स्टालिन अब राष्ट्रीय स्तर पर पैठ बनाने चले

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 03:58 AM (IST)

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 7 मई को अपने पद पर एक वर्ष पूरा कर लिया। वह अपने लोकप्रिय पिता तथा दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की छाया से बाहर निकल आए हैं। गत वर्ष राज्य को जीतने के बाद अब स्टालिन को मतदाताओं की आशाओं पर खरा उतरना है क्योंकि उन्होंने उस समय पदभार संभाला था जब तमिलनाडु में किसी करिश्माई नेता का अभाव था। 

दूसरे, तमिलनाडु सरकार का खजाना सेहतमंद अवस्था में नहीं है। तीसरे, 10 वर्षों के लिए सत्ता से बाहर रहने के बाद स्टालिन नीत डी.एम.के.  ने मतदाताओं से लम्बे-चौड़े वायदे किए तथा 2021 में सत्ता में लौटने में सफल रही। शपथ ग्रहण करने के बाद स्टालिन ने कहा था कि द्रमुक सरकार काम करेगी ताकि जिन्होंने इसके लिए मतदान किया था उन्हें इसकी कारगुजारी को लेकर खुशी मिले तथा जिन्होंने वोट नहीं दिया था उन्हें ऐसा न करने के लिए खेद हो। 

चुनौतियों का सामना करने के लिए बाध्य, स्टालिन ने पहले तीन माह कोरोना महामारी से निपटने में बिताए तथा अपनी कुछ विश्वसनीयता बनाने में सफल रहे। तमिलनाडु को अगले 2 महीने के लिए मूसलाधार वर्षा तथा बाढ़ का सामना करना पड़ा। इसलिए वह केवल बाकी के 7 महीनों के लिए विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर सके। उन्होंने कुछ वायदे पूरे किए हैं, जैसे कि महिलाओं के लिए नि:शुल्क बस यात्रा, बेघरों के लिए स्वास्थ्य देखरेख तथा शिक्षा। 500 की सूची में और वायदे पूरे करने अभी बाकी हैं जिनमें गृहिणियों के लिए प्रति माह 1000 रुपए का प्रावधान तथा हिरासत में मौतें शामिल हैं जो कानून लागू करने वाले कर्मचारियों पर केंद्रित हैं। 

स्टालिन अब एक राष्ट्रीय छवि हासिल करने को लेकर विश्वस्त हैं। चुनावी सफलता के अतिरिक्त द्रमुक ने 3 महीने पहले बड़े पैमाने पर शहरी निकाय चुनाव जीत कर अपनी स्थिति मजबूत की है। द्रमुक ने राष्ट्रीय राजनीति में पांव धरे हैं तथा राष्ट्रीय मोर्चे, संयुक्त मोर्चे, राजद तथा यू.पी.ए. सरकारों में भागीदारी की है। स्टालिन की महत्वाकांक्षाओं को लेकर कुछ भी गलत नहीं है। गत वर्ष में स्टालिन ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के (गुजरात माडल) के खिलाफ द्रविडिय़न मॉडल पेश किया। अपनी महत्वाकांक्षा बारे बताते हुए स्टालिन ने ट्वीट किया कि द्रविडिय़न माडल का लक्ष्य एक बेहतर तमिलनाडु का निर्माण करना है। 

दूसरे, राज्य स्तर पर गठबंधन की राजनीति में एक अच्छे वार्ताकार के तौर पर उभरे, उनका लक्ष्य इसे राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का है। वह राज्य में साम्यवादी पार्टियों तथा कांग्रेस सहित 12 पाॢटयों को एक साथ ला सकते थे। वह 2024 के चुनावों में एक भूमिका निभाना चाहेंगे तथा गैर भाजपा पार्टियों में एक प्रेरणादायक शक्ति बनना चाहेंगे जिनमें से कुछ कांग्रेस की आंखों में आंख डाल कर नहीं देखतीं। तीसरे, स्टालिन संघवाद तथा सामाजिक न्याय के विचारों को प्रोत्साहित करने में एक आक्रामक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक न्याय तथा संघवाद के सिद्धांत हासिल करने के लिए आल इंडिया फैडरेशन फार सोशल जस्टिस नामक संगठन का गठन किया है। 

चौथे, स्टालिन ने भाषा के भावनात्मक मुद्दे का इस्तेमाल तथा हिन्दी विरोधी भावनाओं को लागू किया है। द्रविडिय़न पाॢटयां आरोप लगाती हैं कि दिल्ली राज्य में हिन्दी थोपने का प्रयास कर रही है। इसकी भी एक पृष्ठभूमि है, जैसा कि पुराने लोगों का कहना है कि द्रमुक ने 60 के दशक में इस मुद्दे के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी। 

पांचवां तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण, स्टालिन ने श्रीलंका के साथ-साथ विदेश नीति के मोर्चे पर भी अपनी पहल दिखाई है। श्रीलंका इस समय अप्रत्याशित राजनीतिक तथा आॢथक संकट का सामना कर रहा है। स्टालिन ने न केवल श्रीलंकन तमिलों की मदद के लिए मोदी से मुलाकात की, बल्कि शरणार्थियों के आने को लेकर अपनी ङ्क्षचता भी जताई। तमिलनाडु हमेशा से श्रीलंका के संबंध में नीति में अपना महत्व चाहता है तथा केंद्र आमतौर पर तमिनलाडु के राजनीतिक दलों की भावना के साथ चलता है। 

स्टालिन ने हाल ही में विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करवाया तथा जनता से श्रीलंका के लिए अपनी इच्छानुसार दान देने की अपील की है। द्रमुक प्रमुख के तौर पर उन्होंने एक करोड़ रुपए दान देने की घोषणा की। उन्होंने घोषणा की कि तमिलनाडु सरकार पहले चरण में पड़ोसी देश को शीघ्र ही 40,000 टन चावल, 500 टन दूध पाऊडर तथा जीवन रक्षक दवाएं भेज रही है। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र ने राज्य की मानवतावादी पहल का समर्थन किया है। 

छठा, अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के एक हिस्से के तौर पर स्टालिन ने हाल ही में दिल्ली में द्रमुक कार्यालय का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि उनके लिए, भाजपा का विरोध करने वाली राज्यों की सभी पार्टियों को कांग्रेस तथा वामदलों से हाथ मिलाना चाहिए ताकि भाजपा के खिलाफ एक टीम बनाई जा सके। सातवां, अपने बढ़ रहे राष्ट्रीय कद को और बढ़ाने के लिए उन्होंने 28 फरवरी को अपनी पुस्तक जारी करने के लिए कई गैर भाजपा नेताओं को आमंत्रित किया। इनमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, डा. फारूक अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे तथा अन्य शामिल थे। 

स्टालिन ने कई मुद्दों पर केंद्र के खिलाफ संघर्ष छेड़ा है। वह वस्तुएं तथा सेवाएं कर के और महत्वपूर्ण हिस्से को सांझा करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने हेतु मुख्यमंत्रियों को प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षा को राज्य सूची में वापस लाने के लिए नीट चयन उपायों के खिलाफ प्रस्ताव तथा चिकित्सा शिक्षा में आरक्षण कुछ मुद्दे हैं। अभी तक पृष्ठभूमि में रहने वाले इस नेता ने निश्चित तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाई है। यद्यपि क्या किसी व्यक्ति की क्षमताओं बारे जानने के लिए एक वर्ष पर्याप्त है? निश्चित तौर पर नहीं लेकिन यह संकेत देता है कि उनकी सरकार किस दिशा में आगे बढ़ रही है।-कल्याणी शंकर
 


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