‘आत्मनिर्भर शहरों की ओर बढ़ते कदम’

punjabkesari.in Friday, Dec 18, 2020 - 04:57 AM (IST)

वर्ष 2004 से 2014 तक 10 वर्षों में शहरी विकास पर कुल 1.57 लाख करोड़ रुपए खर्च आया था। गत 6 वर्षों के दौरान ये आंकड़े 10.57 लाख करोड़ रुपए रहे हैं। 2010 की मैकिंसी एंड कम्पनी की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2030 तक हमारी जनसंख्या का 40 प्रतिशत अथवा 59 करोड़ भारतीयों के शहरों में रहने की आशा है। इस बढ़ रही शहरी जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2030 तक हर वर्ष 70-90 करोड़ वर्ग मीटर शहरी स्थान का निर्माण करना पड़ेगा-हमारी शहरी मांगों की पूर्ति के लिए अब से 2030 तक हर वर्ष एक नया शिकागो, जिसका अर्थ है भारत के 70 प्रतिशत हिस्से का भविष्य बनाना अभी बाकी है। अगले दशक के दौरान लाखों भारतीयों के रहन-सहन के हालात में सुधार करना भी है। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 दिसम्बर को मुम्बई के नैशनल स्टाक एक्सचेंज में बैल सैरेमनी में भाग लिया क्योंकि नगर निगम के बांड के रूप में करोड़ों रुपए के बांड थे। लखनऊ नगर निगम के लिए 200 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।  शहरी कायाकल्प तथा परिवर्तन (अमरुत) अटल मिशन की शुरुआत के बाद से लखनऊ अब नगर पालिका बांड तथा उत्तर भारत में पहला और देश का नौवां ऐसा शहर बन गया है। एल.एम.सी. को केंद्र सरकार से इसके ब्याज के बोझ को कम करने के लिए सबसिडी के रूप में लगभग 2 प्रतिशत के एक प्रेरक प्रोत्साहन के तौर पर लगभग 26 करोड़ डालर प्राप्त होंगे। अब तक 9 शहरों द्वारा 3690 करोड़ रुपए एकत्र किए जा चुके हैं तथा कई अन्य शहर ऐसा करने की तैयारी में हैं। 

यह वित्तीय तथा नगर निगम शासन को बेहतर बनाने में सहायता करेगा, शहरों को आत्मनिर्भरता की ओर केन्द्रित करेगा तथा नागरिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जरूरी सहायता प्रदान करेगा। पहले समय से जब नगर निगम दीवालिया था, जिनके पास फंड एकत्र करने की कोई योग्यता या क्षमता नहीं थी, टैक्स एकत्र करने प्रति बहुत कम झुकाव या क्षमता थी और सेवा की सुपुर्दगी के बहुत कम मापदंड थे, म्युनिसिपल बांडों की तैयारी करने तथा वित्त बढ़ाने की प्रदॢशत क्षमता प्रत्यक्ष परिवर्तन को दर्शाती है। माननीय प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता तथा विजन के कारण केंद्र सरकार की नीतिगत दखलअंदाजी ने शहरी केंद्रों में बसते हमारे नागरिकों की पूर्ण भलाई में सुधार लाया है। केंद्र सरकार के उद्देश्य हमारी शहरी स्थानीय संस्थाओं की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जबकि हमारे शहरों के लिए नई टैक्नोलाजी का लाभ उठाना तथा मार्कीट वित्त पहुंच योग्यता पैदा करना है। 

अमरुत मिशन हमारी कोशिशों का एक महत्वपूर्ण वाहक साबित हुआ है। इसने हाऊसिंग तथा शहरी मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत अन्य मिशनों की सफलता के माध्यम से प्रस्तुत किए गए विकास की उभरती संभावना को प्रकट किया है। एक महत्वपूर्ण सुधार मिशन शहरों की क्रैडिट रेटिंग है। क्रैडिट रेटिंग अभ्यास ने यू.एस. के खजाना विभाग तथा सेबी म्युनिसिपल बांड्स एडवाइजरी कौंसिल जैसे सांझीदारों की सहायता का भी लाभ उठाया। अब तक 485 अमरुत शहरों के लिए क्रैडिट रेटिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है, जिनमें से 469 शहरों के लिए कार्य पूरा हो चुका है। इनमें से 163 शहरों ने इन्वैस्टीबल ग्रेड रेटिंग (आई.जी.आर.) प्राप्त की है, जिनमें ए-या इससे अधिक की दर्जाबंदी वाले 36 शहर भी शामिल हैं, जो 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। 

शहरी स्थानीय संस्थाओं (यू.एल.बी.) द्वारा म्युनिसिपल बांड जारी करने को उत्साहित करना उनको वित्तीय स्रोतों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है जो जरूरी नागरिक बुनियादी ढांचे को सुधारने, स्थानीय महारत के निर्माण तथा सार्वजनिक-निजी सहयोग से नए मार्ग उपलब्ध करवाने में सहायता करेगा। शहरीकरण के मोर्चे पर ऐसे मील पत्थर को साइलोज में नहीं देखा जा सकता, क्योंकि हमारी पहुंच हमेशा नैटवर्क की गई है। भारतीय शहरों के लिए मार्कीट वित्त पहुंच योग्य बनाने के लिए किए जा रहे कार्य के अलावा हमने कागज रहित स्वीकृति तथा बिल्डिंग स्वीकृति जारी करने के माध्यम से स्वीकृति के कार्य में कारोबार को आसान बनाने हेतु 2057 शहरों में ऑनलाइन बिल्डिंग मंजूरी प्रणाली (ओ.बी.पी.एस.) की शुरूआत की है। 

क्षमता को और बढ़ाने के लिए अर्बन लॄनग इंटर्नशिप प्रोग्राम तथा स्मार्ट सिटी इनोवेशन चैलेंज भी पेश किया गया है जिसके परिणामस्वरूप वल्र्ड बैंक की ताजा डुइंग बिजनैस रिपोर्ट (डी.बी.आर.) में गत तीन वर्षों में भारत के ईज ऑफ डुइंग बिजनैस में 158 स्थानों की बेमिसाल उछाल दर्ज की गई है-2017 में 185 से 2020 में 27 तक। स्मार्ट सिटी मिशन (एम.सी.एम.) के अंतर्गत बनाए गए इंटीग्रेटिड कमांड तथा कंट्रोल सैंटर (आई.सी.सी.सी.) 47 शहरों में आपदा प्रबंधन रूम के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं। यह इस बात का कड़ा उदाहरण बन गई है कि हम भविष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य की ऐसी संकटकालीन स्थितियों से निपटने हेतु जी.आई.एस. मैपिंग तथा टैलीमैडिसिन सेवाओं जैसे तकनीकी समाधान कैसे कर सकते हैं? कोविड-19 महामारी ने घर की चारदीवारियों के भीतर तथा व्यक्तिगत स्तर पर सफाई के प्रति जागरूकता फैलाई। 

परिणामस्वरूप यह आज सरकार के नेतृत्व वाली एक पहलकदमी से एक ‘जन आंदोलन’ में बदल गया है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में इस परिवर्तन को अपनाया था जब उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत करते हुए कहा था, ‘न गंदगी करेंगे, न करने देंगे’। जैसे ही उपरोक्त प्रोग्रामैटिक इंटरवैंशंस परिपक्व हो जाती हैं, हमारे सभी नागरिकों के लिए एक गौरवपूर्ण, सुरक्षित तथा स्वस्थ भविष्य की गारंटी देती हैं कि बेहतरीन आना अभी बाकी है।-हरदीप सिंह पुरी(केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री)


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