विवाह योग्य आयु बढ़ाने का कानून ही पर्याप्त नहीं

punjabkesari.in Thursday, Dec 23, 2021 - 04:51 AM (IST)

महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के सरकार के निर्णय ने वयस्कों के निजी चुनावों में राज्य के दखल तथा ऐसे कानूनों की प्रभावशीलता को लेकर एक विवाद को जन्म दे दिया है। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा कड़े विरोध के बाद और चर्चा के लिए जहां प्रस्तावित कानून को संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह विधेयक सभी वर्तमान कानूनों को रद्द कर देगा जिनमें विवाह से संबंधित पक्षों को लेकर ‘कोई भी रिवाज, अथवा प्रथा’ शामिल है। यह कदम संशोधनों के अनुरूप निजी कानूनों सहित सभी संबंधित कानूनों को समाहित करेगा। 

लड़कियों की विवाह योग्य न्यूनतम आयु को 15 से 18 वर्ष करने के लिए कानून में 1978 में संशोधन किया गया था। इसके पीछे विचार बाल विवाह पर रोक लगाना तथा विवाह की न्यूनतम आयु वयस्कता प्राप्त करने के अनुरूप करना था। सरकार के हालिया कदम की आलोचना करने वालों का तर्क है कि जब लड़कियां 18 वर्षों के बाद सांसदों तथा विधायकों को चुन सकती हैं, उन्हें ड्राइविंग लाइसैंस दिया जा सकता है तथा अन्य स्वतंत्रताओं का मजा उठा सकती हैं तो उन्हें शादी के लिए अपना चुनाव करने से क्यों रोका जाना अथवा उसका अपराधीकरण किया जाना चाहिए? इस तर्क में कुछ अच्छाइयां हैं लेकिन सरकार का मानना है कि नया कानून अभिभावकों को अपनी बेटियों को कम आयु में विवाह करने के लिए मजबूर करने से हतोत्साहित करेगा। 

यह विधेयक ‘मातृत्व, मृत्युदर  तथा पोषण में सुधार’ से संबंधित मुद्दों की समीक्षा करने के लिए गठित एक कार्यबल की रिपोर्ट पर कैबिनेट द्वारा संज्ञान लेने के बाद लाया गया, जिसमें सुझाव दिया गया कि महिलाओं की न्यूनतम आयु में वृद्धि ‘महिलाओं के सशक्तिकरण’ में मदद करेगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए खुद इस ओर इशारा किया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 20-24 आयु वर्ग में लगभग 23 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले हो जाता था। सर्वेक्षण में यह भी खुलासा किया गया कि 15 तथा 18 वर्ष की आयु के बीच की लड़कियों में से 7 प्रतिशत गर्भवती पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में गर्भधारण की घटनाओं में कमी लाना भी महत्वपूर्ण है जो न केवल महिलाओं के कुल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि इसका परिणाम अधिक गर्भपातों तथा मृतजन्म के रूप में निकलता है। 

जहां सरकार के इरादे पर संदेह नहीं किया जा सकता, जब यह कानून उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले लाया गया है जहां महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरा है, उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कानून लाने से कहीं अधिक करने की जरूरत है। देश में व्यापक सामाजिक मानदंडों को देखते हुए लड़कियों की 21 वर्ष से पहले शादी को अपराध बनाने के फलस्वरूप कई अनावश्यक परिणाम सामने आएंगे। 

नि:संदेह यह साबित हो चुका है कि कानूनों ने सामाजिक मुद्दों के समाधान में मदद नहीं की है। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि 18 वर्ष की आयु से पहले लड़कियों के विवाह पर प्रतिबंध के बावजूद यह प्रथा जारी है। यह उन क्षेत्रों में और भी अधिक व्यापक है जहां परिवार कम पढ़े-लिखे तथा कम आय वाले हैं। दरअसल पढ़े-लिखों तथा धनवान परिवारों में यह रुझान उलट है जहां युवा अपनी शादी को 30 वर्ष की आयु से भी अधिक तक टाल रहे हैं। 

युवा महिलाओं का उच्च शिक्षा, जागरूकता, सूचना तथा रोजगार में अधिक अवसर पैदा करके सशक्तिकरण बिना दबाव के विवाह में विलम्ब करने हेतु उनके लिए एक मजबूत प्रोत्साहन होगा। जरूरत इस बात की है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि लड़कियां विभिन्न कारणों से स्कूल न छोड़ें इसके लिए एक सुरक्षित माहौल बनाने की जरूरत है। इनमें नजदीक ही स्कूल उपलब्ध होने, यौन प्रताड़ना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई लड़कों के लड़कियों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना तथा यात्रा को सुरक्षित बनाना शामिल है। 

इस विधेयक पर आगे कदम बढ़ाने से पहले सरकार को आवश्यक तौर पर यह अध्ययन भी करना चाहिए कि क्यों करीब एक चौथाई अथवा सारी लड़कियां 18 वर्ष से कम आयु में ब्याही जा रही हैं। इस कानून की प्रभावशीलता का अध्ययन करने तथा यह देखने की जरूरत है कि इसे लागू करने में क्यों रुकावट आ रही है जहां लाखों की संख्या में लड़कियां 18 वर्ष से कम आयु में ब्याही जा रही हैं जो समाज के वंचित तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित है। मुख्य रूप से पिछड़े क्षेत्रों में। उनका जल्दी विवाह करना गरीबी से निपटने के एक समाधान के तौर पर देखा जाता है। इसकी एक वजह दहेज की मांग बढ़ते जाना और यहां तक कि उनकी बेटियों पर यौन हमलों का डर भी होता है। ऐसी असमानताओं से आवश्यक तौर पर निपटा जाना चाहिए। बजाय इसके कि एक अन्य कानून लाया जाए जो प्रतिकूल साबित हो सकता है।-विपिन पब्बी 
 


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