पशु मुक्ति की लड़ाई में सबसे शक्तिशाली हथियार है ‘शाकाहार’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 03:35 AM (IST)

वेगन (शाकाहारी) उत्सव संभवत: इसलिए अच्छे हैं कि वे आपको मांस/दूध/अंडे का सेवन न करने वाले व्यक्ति में बदलने के लिए माहौल बनाते हैं लेकिन एेसे कार्यक्रम सामान बेचने के लिए हैं न कि अन्य जानवरों के अधिकारों और स्वतंत्रता की वकालत करने या राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता को प्रेरित करने के लिए। लोगों को कम उपभोग करने की सलाह देने की बजाय, वे लोगों को अधिक खरीदने के लिए बढ़ावा देते हैं और एेसा करके, यह संदेश देते हैं कि वेगनिज्म नैतिक आवश्यकता की बजाय एक व्यक्तिगत, उपभोक्ता पसंद है। 

‘वेगन की पहुंच’ और ‘पैसे की शक्ति’ को निॢववाद रूप से पशु मुक्ति की हमारी लड़ाई में सबसे शक्तिशाली हथियार ठहराया जाता है। लेकिन यह हठधर्मिता भोलेपन, विशेषाधिकार और एकल मुद्दा सुधारवाद का हानिकारक मिश्रण है। यह उपभोक्तावाद वेगन उत्पादों की बढ़ती मांग की सक्रिय रूप से वकालत करके पूंजीवाद को बढ़ावा देता है। यह सभी व्यक्तियों को वस्तु मानने तथा उनका शोषण करने वाली समान धारणा को बढ़ावा देता है। कितनी आसानी से पूंजीवाद ने कई देशों में वेगन उपभोक्ताआें की पसंद को समाहित कर लिया है -कहीं भी वेगन खरीदारी करना कितना आसान है, यहां तक कि उरुग्वे में भी। 

एक वेगन को वास्तव में अपने विशेषाधिकारों की दीवारों से परे देखने की जरूरत है। क्यों हमने दुनिया को सभी के लिए एक नरक में बदलने की इजाजत दी है और यह प्रजातिवाद क्यों है, मनुष्यों की श्रेष्ठता और अन्य सभी प्रजातियों को मारने और उनका उपयोग करने का अधिकार, जीने का सामान्य तरीका है। पश्चिमी विकास देशी समाजों से बेहतर क्यों है-जब स्पष्ट रूप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का प्रत्येक संकेतक अन्यथा इशारा करता है। 

हम एक पूंजीवादी कंपनी को यह तय करने की अनुमति क्यों देते हैं कि हम क्या और कैसे जीते हैं तथा हम क्या उपयोग करते हैं। जब ग्लोबल वाॄमग के संकेत हम सब के बारे में इशारा कर रहे हैं तो हम हर स्तर पर सरकारों को कुछ भी न करने की अनुमति क्यों देते हैं? हम सरकारों को कैंसर रोगियों की बजाय कीटनाशक कंपनियों की सुनने की अनुमति क्यों देते हैं? हम सरकारों को इस आधार पर ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति क्यों देते हैं कि एक वर्ष में 500 लोग उनसे मरते हैं जबकि सामान्य सिगरेट से प्रति सैकेंड 500 लोगों की मौत होती है? 

मांस खाना सामान्य क्यों है? 80 प्रतिशत वन क्यों समाप्त हो रहे हैं क्योंकि वहां वे जानवर रहते हैं जो मांस के लिए पाले जाते हैं? पेड़ काटने का विरोध करने वाले लोगों को विकास विरोधी क्यों माना जाता है जब विकास केवल एक होटल या कोई अन्य बेकार पूंजीवादी ढांचा हो? जानवरों को वस्तु क्यों माना जाता है जबकि वे स्पष्ट रूप से मनुष्यों के समान भावनाआें वाले होते हैं? इससे पहले कि इन मुद्दों पर बहुत देर हो जाए, वेगन लोगों को इसके लिए रास्ता निकालने हेतु विनम्र और परिवर्तनकारी बनना होगा। कंपनियों द्वारा वेगनिज्म को पृथक व्यक्ति की ‘नैतिक उपभोक्तावाद’ जीवनशैली विकल्प के रूप में लोगों को बेचा जाता है। इसलिए प्रस्तावित पशु मुक्ति को, हमें अपराध मुक्त महसूस करवाने वाले उत्पादों के एक विकल्प के रूप में बेचा जाता है जिससे हमें लगे कि हम ‘अपना काम कर रहे हैं’। लेकिन पशु उत्पादों को खाने से वेगन लोगों के इंकार के बावजूद जानवरों के वध में कमी नहीं आई है। नैतिक उत्पाद बेचने वाली कई कंपनियां सीधे तौर पर जानवरों के शोषण में शामिल हैं और इससे लाभ कमा रही हैं। 

पूंजीवाद के तहत नैतिक उपभोक्तावाद जैसी कोई चीज नहीं है। जैसा कि एनिमल लिब्रेशन कहता है, ‘‘मांस और डेयरी उद्योग के साथ पैट्रो रसायन, हथियार, फैशन, दवा और कृषि व्यवसाय के परस्पर जुड़े हुए अत्याचार’’ किसी भी तरह के ‘नैतिक उपभोग’ को एक भ्रम बनाते हैं। गैर-मानव पशु शोषण का उन्मूलन सभी जीवित चीजों के लिए स्वतंत्रता और स्वायत्तता लाने हेतु एक व्यापक संघर्ष का हिस्सा होना चाहिए। क्या वेगन पशुआें को नहीं मारते। औद्योगिक रूप से खेती की गई सब्जियों के हमारे उपभोग, प्लास्टिक के उपयोग, पैट्रोलियम रूपी ईंधन वाले परिवहन पर हमारी निर्भरता, कोयला, पन-विद्युत, सोलर पैनल और बैटरी निर्माण के लिए खनन आधारित विद्युत की खपत के कारण हम भी हजारों को मार देते हैं। और वे वेगन जो चांदी और सोने तथा मोती या किसी अन्य रत्न को पहनते हैं, वे भी लाखों को मारते हैं। जूते रबड़ के हो सकते हैं लेकिन वे गोंद से चिपकाए जाते हैं जो जानवरों की हड्डियों से बना होता है। 

इंसुलिन इंजैक्शन गाय/सूअर के पैंक्रियास से बनाया जाता है। मुद्दा यह है कि हम जो कुछ उपयोग करते हैं वह दुख का कारण बनता है तो वेगन होने का मतलब बहुत कम उपयोग करना है। उपभोक्तावाद इस ग्रह को मार रहा है। भोजन, कपड़े, जूते, बेकार टूथपिक और छाता, फेसपैक और लिपस्टिक। जरूरत इस पर रोक लगाने वाली एक पीढ़ी की है। क्या केवल मांस को रोकने और अपनी बाकी फिजूलखर्ची वाली जीवनशैली को जारी रखने से दुनिया बदल जाएगी? क्या बैंक आपके पैसे को किसी भी सुपर मार्कीट या मांस उद्योग से जुड़े किसी अन्य उद्योग में निवेश पर लगाते हैं? 

क्या आपकी बीमा एजैंसी बूचडख़ानों का भी बीमा करती है? क्या ये एेसे मुद्दे नहीं हैं जिन पर वेगन को गौर करना चाहिए? जो उत्पाद उपलब्ध नहीं होने चाहिएं, उन्हें हटाया जाना चाहिए, वे वैकल्पिक विकल्पों के रूप में नहीं मिलने चाहिएं। लेकिन एेसा होने के लिए, वेगनों को नीति के लिए समय देना पड़ेगा, एेसे उपभोक्ता विकल्पों को समाप्त करने का एकमात्र तरीका है कि उन्हेंं उपलब्ध नहीं होना चाहिए क्योंकि वे इस ग्रह के लिए हानिकारक हैं।-मेनका गांधी
 


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