यू.पी. : प्रशासन आम लोगों के प्रति संवेदनशील बने

punjabkesari.in Thursday, Jun 09, 2022 - 05:03 AM (IST)

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराध को पूरी तरह से समाप्त करने का अपना वचन बाखूबी निभाया है। इस मामले में योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को सीधे शब्दों में कहा है कि प्रदेश में कोई भी गुंडा, माफिया हो, उसके खिलाफ सख्ती से निपटा जाए और इस सब में आम आदमी को कोई परेशानी न हो। प्रदेश भर में निश्चित रूप से गुंडागर्दी में कमी आई है। बड़े-बड़े अपराधी या तो सलाखों के पीछे हैं या फिर भाग खड़े हुए हैं।

पुलिस प्रशासन की नकेल को काफी हद तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कसा है। लेकिन अभी भी पुलिस विभाग में खासतौर पर सुधार की गुंजाइश है। कहीं-कहीं पुलिस की कारगुजारी सवाल खड़े कर देती है। अभी पिछले दिनों जनपद बागपत में एक गांव में कथित तौर पर पुलिस द्वारा एक मामले में बार-बार दबिश देने और अभद्रता के कारण एक मां और उसकी 2 बेटियों ने पुलिस के सामने ही आत्महत्या कर ली। यह एक सनसनीखेज मामला था। हालांकि उच्च अधिकारियों ने दबिश में शामिल रहे सब-इंस्पैक्टर को निलंबित कर दिया, लेकिन यहां यह विचार योग्य प्रश्न उठता है कि यदि वह सब-इंस्पैक्टर पुलिसिया दादागिरी न करता और दबिश के समय अपने साथ महिला पुलिकर्मी भी ले जाता तो उन तीनों मां-बेटियों की शायद जान बच जाती। 

इसी तरह इसी जनपद में पुलिस द्वारा छेडख़ानी के आरोपी युवकों पर कार्रवाई न होने के चलते एक युवती अपनी जान दे देती है। इस प्रकार के मामले निश्चित रूप से पुलिस विभाग की छवि को दागदार कर जाते हैं। प्रशासन को यह बात अच्छी तरह समझने की जरूरत है। 

पिछले दिनों एक वीडियो कांफ्रैंस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को आदेश दिए कि प्रदेश भर में अवैध रूप से चल रहे डग्गामार वाहनों को बंद कराएं और उनके द्वारा सड़कों पर बनाए गए अवैध अड्डों को हटाया जाए, वे चाहे टैक्सी, बस या अन्य वाहनों द्वारा बनाए गए हों। उन्होंने इस कांफ्रैंस में स्पीड ब्रेकरों की ऊंचाई भी कम रखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि स्पीड ब्रेकरों की अधिक ऊंचाई से दुर्घटना का अंदेशा होता है। उनसे बचने को लोग दाएं-बाएं से वाहन निकालते हैं। बहुत अच्छी बात है कि शासन से आए दिशा-निर्देशों का प्रदेश में प्रशासन तुरन्त पालन कर रहा है, लेकिन हड़बड़ी में अर्थात समझने के फेर में कुछ गलत भी कर जाता है।

अवैध स्टैंड खत्म करने की बात थी तो मैंने स्वयं देखा कि कुछ समय के लिए छाया में अपनी ई-रिक्शा खड़ी करने वालों को भी पुलिस कर्मी लठियाते नजर आए, कि भागो, यहां कोई स्टैंड नहीं है। इसी तरह से बेहद जल्दबाजी में स्पीड ब्रेकरों को तोड़ा जाने लगा, चाहे वे बेहद जरूरी भी क्यों न हों? गरीब रिक्शा वालों को लठियाने या फिर स्कूल या अस्पताल के सामने बने स्पीड ब्रेकरों को तोडऩे से प्रशासन के साथ-साथ शासन की छवि को भी नुक्सान हो सकता है। 

प्रदेश में एक और मामला हुआ, उसमें भी प्रशासन की हड़बड़ी से प्रदेश सरकार की छवि को नुक्सान पहुंचा और प्रदेश स्तर पर सफाई भी देनी पड़ी। हुआ यूं कि कई जिलों में प्रशासन ने आदेश जारी कर दिए कि जो लोग सरकार द्वारा दिए जा रहे राशन के लिए पात्र नहीं, वे राशन कार्ड सरैंडर कर दें। उसके लिए बाकायदा तिथि दी गई कि यदि इस तिथि तक राशन कार्ड जमा नहीं किए तो उक्त लोगों से पूर्व में लिए गए राशन की भी भरपाई की जाएगी। लोगों ने धड़ाधड़ राशन कार्ड सरैंडर कर दिए। बाद में प्रदेश सरकार ने फजीहत होती देख कहा कि शासन की ओर से इस प्रकार के कोई आदेश नहीं है कि राशन कार्ड जमा न करवाने वालों से पहले के राशन का मूल्य वसूला जाए। समय-समय पर राशन कार्डों की जांच अवश्य होती है। वह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। 

खैर शासन और प्रशासन में आपसी समझ का होना बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि शासन की ओर से आए दिशा-निर्देशों को जल्दबाजी में उल्टा-सीधा लागू कर दिया जाए। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रशासन में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों की भाषाशैली को भी ठीक करना होगा। गुंडे माफियाओं के साथ वे कैसी भी भाषा का इस्तेमाल करें, किंतु आम आदमी के साथ संतुलित भाषा में ही पेश आना चाहिए, क्योंकि प्रदेश सरकार आम लोगों का डर खत्म करना चाहती है, उनमें डर पैदा नहीं करना चाहती। इसके लिए प्रशासन को आम लोगों के प्रति संवेदनशील बनना ही होगा।-वकील अहमद
 


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