आतंकवादी संगठनों ने बदली रणनीति, खतरे का संकेत

punjabkesari.in Wednesday, Jul 06, 2022 - 09:00 PM (IST)

जम्मू-कश्मीर घाटी में हाइब्रिड आतंकवाद सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बना हुआ है। हाइब्रिड आतंकवाद का प्रयोग सिलैक्टिव किलिंग के लिए किया जा रहा है। सुरक्षाबलों के लिए ऐसे आतंकवादियों की शिनाख्त करना मुश्किल हो जाता है। सरकार दस्तावेज के मुताबिक अभी तक पहली 2022 से लेकर 30 जून तक 74 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से 39 हाइब्रिड आतंकी है। यानी गिरफ्तार किए आतंकवादियों में से 53 फीसदी हाइब्रिड आतंकी है जो एक चिंताजनक आंकड़ा है। उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि 39 हाइब्रिड आतंकियों में से 29 लश्कर ने तैयार किए हैं। एच.एम., टी.आर.एफ. के दो-दो आतंकी है।

दरअसल 5 अगस्त 2019 के बाद आतंकवाद पर सुरक्षाबलों ने आपरेशन ऑल आऊट के तहत कहर भरपाया था। आतंकी संगठनों ने लगभग आत्मसर्पण ही कर दिया था। पाकिस्तान के हाथ से कश्मीर फिसल गया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को कोई समर्थन नहीं मिला। तिलमिलाई पाकिस्तान की सेना और खूफियां एजैंसी आई.एस.आई. ने आतंकवाद की रणनीति में बदलाव किया और हाइब्रिड आतंकी तैयार करके उनको सिलैक्टिव किलिंग का लक्ष्य दिया। आतंकवादियों की बदली रणनीति किसी हद तक कारगर भी साबित हुई लेकिन सुरक्षाबलों ने इस रणनीति का तोड़ निकाल हाइब्रिड आतंकियों की गिरफ्तारियों का सिलसिला तेज कर दिया है।

कश्मीर में आतंकवादी संगठनों ने मुख्य तौर पर करीब चार बार रणनीति बदलाव किया है। 1990 में कश्मीरी युवाओं को पी.ओ.के. में ट्रेनिंग देकर इस पार भेजा गया। उसके बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर में मोर्चा संभाला और उसके बाद बुरहान वानी जैसे का दौर शुरू हुआ। अब हाइब्रिड आतंकवाद का दौर है। सुरक्षाबलों के लिए हाइब्रिड आतंकवादियों की शिनाख्त करना मुश्किल है। यह आतंक आम शहरियों की तरह रहते हैं और वारदात को अंजाम देने के बाद भी समाज का हिस्सा बने रहे हैं जिसके चलते हाइब्रिड आतंकवादियों की पहचान करना कठिन हो जाता है।

हाइब्रिड आतंकी कोई बड़ी चुनौती नहीं है। हमारी सुरक्षा एजैंसियां सक्षम हैं और लोकल पुलिस की भूमिका भी तारीफ के काबिल है। हाइब्रिड आतंकी सिर्फ सिलैक्टिव की  किलिंग कर सकते हैं बड़ी वारदात को अंजाम देने इनके बस में नहीं है। रिटायर्ड कर्नल वी.के. साही हाइब्रिड आतंकियों का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं होता, लिहाजा आतंकवादियों की बदली रणनीति को हलके में नहीं लिया जा सकता। सिर्फ युवा ही नहीं किसी भी आयु का व्यक्ति हाइब्रिड आतंकी हो सकता है। खुफिया एजैंसियों को अपने तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

रिटायर्ड कर्नल एस.एस. पठानियां


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