भारत की महान पूंजी हैं आप्रवासी भारतीय

punjabkesari.in Tuesday, Jun 29, 2021 - 03:11 AM (IST)

यकीनन कोरोना संकट की चुनौतियों के बीच आप्रवासी भारतीयों के द्वारा भारत को मानवीय व आर्थिक सहयोग देने का नया अध्याय लिखा गया है। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के बीच पिछले वर्ष मार्च 2020 से लेकर अब तक आप्रवासी भारतीयों का भारत के प्रति बेमिसाल प्रेम, स्नेह भाव और आर्थिक सहयोग पूरी दुनिया में रेखांकित हुआ है। 

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय विदेशों में जो जहां था, उसे वहीं लॉक कर दिया गया था, उड़ानें रुक गई थीं। इससे विदेशी जमीन पर लाखों भारतीय उद्यमी, कारोबारी तथा पर्यटक फंस गए थे। ऐसे में चिंता और अनिश्चितता के दौर में फंसे भारतीयों को आप्रवासी भारतीयों का हर तरह से साथ मिला था। फिर कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच जब भारत में अकल्पनीय मानवीय पीड़ाएं और चिकित्सा संबंधी चुनौतियां दिखाई दीं, तो आप्रवासियों से और अधिक सहायता व सहयोग के दृश्य दिखाई दिए। अमरीका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि मेरी जड़ें भारत से जुड़ी हैं। मेरी मां श्यामला भारत में ही पली हैं। पिछले वर्ष महामारी की शुरूआत में भारत ने अमरीका की मदद की थी। 

अब हम हरसंभव तरीके से भारत की मानवीय और आॢथक मदद के लिए आगे बढ़े हैं। अमरीका से बड़ी सं या में आप्रवासी भारतीय डॉक्टर फोन और वीडियो कॉल से भारतीय लोगों की मदद करते हुए दिखाई दिए। इतना ही नहीं अमरीका से भारत आकर कई नर्सों ने भारतीय अस्पतालों में समॢपत सेवाएं भी दीं। यह बात महत्वपूर्ण है कि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में जब कोविड-19 कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की गिरावट की स्थिति में पहुंच गई थी तथा देश के विभिन्न उद्योग-कारोबार धराशायी हो गए थे, तब आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय आप्रवासियों के द्वारा भेजी गई धनराशि से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी मदद मिली। 

उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक के द्वारा जारी ‘माइग्रेशन एंड डिवैल्पमैंट ब्रीफ’ रिपोर्ट 2020 के मुताबिक विदेश में कमाई करके अपने देश में धन (रेमिटेंस) भेजने के मामले में पिछले वर्ष 2020 में भारतीय आप्रवासी दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष आप्रवासी भारतीयों ने 83 अरब डॉलर से अधिक धन राशि स्वदेश भेजी है।

जब आप्रवासी विदेश में काम करते हुए कमाई का कोई भाग अपने मूल देश को बैंक, पोस्ट ऑफिस या ऑनलाइन ट्रांसफर से भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। स्थिति यह है कि जहां पिछले वर्ष 2020 में भारतीय आप्रवासी भारत के विदेशी मुद्रा कोष को मजबूती देते हुए दिखाई दिए हैं। 11 जून को भारत का विदेशी मुद्रा कोष 608 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, उसमें भारतीय प्रवासियों का अहम योगदान है। 

नि:संदेह आप्रवासी भारतीय दुनिया के कोने-कोने में दुनिया के विभिन्न देशों के विकास में अपना समॢपत योगदान दे रहे हैं। साथ ही साथ वे भारत के विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आप्रवासी भारतीय भारत की महान पूंजी हैं। आप्रवासी भारतीय विश्व के समक्ष भारत का चमकता हुआ चेहरा हैं। साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती हैं। आप्रवासी भारतीयों की दुनिया के कोने-कोने में अहमियत बढ़ रही है और वे दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

यह भी महत्वपूर्ण है कि विदेशों में रह रहे भारतीय कारोबारियों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, शोधकत्र्ताओं और उद्योगपतियों की प्रभावी भूमिका दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सराही जा रही है। पूरी दुनिया में आप्रवासी भारतीयों की श्रेष्ठता को स्वीकार्यता मिली है। कहा गया है कि भारतीय आप्रवासी ईमानदार, परिश्रमी और समर्पण का भाव रखते हैं। आई.टी., क प्यूटर, मैनेजमैंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में दुनिया में भारतीय आप्रवासी सबसे आगे हैं। 

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में 17 जून को माइक्रोसॉ ट ने अपने भारतवंशी सी.ई.ओ. सत्य नडेला को क पनी का अध्यक्ष बनाया है। माइक्रोसॉ ट ने कहा है कि नडेला बोर्ड के लिए एजैंडा तय करने के काम का नेतृत्व करेंगे। नडेला के नेतृत्व से क पनी को  सही रणनीतिक अवसरों का लाभ मिलेगा। मु य जोखिमों की पहचान होगी तथा उनके असर को कम करने के लिए नडेला की कारोबार संबंधी सूझबूझ और गहरी समझ का लाभ मिलेगा। इसी तरह आप्रवासी भारतीय उद्यमियों में सुंदर पिचाई, संजय मेहरोत्रा, शांतनु नारायण, दिनेश पालीवाल, अजय बंगा आदि वैश्विक उद्योग-कारोबार में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। ऐसे अनेक सफल भारतवंशी और आप्रवासी भारतीय भारत को विभिन्न क्षेत्रों में जोरदार सहयोग देते हुए दिखाई देते हैं। 

नि:संदेह जिस तरह से पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 की चुनौतियों से परेशान आप्रवासियों की घर वापसी के लिए सरकार ने वंदे भारत मिशन चलाया और 45 लाख आप्रवासी भारतीयों को भारत वापस लाया गया, उससे आप्रवासी भारतीयों के मन में भारत के लिए आत्मीयता बढ़ी है। ऐसे में जहां भारत द्वारा आप्रवासियों की वीजा संबंधी मुश्किलों को कम करने में भी मदद करनी होगी, वहीं विदेशों में रोजगार की प्रक्रियाओं के सरल व पारदर्शी बनाने पर जोर दिया जाना होगा ताकि भारतीय कामगारों को बेईमान बिचौलियों और शोषक रोजगारदाताओं से बचाया जा सके। जिस तरह चीन आप्रवासी चीनियों के हितों की रक्षा करता है, हमें उसी तरह भारत को भारतीय आप्रवासियों के हितों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। 

हम उम्मीद करें कि जिस तरह आप्रवासी चीनियों ने दुनिया के कोने-कोने से कमाई हुई अपनी विदेशी मुद्रा चीन में लगाकर चीन की तकदीर हमेशा के लिए बदल डाली, उसी प्रकार से भारत की आॢथक और सामाजिक तकदीर को बदलने में आप्रवासी भारतीयों की भूमिका अहम होगी।-डॉ.जयंतीलाल भंडारी


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