सभ्यताओं के ‘टकराव की गूंज’

punjabkesari.in Thursday, Nov 05, 2020 - 03:07 AM (IST)

धर्म के साथ किसी भी चीज को लेकर फ्रांसीसी लोग हमेशा से ही अनादरयुक्त रहे हैं। शायद यही परमात्मा की ओर राष्ट्रीय बर्ताव तथा परमात्मा के गुण फ्रांसीसी क्रांति का कारण बने। इसमें कोई दोराय नहीं कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने एक तुरन्त ही बयान जारी किया जिसमें इस्लामिक विश्व को यह संदेश दिया गया कि फ्रांसीसी सरकार पैगम्बर के कार्टूनों को लेकर नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखेगी। 

इस ब्रह्मांड में ऐसा कोई भी धर्म इस्लाम के बराबर का नहीं जो सर्व, धर्म त्याग को पढ़ लेता है। वह अपनी मान्यताओं को किसी भी रूप में नकारने को बर्दाश्त नहीं करता। मुस्लिम राष्ट्रों में जो पतित हैं उन्हें तलवार की नोक पर रखा जाता है। फ्रांस जैसे गैर-मुस्लिम देशों में सच्चे अनुयायियों की उग्र प्रतिक्रिया खतरनाक नतीजों के संदेशों को प्रकट करती है। पैरिस तथा नीस में सिर कलम करना तथा एक अन्य शहर में छुरेबाजी की घटना आतंकियों की प्रतिक्रिया का नतीजा है जो वास्तव में यह महसूस करते हैं कि उग्र बदले से वे लोग स्वर्ग में सम्मान हासिल करेंगे। 

मुझे खुशी तथा उम्मीद तब हुई जब एक स्थानीय विश्वासियों की इकाई जिसे ‘मुस्लिम्ज फॉर सैकुलर डैमोक्रेसी’ के नाम से पुकारा जाता है तथा इसका नेतृत्व मेरे दोस्त तथा तीसता सीतलवाड़ के पति जावेद आनंद करते हैं, ने पैरिस स्कूल टीचर के सिर कलम करने की घटना को फटकारा। यहां पर कुछ उदारवादी तथा समझदार मुस्लिमों का ग्रुप भी है जो यह जानता है कि कोई भी धर्म या फिर कोई भी परमेश्वर नृशंस हत्या तथा अशांति को छोड़ देगा। फ्रांस सरकार से चर्च को अलग करने के लिए सख्त पाबंदियां तय करता है। इसके स्कूलों में सलीब पर चढ़े ईसा मसीह जैसे धार्मिक चिन्हों को प्रदॢशत नहीं किया जाता। वास्तव में ऐसा करने की अनुमति नहीं है। इसके विपरीत कई ईसाई भूमियों पर सलीब पर चढ़े ईसा मसीह को अस्पतालों के ऊपर प्रदॢशत किया जाता है मगर ऐसा फ्रांस तथा अन्य देशों में नहीं होता जो अपने आपको धर्मनिरपेक्ष कहलाते हैं। 

राजनीतिक वैज्ञानिक और लेखक सैमुअल हटिंगटन ने अपने मौलिक कार्य, ‘द क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन्ज’ (सभ्यताओं का टकराव) में लिखा है कि उत्तर और दक्षिण जो लोकतंत्र और माक्र्सवाद को बांटते हैं, शायद पूर्व-पश्चिम का स्थान ले लेंगे और इसके तहत पश्चिम के ज्यादा आबादी वाले मगर आॢथक रूप से पिछड़े मुसलमान देशों तथा पूरब के ईसाई नेतृत्व वाले  देशों के बीच अब फर्क किया जाएगा। एक फ्रांसीसी महिला पत्रकार जिसका नाम ऐना इरेल है, ने अपनी किताब ‘अंडरकवर जेहादी ब्राइड’ में आई.एस. आई.एस. बलों द्वारा रक्का के आसपास इलाके में हत्याओं तथा सिर कलम करने का एक वृत्तांत दिया है। ऐसा सब मध्य एशिया से इस संगठन को बाहर निकालने तथा इसके स्वयंभू खलीफा को सीरिया, रूस तथा अमरीका के संयुक्त बलों द्वारा मारे जाने के पहले हुआ था। 

आई.एस.आई.एस. से संबंधित लूटपाट इस्लामी जेहादी लोगों को सचेत करने वाली बात है जो पहुंच से बाहर सपने देखते हैं। मगर फिर भी वह निरंतर ही कम पढ़े-लिखे मुल्लाओं द्वारा इस जीवन के बाद मिलने वाले पुरस्कारों के वायदों का सपना देखते हैं। एक धर्मनिरपेक्ष वातावरण में जीने के लिए उनमें धर्मनिरपेक्ष शिक्षा तथा योग्यता की कमी होती है। ये लोग प्राचीन, धार्मिक मान्यताओं की ओर देखते हैं जिसके चलते उन्हें मायूसी मिलती है और मायूसी अपराध में बदलती है और फिर अपराध विध्वंस में बदल जाता है। इस बात को मैंने पंजाब में खालिस्तानी आतंकी दौर में देख रखा है। भावनात्मक प्रतिक्रिया एक ऐसी चीज है जिसे आसानी से छुआ जा सकता है। यह आतंक के सैनिकों को जल्द या फिर बाद में स्वयं के विध्वंस पर ले जाती है। 

भारत में हिंदू तत्व ऐसी भूमि पर आतंकी हमलों के साथ नफरत करते हैं जो पुरातन समय से इंडो-आर्यन लोगों से बसी हुई थी। इन लोगों ने इसे जीत तो लिया मगर उसके बाद आर्यन समाज को अपने में मिला लिया। ऐसे असंतुष्ट तत्वों ने अपने हाथों में यह मुद्दा लेने का निर्णय किया और कष्ट देने वाले लोगों को मुंह तोड़ जवाब देने का निर्णय लिया।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी) 
 


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