बुलडोजर का हथियार के रूप में इस्तेमाल कोई नई बात नहीं

punjabkesari.in Sunday, May 08, 2022 - 05:36 AM (IST)

दिल्ली और देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों और आजीविका को नष्ट करने के लिए बुलडोजर हाल ही में ‘पसंद की गदा’ के रूप में बहुत चर्चा में रहा है। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट को ‘बुलडोजर’ के उपयोग पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसे ‘अवैध अतिक्रमण’ हटाने के लिए एक नियमित अभियान के रूप में वॢणत और सख्ती से तैनात किया जा रहा था। दिखावा इतना कमजोर है कि अगर इसके निहितार्थ बहुत ज्यादा नहीं होते तो यह लगभग उपहासपूर्ण होता। 

1 मई को मजदूर दिवस पर केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन ने शहर को सुंदर, झुग्गी मुक्त बनाने के नाम पर मजदूर वर्ग के 4000 परिवारों के घरों और चूल्हों को समतल करने के लिए सर्वव्यापी बुलडोजर तैनात किया। ऐसा लगता है कि तानाशाही गरीबी को दूर करने की बजाय सिर्फ गरीबों का सफाया करने वाली है। 

बुलडोजर का हथियार के रूप में इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। इसे अनाज हार्वेस्टर निर्माता बेंजामिन होल्ट द्वारा 1904 में एक डीजल चालित कर्षण मशीन के रूप में आविष्कार किया गया था, जो घोड़े से खींचे गए या पहिएदार ट्रैक्टरों का समर्थन करने के लिए बहुत अधिक दलदली इलाके में जा सकता था। इसने जल्द ही न केवल कृषि व्यवसाय व निर्माण उद्योग में, बल्कि सैन्य मामलों में भी एक परिवर्तन लाया। इसी से लिटिल विली नामक सैन्य टैंक के पहले प्रोटोटाइप की उत्पत्ति हुई। 

जब एडोल्फ हिटलर ने 1933 में जर्मनी में सत्ता हथिया ली और अपने निजी वास्तुकार अल्बर्ट स्पीयर को बर्लिन को वस्तुत: ध्वस्त करने और 1,000 साल के लिए अपनी जर्मेनिया नामक एक नई राजधानी का निर्माण करने के लिए एक ‘कार्टे ब्लैंच’ दिया, तो सर्वशक्तिमान बुलडोजर को यहूदी पड़ोस को समतल करने के लिए तैनात किया गया, जो काम एक रिकॉर्ड समय में कर दिया गया।

हजारों औसत बर्लिनवासियों ने भी बुलडोजर की चुभन महसूस की। 1936 के बाद से नए शहर के लिए रास्ता बनाने के लिए उन्हें जबरन फिर से बसाया गया। यहूदी नागरिकों के घरों में बुलडोजर चलाए जाने के बाद उन्हें गंदे स्थानों पर ले जाया गया। फिर उन्हें एकाग्रता शिविरों में ले जाने से पहले यहूदी बस्ती में भेज दिया गया। जब अगस्त 1941 में बर्लिन से यहूदियों का निर्वासन शुरू हुआ, तो स्पीयर का विभाग एक प्रमुख लाभार्थी था, अक्तूबर 1942 के अंत तक यहूदियों के कब्जे वाले 23,765 अपार्टमैंटों को जब्त किया और लूटा गया। 

4 जून 1942 को चेक कट्टरपंथियों द्वारा प्राग में बोहेमिया और मोराविया (वर्तमान चेक भूमि) के नाजी रीच रक्षक की हत्या के बाद, लिडिस गांव को पहले तोपखाने का उपयोग करके समतल किया गया और फिर बुलडोजर से उसका नामोनिशान मिटाने की कोशिश की गई थी। सभी पुरुषों को गोली मार दी गई और महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार और क्रूरता के बाद उन्हें एकाग्रता शिविरों में भेजा गया था।

विडंबना यह है कि ऐसा लगता है कि इतिहास अनिवार्य रूप से एक पूर्ण चक्र में लौटता है। अशुभ बुलडोजर इसराईल के फिलिस्तीनी घरों के लिए भी पसंद का हथियार बन गया है। फिलिस्तीनी 1948 से संघर्ष कर रहे हैं। नवंबर 2004 तक ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसराईल को अमरीका निर्मित बुलडोजर की बिक्री रोकने के लिए आक्रामक रूप से अभियान चलाया क्योंकि उनका उपयोग फिलिस्तीनी घरों को ध्वस्त करने के लिए किया जा रहा था। 

कैटरपिलर नामक एक अमरीकी कंपनी एक ऐसा बुलडोजर बनाती है, जिसे सैन्य विशिष्टताओं के अनुरूप जी9 कहा जाता है। इसके बाद अमरीकी विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तत्वावधान में यह इसराईल को एक हथियार के रूप में बेच दिया जाता है। इसराईल में बुलडोजर आने के बाद, उन्हें राज्य के स्वामित्व वाली इसराईल मिलिट्री इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा बख्तरबंद कर दिया गया। 

आई.डी.एफ. (इसराईल डिफैंस फोर्सिज) ने अकेले गाजा पट्टी में 2000-04 के बीच 2,500 से अधिक फिलिस्तीनी घरों का सफाया कर दिया। रफाह में 10 प्रतिशत से अधिक आबादी के घरों को नष्ट करने के लिए इसराईली सेना ने कैटरपिलर बुलडोजर का इस्तेमाल किया। आई.डी.एफ. ने रफाह की 50 प्रतिशत से अधिक सड़कों और 40 मील से अधिक पानी और सीवेज पाइपों को बुलडोजर के पीछे फिट ‘रिपर’ से बर्बाद कर दिया। 

यह देखते हुए कि 1992 के बीच जब हमने इसराईल के साथ सामान्य राजनयिक संबंध स्थापित किए और हमारे सैंकड़ों कानून प्रवर्तन अधिकारी प्रशिक्षण यात्राओं और विनिमय कार्यक्रमों पर इसराईल गए हैं, अब यह स्पष्ट है कि ‘बुलडोजर सिंड्रोम’ हमारे सिस्टम की संस्थागत हार्ड ड्राइव में घुस गया है। समय आ गया है कि उन भारतीय और विदेशी कंपनियों के खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाए, जिनके बुलडोजर और जे.सी.बी. जैसे अन्य भारी उपकरणों का इस्तेमाल नफरत और कट्टरता को बढ़ावा देने के विकृत और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए देश के कानून की घोर अवमानना और उल्लंघन में किया जाता है। ‘हमारे लोगों के कुछ वर्गों’ को लक्षित करने और उन अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराने की जरूरत है, जो अपने राजनीतिक आकाओं के अवैध आदेशों को पूरा करते हैं।-मनीष तिवारी
 


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