चीन को दरकिनार कर ताईवान की जूता कंपनी भारत में करेगी 1000 करोड़ रुपए का निवेश

punjabkesari.in Thursday, May 05, 2022 - 05:40 AM (IST)

चीन में फैले कोरोना और उसकी वजह से वहां पर लगे जबरदस्त लॉकडाऊन के चलते वहां पर निर्माण कार्य रुक गया है, साथ ही जो माल पहले से बना हुआ है उसकी सप्लाई रुकी हुई है। कोरोना महामारी को लेकर चीन की जीरो कोविड पॉलिसी जहां एक तरफ चीन की आम जनता के लिए आफत बनी हुई है तो वहीं यह नीति चीन की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रही है। चीन की यह दुर्गति देखते हुए वहां से कई विदेशी कंपनियों ने अपना काम समेट कर दूसरे देशों में अपना ठौर तलाशना शुरू कर दिया है, वहीं कुछ विदेशी कंपनियां तो दूसरे देशों से अपना काम शुरू भी कर चुकी हैं। 

ऐसे में चीन का पड़ोसी देश ताईवान भारत में अपना एक और उपक्रम लगाने जा रहा है, ताईवान की होंग फू जूते बनाने वाली कंपनी अब भारत में निवेश करने जा रही है। होंग फू शू कंपनी तमिलनाडु में इन दिनों चेन्नई के आस पास जमीन देख रही है जहां पर वह अपनी फैक्टरी लगा सके, इसके बाद होंग फू कंपनी अगले 3 से 5 वर्षों में भारत में 1000 करोड़  रुपए का निवेश करेगी। यह कंपनी ताईवान में वर्ष 2003 में शुरू हुई थी जिसके बाद मात्र 9 वर्षों में होंग फू कंपनी दुनिया की शीर्ष जूते बनाने वाली कंपनी के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी है। 

होंग फू कंपनी स्पोट्र्स जूते बनाती है जिसमें चमड़े का इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसके साथ ही जूते बनाने में ज्यादा पानी का इस्तेमाल भी नहीं होता। कंपनी चेन्नई में 20 हज़ार नए रोजगार देगी, कंपनी ने तय किया है कि अपने प्लांट में वो ग्रामीण महिलाओं को ज्यादा रोजगार देगी जिससे महिलाएं भी राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ें। होंग फू शू कंपनी नाइक, कन्वर्स, वान्स और प्यूमा जैसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड्स के जूते बनाती है। 

ताईवान चीन से भी जूते बनवा सकता था लेकिन चीन समय समय पर अपने लड़ाकू विमानों से ताईवान की वायुसीमा का उल्लंघन करता है और ताईवान पर जबरन कब्जा करने की धमकी देता रहता है, वर्ष 2020 में चीन ने ठीक इसी तर्ज पर भारत में गलवान घाटी पर ङ्क्षहसा की थी जिसमें भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी लेकिन लद्दाख में सीमा पर भारत चीन के सामने डटा हुआ है और उससे हर तरह का मुकाबला करने को तैयार है। 

ऐसे में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, लेकिन ताईवान के भारत आने का दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत इस समय पी.एल.आई. स्कीम के तहत देसी विदेशी कंपनियों को भारत में आमंत्रित कर रहा है और जल्दी ही चीन की जगह भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्माण स्थल बनेगा। यहां पर उत्पादन लागत भी चीन की तुलना में कम होगी क्योंकि चीन में पिछले 10 वर्षों से उत्पादन लागत में तेज वृद्धि हुई है। इसका फायदा ताईवान की कंपनी को भारत से निर्यात में मिलेगा साथ ही भारत में एक बड़ा बाजार है जो बहुत महंगे जूते नहीं पहन सकता लेकिन अगर उसके दाम भारतीय लोगों की जेबों की पहुंच के अंदर रहें तो इस बाज़ार से होंग फू कंपनी को जितना मुनाफा होगा उतना पूरे यूरोपीय बाजार से भी नहीं मिल सकता। 

कंपनी का तमिलनाडु सरकार से जब अनुबंध हुआ उस समय राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और राज्य उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु भी मौजूद थे वहीं होंग फू कंपनी के जनरल मैनेजर जेन्नी सेन भी उपस्थित थे। इस समझौते के बाद तमिलनाडु से जूतों के निर्माण, उनकी देश भर में बिक्री के साथ निर्यात को बढ़ावा भी मिलेगा जिससे राज्य में रोजग़ार बढ़ेगा और लोगों की आय भी बढ़ेगी। 

इसके साथ ही जूतों को निर्माण में भारत की साख पूरी दुनिया में बढ़ेगी। ताईवान की कंपनी के भारत आने से भारत के हाथ एक बड़ा अवसर लगा है, ताईवानी कंपनी की आपूॢत शृंखला की बात करें तो यह सारी दुनिया में फैली हुई है और अब भारत में निर्माण केन्द्र बनाने से भारत के बने उत्पादों को उत्तरी और दक्षिणी अमरीका, पूर्वी और पश्चिमी यूरोप, अफ्रीकी महाद्वीप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्वी एशियाई बाजार के दरवाजे खुल जाएंगे। 

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में हुए विनाश और दुनिया के देशों का चीन से किनारा करने के बाद भारत ने इसे एक अवसर के तौर पर लिया और भारत की पी.आई.एल. योजना का लाभ उठाने के लिए कई देशों की फैक्टरियां गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दूसरे राज्यों में अपने अवसर तलाश रही हैं। इससे एक तरफ भारत विनिर्माण के क्षेत्र में अपना आधारभूत ढांचा मजबूत कर रहा है दूसरी तरफ ढेर सारे तकनीकी रूप से प्रशिक्षित और गैर प्रशिक्षित लोगों को रोजगार मिलेगा, इससे भारत के देसी बाजार को लाभ तो मिलेगा साथ ही भारत विश्व के लिए एक बेहतर निर्यात केन्द्र के रूप में भी उभरेगा।

वहीं दूसरी तरफ चीन अपने पड़ोसियों को लेकर आक्रामक रुख अपनाने के कारण और पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैलाने की वजह से अपनी साख खो चुका है, इसका बुरा असर आने वाले दिनों में चीन की अर्थव्यवस्था पर साफ तौर पर देखने को मिलेगा।


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