सास-ससुर की सेवा के लिए अनूठी मुहिम

punjabkesari.in Sunday, Apr 10, 2022 - 06:05 AM (IST)

मध्य प्रदेश की एक ग्राम पंचायत पनवार चौहानन में ग्रामीणों ने एक अनूठी पहल की है। बता दें कि यहां सास-ससुर की निष्ठापूर्वक सेवा करने वाली बहू को ग्रामीण पुरस्कृत करते हैं। ग्राम सभा की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि ऐसी बहुओं को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने सास-ससुर की जी-जान से सेवा की है। इसके लिए एक निगरानी समिति बनाई गई है, जो छानबीन कर ऐसी बहुओं को चुनती है। 

बुजुर्ग समाज की विरासत होते हैं और अपनी विरासत की देखभाल करना हम सबका कत्र्तव्य है। कोरोना महामारी के दौरान बुजुर्गों की दूसरों पर आर्थिक निर्भरता बढ़ गई, जो उनके अपमान और तिरस्कार के सबसे बड़े कारण के रूप में सामने आया है। यही वजह है कि कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक कष्ट बुजुर्गों को झेलना पड़ा, वह चाहे सामाजिक हो या आर्थिक। ऐसे में देश की एक पंचायत द्वारा बुजुर्गों के लिए विशेष पहल करना सराहनीय है। गौरतलब है कि आज देश में ऐसे बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिन्हें अपने लोग ही सता रहे हैं। काफी संख्या में ऐसे बुजुर्ग हैं जो शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तरीके से शोषण का शिकार हो रहे हैं। 

हाल ही में हुए राष्ट्रीय सर्वे ‘लान्गीच्यूडनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया’ में ऐसे ही गंभीर मामलों का पता चला है। सर्वे के नतीजों में बताया गया कि देश में 60 और उससे अधिक आयु वर्ग के लगभग 5 प्रतिशत लोगों का पिछले एक साल में शारीरिक और भावनात्मक शोषण भरपूर हुआ है। उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया और यह समस्या बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सबसे अधिक देखी गई। 

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष के लॉकडाऊन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में 10 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। दरअसल, संक्रमण का डर, कमाई की चिंता और घर में सिमट गई जिंदगी ने अनगिनत लोगों के सामने एक ऐसी स्थिति रख दी थी, जो उनकी कल्पना में भी नहीं थी। ऐसे में हालात से उत्पन्न तनाव एक बड़ी चुनौती बन कर सामने आया। मगर दूसरी लहर के दौरान न तो लॉकडाऊन उतने सख्त या लंबी अवधि के लगे और न ही यह परिस्थिति अचानक पैदा हुई थी, इसके बावजूद बुजुर्गों के साथ हो रहा बर्ताव बताता है कि हमारे पारिवारिक मूल्य तेजी से दरक रहे हैं और उनको अब सहेजने की बड़ी जरूरत है। 

पिछली जनगणना के अनुसार, भारत में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक थी। यह आंकड़ा हमारी कुल आबादी का करीब 8.6 प्रतिशत था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2050 तक भारत में बुजुर्गों की कुल आबादी 31 करोड़ से अधिक हो जाने की उम्मीद है। 2050 तक हर 5वां भारतीय 60 साल से अधिक उम्र का होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 4 से 7 प्रतिशत बुजुर्ग तो हमेशा कुपोषित ही रहते हैं। सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण भी इशारा करता है कि अगले 2 दशकों में युवाओं की जनसंख्या के साथ-साथ बुजुर्गों की जनसंख्या भी कई गुणा बढ़ जाएगी, जिससे बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। 

‘द लान्गीच्यूडनल एजिंग स्टडीज इन इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 7.5 करोड़ बुजुर्ग या 60 साल से अधिक उम्र के हर 2 में 1 व्यक्ति किसी न किसी क्रोनिक बीमारी से पीड़ित है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 40 फीसदी बुजुर्ग किसी न किसी तरह की शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं, जबकि 20 फीसदी से अधिक मानसिक बीमारी से परेशान हैं। देश में लगभग 4.5 करोड़ बुजुर्गों में दिल की बीमारी और हाइपरटैंशन की समस्या है। वहीं लगभग 2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। 

ऐसे में कोरोना महामारी की वजह से बुजुर्गों पर पड़ी दोहरी मार से उबारने के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत होगी। विशेषज्ञों की मानें तो जिन देशों में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती है, वे संसाधनों की कमी के साथ बढ़ते खर्च को भी झेलते हैं। क्यूबा जैसा देश विश्वभर के लिए उदाहरण है, जिसका मानना है कि ‘लंबी आयु जीने के लिए संसाधनों व धन-दौलत का होना जरूरी नहीं, बल्कि अपनों का साथ होना आवश्यक है’। आज इसी उदाहरण का नजीर पेश करती पनवार चौहानन पंचायत से देश की सभी पंचायतों को सीख लेने की जरूरत है।-लालजी जायसवाल     
 


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