं द्वारा स्वयं अपनी संस्कृति के कारण जवाबी कदम उठाने से इन्कार इन अपराधों को प्रोत्साहित करते हैं। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से श्रमिकों के मामले में समाज को एक बड़ा नुक्सान होता है जो मान्यता प्राप्त आर्थिक गतिविधियों में योगदान कर सकती हैं। यदि समाज महिलाओं के खिलाफ हिंसा को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देता है तो समान लागत विकासशील उद्देश्यों के लिए समॢपत की जा सकती है।-सलिल सरोज


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