2 वरिष्ठ मंत्रियों के इस्तीफे से ब्रिटिश प्रधानमंत्री की गद्दी डावांडोल

punjabkesari.in Thursday, Jul 07, 2022 - 05:43 AM (IST)

कहते हैं कि झूठ के पांव नहीं होते। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस कहावत को झूठा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं और इस कोशिश में उन्होंने अपने इर्द-गिर्द एक ऐसा भीषण राजनीतिक बवंडर खड़ा कर लिया है, जिससे उनके बच निकलने की संभावनाओं पर गहरी शंकाएं प्रकट की जा रही हैं। 

उनकी कार्यशैली से क्षुब्ध होकर मंगलवार शाम उनके 2 सबसे वरिष्ठ मंत्रियों- वित्तमंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री सादिक जावेद ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। प्रधानमंत्री के तौर पर  बोरिस जॉनसन की योग्यता और निपुणता पर दोनों मंत्रियों ने अपने त्यागपत्रों में कठोर शब्दों में नुक्ताचीनी की है। ये दोनों इस्तीफे बोरिस जॉनसन के नेतृत्व पर एक बहुत गहरा आघात हैं और इससे उनकी राजनीतिक शक्ति को क्षति पहुंचेगी। इससे देश में एक ऐसा गहरा राजनीतिक संकट पैदा हो गया है, जिसकी समानता समाचारपत्रों ने मारग्रेट थैचर के पद छोडऩे पर गहराए संकट से की है। 

ऋषि सुनक और सादिक जावेद के त्यागपत्रों के तत्पश्चात 2 और मंत्रियों ने भी त्यागपत्र दे दिए। समाचारपत्रों ने लिखा है कि अभी कई अन्य मंत्रियों के इस्तीफों की झड़ी लगने वाली है। यह सारी प्रतिक्रिया हुई है बोरिस जॉनसन द्वारा एक अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर की गई एक ऐसे टोरी सांसद की नियुक्ति से, जिसके विरुद्ध सार्वजनिक तौर पर दो लड़कों से अश्लील शारीरिक छेडख़ानी करने के आरोप हैं। 

क्रिस पिंचर नामक सांसद को पार्टी का डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त करने से पहले उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर हुई जांच के बारे में बोरिस जॉनसन को सचेत कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद जब नियुक्ति कर दी गई तो खूब बावेला उठ खड़ा हुआ। और यहां से शुरू होता है झूठों का, झूठों को झुठलाने का और झूठों को दरगुजर करने का वह सिलसिला, जिसने इस वक्त ब्रिटेन के लिए गहरा राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है और बोरिस जॉनसन के प्रधानमंत्री के तौर पर पद पर बने रहने की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। 

इस वक्त टोरी पार्टी के अन्दर तूफान की सी स्थिति है और जनसाधारण में बोरिस जॉनसन के व्यक्तित्व के प्रति अविश्वास की भावना का वातावरण। पार्टी और जनसाधारण दोनों में यह धारणा घर कर गई है कि बोरिस जॉनसन ऐतबार किए जाने योग्य नहीं। कोविड-19 के नियमों के निरंतर कई बार उल्लंघन करने, खुले तौर पर अपने सरकारी निवास स्थान 10 डाऊनिंग स्ट्रीट पर पार्टियां करने और शराब तथा जश्न मनाने के कार्यकर्मों में शामिल होने से झूठ पर झूठ बोलने से उत्पन्न जनाक्रोश से अभी पिछले ही महीने वह एक भारी राजनीतिक संकट से उबर कर बाहर निकले थे, जब टोरी पार्टी द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को जीतने के बाद उन्होंने जनता को विश्वास दिलाया था कि वह अब फिर कभी जनमत की अवहेलना नहीं करेंगे। लेकिन व्हिप की नियुक्ति पर उठी नुक्ताचीनी जब तीव्र रूप धारण कर गई तो उन्होंने जो प्रतिक्रिया दी, उससे उनका झूठ पकड़ा गया। 

उन्होंने कहा कि नियुक्त किए गए सांसद क्रिस पिंचर के विरुद्ध अश्लील व्यवहार के कोई आरोप हैं, इसका उन्हें कुछ ‘पता’ नहीं था। जिन अधिकारियों और टोरी नेताओं ने उन्हें इस विषय पर सचेत किया था, उन्होंने जब बोरिस जॉनसन की पड़ताल की तो झूठ के पांव लडख़ड़ाने लगे। पहले तो कहा कि किसी ने मुझे कब क्या बताया, कुछ याद नहीं, फिर जब दबाव और बढ़ा तो खेद प्रकट किया और माफी मांग ली। कहने लगे कि यह मेरी गलती थी। 

इस प्रकार के उनके सार्वजनिक व्यवहार से राजनीतिक क्षेत्रों और जनसाधारण में उनके प्रति एक प्रकार की घुटी-घुटी सी अनादर की भावना है, जो वित्तमंत्री ऋषि सुनक, स्वास्थ्य मंत्री सादिक जावेद तथा अन्य मंत्रियों के त्यागपत्र  के रूप में खुल कर सामने आ रही है। इससे बोरिस जॉनसन अपने आप को कैसे उभार पाएंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा। परन्तु ऋषि सुनक के प्रस्थान से गंभीर राजनीतिक क्षेत्रों, विशेषकर भारतीयों में, भारी निराशा पहुंची है? ऋषि सुनक के रूप में एक नए प्रतिभावान अर्थ-विशेषज्ञ तथा अत्यंत योग्य प्रशासक की प्रतिमा ब्रिटेन के राजनीतिक पटल पर आई थी। उनकी छवि ब्रिटेन के भावी प्रधानमंत्री के रूप में लोगों के दिलों पर छा चुकी थी।

प्रधानमंत्री पद के बाद ब्रिटेन में सब से ज्यादा महत्वपूर्ण पद वित्तमंत्री का होता है। इस देश के इतिहास में कई ऐसे दृष्टांत हैं, जब प्रधानमंत्री द्वारा गद्दी छोडऩे पर उस गद्दी का दायित्व वित्तमंत्री ने संभाला। इस उच्च कोटि तक पहुंचने वाले ऋषि सुनक पहले भारतीय थे। कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक कठिनाइयों से जिस तरह उन्होंने देश को निकाला और जनसाधारण की सहायता के जो उपाय किए, उससे उन्होंने ब्रिटेन के हर वर्ग की ओर से भारी प्रशंसा प्राप्त की। निष्ठावान, कर्मठ, ईमानदार ऋषि सुनक ने अपने त्यागपत्र में लिखी इन पंक्तियों से सब का दिल जीत लिया है :‘‘लोगों की यह उम्मीद बिल्कुल ठीक है कि सरकार ठीक तरीके से, अपनी क्षमता के साथ और गंभीरता से चले। मुझे लगता है इन मानकों के लिए लडऩा चाहिए। इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।’’-लंदन से कृष्ण भाटिया
 


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