अफगानिस्तान पर होने जा रहा तालिबानी आतंकवादियों का कब्जा

punjabkesari.in Saturday, Aug 14, 2021 - 05:59 AM (IST)

तालिबान आतंकवादियों का अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार सहित देश की 19 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा हो चुका है और वे कुछ ही किलोमीटर दूर रह गई राजधानी काबुल की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। कंधार में तालिबान लड़ाकों ने गवर्नर कार्यालय व अन्य इमारतों पर कब्जा कर लिया है और गवर्नर व अन्य अधिकारी विमान में सवार होकर काबुल चले गए हैं। तालिबानी आंदोलन की शुरूआत भी कंधार से ही होने के कारण इसे ‘तालिबान आतंकवादियों की राजधानी’ भी कहा जाता है। तालिबान ने 1990 के दशक में सबसे पहले कंधार पर ही कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान की तत्कालीन सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। 

अब अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में तालिबान की क्रूरता बढ़ती जा रही है। अपने लोगों के साथ जबरदस्ती अफगान युवतियों के विवाह करवाने के अलावा उन्होंने तालिबानी तरीकों से सजा देना तथा जेलों में बंद कैदियों को रिहा करना भी शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान की सेना ने तालिबानियों के आगे समर्पण कर दिया है तथा तालिबानियों से निपटने में विफल रहने पर राष्ट्रपति अब्दुल गनी ने सेना प्रमुख वली मोहम्मद को भी बर्खास्त कर दिया और सत्ता हाथ से जाती देख तालिबान को सत्ता में भागीदारी की पेशकश भी कर दी थी। तालिबान के भय से वित्त मंत्री खालिद पायेंदा सहित अनेक नेता तथा हजारों अन्य लोग घरों से भाग गए हैं तथा राष्ट्रपति गनी ने संयुक्त राष्ट्र से इस विषय में आपात अधिवेशन बुलाने की मांग भी की है। 

यदि तालिबानी आतंकवादी अफगानिस्तान पर कब्जा करने में सफल हो गए तो चीन और पाकिस्तान तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए तैयार हैं जबकि भारत सहित 12 अन्य देशों ने अफगानिस्तान पर जबरदस्ती थोपी हुई किसी भी सरकार को मान्यता न देने की घोषणा भी की है। तालिबानी हिंसा के जवाब में उसके विरुद्ध कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे अमरीका के बाइडेन प्रशासन को चीन के अफगानिस्तान को मान्यता देने के दाव से भारी झटका लग सकता है और ब्रिटेन सरकार ने अमरीका द्वारा अफगानिस्तान से सेनाएं हटाने के फैसले को एक भारी भूल बताया है। 

उल्लेखनीय है कि चीन के अफगानिस्तान में दिलचस्पी लेने का कारण अफगानिस्तान में मौजूद तथा किसी भी देश की तकदीर बदलने में सक्षम एक ट्रिलियन डालर से भी अधिक की खनिज स पदा सोना, कोबाल्ट, लीथियम, तांबा, लोहा आदि है जिस पर चीन कब्जा करना चाहता है। 

अफगानिस्तान पर इतनी तेजी से तालिबान की पकड़ मजबूत होती चली जाने पर विश्व स्तब्ध है और एक बार फिर अफगानिस्तान के तीन दशक पहले वाले अंधकारमय दौर में दाखिल होने की आशंका तथा राष्टï्रपति गनी द्वारा त्यागपत्र दे दिए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस बीच तालिबान ने सत्ता में भागीदारी के अफगानिस्तान सरकार के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। अत: आज अफगानिस्तान एक ऐसे चौराहे पर आ खड़ा हुआ है जहां यह कहना मुश्किल है कि अगले ही पल वहां क्या होगा! —विजय कुमार 

 


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