यू.ए.ई. के पोर्ट खलीफा में चीन अब नहीं बना सकेगा सैन्य अड्डा

punjabkesari.in Sunday, Nov 28, 2021 - 05:39 AM (IST)

चीन को दुनिया एक धोखेबाज देश के रूप में जानती है, जो अपने सारे काम गोपनीय तरीके से तो करता है लेकिन जब उसे अपना मतलब किसी दूसरे देश में साधना होता है तब वह धोखे और झूठ का सहारा लेता है। 

खाड़ी देश यूनाईटिड अरब अमीरात, जिसकी राजधानी आबूधाबी की खलीफा बंदरगाह में चीन ने यू.ए.ई. के साथ आर्थिक गतिविधियों के नाम पर एक समझौता किया लेकिन खुफिया तरीके से यहां पर सैन्य अड्डा बनाने का काम कर रहा था, जिसकी भनक तक यू.ए.ई. और आबूधाबी में खलीफा पोर्ट के अधिकारियों को नहीं लगी लेकिन जैसे ही यह खबर अमरीकी खुफिया विभाग को मिली, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यू.ए.ई. पर दबाव बनाकर चीनी गतिविधियों को तुरंत रुकवा दिया। 

दरअसल वर्ष 2013 में चीन ने अपनी बैल्ट एंड रोड परियोजना के तहत दुनियाभर के कई देशों से अनुबंध कर उनकी जमीनें, बंदरगाह और दूसरी महत्वपूर्ण जगहों पर अपने आर्थिक क्रियाकलापों के लिए काम शुरू किया था। ठीक इसी तर्ज पर चीन ने यू.ए.ई. के आबूधाबी में खलीफा बंदरगाह का एक हिस्सा अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए लिया था। फारस की खाड़ी में चीन अपने लिए एक सैन्य ठिकाना ढूंढ रहा था, जो उसे यहां मिल गया। इसके लिए चीन की कई कंपनियों ने खलीफा बंदरगाह का एक हिस्सा हासिल करने के लिए यू.ए.ई. के साथ समझौता किया ताकि वे 2.2 वर्ग किलोमीटर के खलीफा औद्योगिक क्षेत्र में बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत काम कर सकें। 

चीन ने समझौते के तहत यू.ए.ई. की खलीफा बंदरगाह के हिस्से में 1 अरब डॉलर के निवेश के साथ उस पर एक तरह से अपना कब्जा जमा लिया। चीन ने यू.ए.ई. से समझौते में यह भी कहा कि इस क्षेत्र में हम चाहे जो करें, उस पर फैसला भी हमारा होगा, किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। यू.ए.ई. सरकार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतना बड़ा कम्युनिस्ट देश उसके साथ ऐसी शातिराना चाल चलेगा। वर्ष 2020 में सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से अमरीकी खुफिया विभाग को यह जानकारी मिली कि चीन मालवाहक जहाजों में सैन्य उपकरण और हथियार ला कर चुपचाप पोर्ट खलीफा के अपने टर्मिनल में रख रहा था। 

यह जानकारी हासिल होते ही अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तुरंत यू.ए.ई. में फोन मिलाया और यहां के प्रशासन से बात कर उन्हें इस बात की जानकारी दी। इस बात को लेकर जो बाइडेन की दो बार यू.ए.ई. के राजकुमार मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान से मई और अगस्त के महीने में बात हुई। जिसके बाद अगले महीने सितम्बर में अमरीकी सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान और व्हाइट हाऊस के मध्यपूर्व के कोऑर्डीनेटर ब्र्रेट मेकगुर्क ने यू.ए.ई. की यात्रा कर राजकुमार नाह्यान को वे सारे सबूत और दस्तावेज सौंपे तो यू.ए.ई. के अधिकारियों ने चीन की निर्माण गतिविधियों को तुरंत रोक दिया। 

चीन की यह परियोजना अमरीका के लिए सिरदर्द इसलिए भी बन जाती क्योंकि यू.ए.ई. में अमरीका का सैन्य अड्डा बना हुआ है, साथ ही यहां पर नौसेना के बहुत सारे बेड़े भी मौजूद हैं। चीन के यहां सैन्य अड्डा बनाने से अमरीका के लिए इस बात की आशंका बढ़ जाती कि उसके एफ-35 के डिजाइन चोरी होकर चीन पहुंच जाते और फिर चीन इसकी नकल बना लेता, जिसमें चीन माहिर खिलाड़ी है। सही समय पर यू.ए.ई. ने कार्रवाई कर चीन के कदमों को रोक दिया। 


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