कोविड प्रतिबंधों में ढील के बावजूद चीन के औद्योगिक मुनाफे में मंदी

punjabkesari.in Monday, Jul 04, 2022 - 06:14 AM (IST)

चीन ने कोरोना महामारी की चौथी लहर के दौरान शून्य कोविड नीति का पालन किया, जिससे उसे आर्थिक रूप से बहुत बड़ी चोट लगी। अप्रैल के महीने में सख्त लॉकडाऊन के कारण औद्योगिक मुनाफे में भारी मंदी देखी गई, क्योंकि उस समय औद्योगिक विनिर्माण का काम पूरी तरह से रुका हुआ था, लेकिन लॉकडाऊन के नियमों को खत्म करने के बाद भी औद्योगिक मुनाफे में गिरावट का सिलसिला नहीं रुका। 

अगर अप्रैल महीने में चीन के औद्योगिक मुनाफे की बात करें तो इसमें पिछले वर्ष में इसी महीने की तुलना में 6.5 फीसदी गिरावट देखी गई। पिछले वर्ष अप्रैल महीने में इसमें 8.5 फीसदी की गिरावट देखी गई थी। ये ताजा आंकड़े नैशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी किए गए हैं। मई के महीने में जो जरा सुधार देखा गया था वो कोयले के खनन और तेल, गैस की निकासी में होने वाली बढ़ौतरी का नतीजा था, इसमें एक और वजह रूस-यूक्रेन युद्ध थी, जिस कारण वैश्विक स्तर पर वस्तुओं के दामों में बढ़ौतरी देखी जा रही थी। 

एन.बी.एस. के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल महीने में चीन के औद्योगिक लाभ में 22.4 फीसदी की गिरावट देखी गई, जो एक बहुत बड़ी थी। हालांकि कुल औद्योगिक उत्पादनों के लाभ में थोड़ा सकारात्मक रुख जरूर दिखा, लेकिन लगातार पिछले कुछ वर्षों के औद्योगिक आंकड़ों को देखा जाए तो पता चलेगा कि औद्योगिक लाभ में हर वर्ष लगातार मुनाफा कम होता जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण विनिर्माण लागत में इजाफा होना और उत्पादन और संचालन में लगातार परेशानियों का बने रहना दूसरा महत्वपूर्ण कारण है। 

गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने कहा कि अपस्ट्रीम और डाऊनस्ट्रीम क्षेत्रों के लाभ अनुपात के बीच का अंतर मई में कम हो गया, विभिन्न क्षेत्रों और फर्मों में मुनाफे का अंतर महत्वपूर्ण बना रहा। बावजूद इसके शंघाई में कुछ फैक्टरियों ने अपना काम दोबारा शुरू किया, लेकिन फिर शहर में लॉकडाऊन जारी हुआ, जिससे पहले से ही कमजोर रियल एस्टेट में डर का माहौल छा गया। उसके बाद लोगों में यह डर भी बैठ गया कि इस बार अगर फिर से कोरोना की लहर ने वापसी की तो क्या होगा। इसका नकारात्मक असर फैक्टरी के विनिर्माण पर पड़ा। उद्योगों में यह डर बैठ गया कि उनको होने वाला वित्तीय घाटा कैसे पूरा होगा। पूरे औद्योगिक क्षेत्र और विश्लेषकों में इस बात का डर बैठ गया कि क्या विश्व की दूसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था फिर से वापसी कर पाएगी? इसका नकारात्मक असर चीन के विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों में साफ तौर पर देखा गया। 

जहांं इस वर्ष के पहले 5 महीनों में ऑटो विनिर्माण के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों की संख्या में 37.5 फीसदी की कमी देखी गई, वहीं लौह धातु सैक्टर में 64.2 फीसदी की सीधी गिरावट देखने को मिली। इस वर्ष के पहले 5 महीनों में औद्योगिक क्षेत्र में कुछ सुधार जरूर दिखा लेकिन पहले की तुलना में यह लगातार गिरता जा रहा है। पहले 4 महीनों की लगातार गिरावट के बाद मई के महीने में औद्योगिक विनिर्माण के दोबारा शुरू होने से कुछ रिकवरी दिखी, लेकिन बहुत कमजोर खपत बनी रही।  स्टील, एल्युमीनियम और दूसरी जरूरी औद्योगिक वस्तुओं की मांग में कमी के कारण चीन के फैक्टरी उत्पादन में पिछले 14 महीनों से चल रही मंदी का सबसे बुरा असर मई के महीने में देखने को मिला, जब पूरे चीन में उत्पादन सबसे निचले स्तर पर रहा।

कुछ आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि कोविड महामारी खत्म होने की दिशा में प्रगति होने और तेल के दामों में और इजाफा न होने के चलते औद्योगिक रफ्तार बढ़ सकती है। चीन की कैबिनेट अर्थव्यवस्था को कोविड महामारी के कारण हुए नुक्सान की भरपाई के लिए राजकोषीय, वित्तीय, निवेश और औद्योगिक नीतियों में बदलाव कर सकती है, लेकिन जानकारों का मानना है कि जब तक चीन सरकार अपनी सख्त शून्य कोविड नीति को नहीं छोड़ती, तब तक चीन की अर्थव्यवस्था का 5.5 फीसदी की रफ्तार के लक्ष्य को हासिल करना लगभग असंभव है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार इस महीने चीन की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कुछ नीतियों की घोषणा कर सकती है, लेकिन वह अधिक पैसे खर्च करने से बचेगी। इन सब कारणों को देखते हुए लगता नहीं है कि चीन की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी से हुए नुक्सान की जल्दी भरपाई कर पाने में सक्षम है।


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