कोविड लॉकडाऊन के चलते शंघाई बंद, चीन को हो रहा बड़ा नुक्सान

punjabkesari.in Thursday, Apr 14, 2022 - 04:59 AM (IST)

चीन में इन दिनों कोरोना के ओमीक्रॉन वेरिएंट ने अपना कहर मचा रखा है जिसका असर आज भी चीन की आॢथक राजधानी शंघाई में देखने को मिल रहा है। शंघाई में रहने वाले कुछ भारतीयों से बात करने के बाद जो जानकारी हासिल हुई, उससे रौंगटे खड़े हो गए। वर्तमान में पूर्वी शंघाई का फु तुंग इलाका 5 दिनों के लिए बंद किया गया है, इसके बाद पश्चिमी शंघाई के फूशी इलाके को भी 5 दिनों के लिए बंद किया गया। फिर हानपू नदी के पश्चिमी छोर को बंद किया गया। इसके साथ पुलिस का सख्त पहरा लगा है जिससे कोई भी हानपू नदी को पार कर इधर से उधर न जा सके। 

चीन की शून्य कोविड नीति के कारण वहां पर लोगों को बहुत कुछ सहना पड़ रहा है। मात्र 4 घंटे के लिए कुछ चुने इलाकों में बाजार खोले गए थे जिससे लोग अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीद सकें, लेकिन ऐसे में लोगों ने ‘पैनिक खरीदारी’ शुरू कर दी, जिसकी वजह से समय खत्म होने से पहले ही सारा सामान खत्म हो गया। बाजार खुलते ही भारी भीड़ ने दुकानों पर एक तरह से धावा बोल दिया और सारा सामान मिनटों में खत्म। ऐसे ही एक चीनी शॉपिंग मार्ट युंगहुई में लोग सामान पर झपट रहे थे कि कहीं उन्हें मिलने से पहले ही सामान खत्म न हो जाए, सारे बाजार में भारी भीड़, शोर और ऊहापोह की हालत बनी रही। 

बाद में जो लोग आए, उन्हें न तो सब्जियां मिलीं, न चावल, दालें, तेल, मसाले, आटा, कुछ भी नहीं मिला। घर का जरूरी सामान खरीदने के लिए शंघाई के लोग आधी रात को अपने घरों से बाजार दौड़ पडे, बावजूद इसके कई लोग खाली झोला लेकर अपने घरों को वापस लौटे। बाजार से लौटे लोगों में से पता नहीं कितनों ने वायरस संक्रमण दिया होगा और कितनों ने लिया होगा। ऐसे हालात में महामारी का खतरा बढऩा लाजिमी है। 

फू शी इलाके में लॉकडाऊन लगने से पहले सरकार ने लोगों से कहा कि वे अपनी जरूरत का सामान खरीद लें, लेकिन लोग लॉकडाऊन से एक दिन पहले खाद्य पदार्थ खरीदने शॉपिंग मॉल पहुंचे तो उन्हें सारी शैल्फ खाली मिलीं, जिसके बाद वे सरकार से सवाल पूछते दिखे कि अगले चार दिनों तक वे क्या खाएंगे और बिना भोजन के कैसे रहेंगे? इसका सरकार के पास कोई जवाब नहीं। चीन सरकार की शून्य-कोविड नीति के चलते बहुत-से चीनियों को न तो समय से खाद्य सामग्री मिल रही है और न ही मैडीकल सुविधाएं। इससे लोगों के मन में चीन की कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध भारी असंतोष और अविश्वास पैदा हो गया है। 

शंघाई में रोजाना 13600 से भी अधिक कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, जिसे देखते हुए पूर्वी शंघाई के फू तुंग एक्सपो सैंटर को क्वारेंटाइन सैंटर में बदल दिया गया है। यहां पर 5000 लोगों को रखने की व्यवस्था की जा सकती है। फू तुंग में इस समय सड़कें वीरान हैं, गलियां सूनी हैं और लोग या तो अपने घरों में कैद हो गए हैं या फिर कोरोना सैंटर में भेज दिए गए हैं। यहां पर हालात भयावह बने हुए हैं। यहां पर मरीजों और पैसिव मरीजों को एक जगह रखा गया है। कई जगह कोरोना केंद्रों में खिड़कियों के बाहर लोहे की बल्लियां लगा दी गई हैं जिससे लोग अपनी खिड़कियां न खोल सकें। इससे हालात और खराब हो रहे हैं। 

बंद कमरों में जो सांस मरीज ले रहे हैं, वही सांस पैसिव मरीज भी ले रहे हैं और इससे पैसिव मरीज एक्टिव मरीज बन रहे हैं, यानी जो बीमार नहीं है, वह भी बीमार पड़ रहा है। इसके अलावा कोरोना केंद्रों में मरीजों को समय से न तो खाना मिल रहा है और न ही दवाएं, उन्हें जैसा खाना मिल रहा है, वह उन्हें खाना पड़ रहा है। इन केंद्र्रों पर खाने के लिए मरीजों को घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है। कई ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें अभी तक बिस्तर नसीब नहीं हुआ। वे लोग मजबूरी में जमीन पर कार्डबोर्ड बिछाकर सोने को मजबूर हैं। 

शंघाई एक्सपो सैंटर में कई ऐसे मरीज भी हैं, जिन्हें कोरोना के लक्षण नहीं हैं और बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो कोरोना मरीज हैं, ये दोनों ही समूह यहां पर एक साथ रह रहे हैं। ये समूह में सोते हैं, समूह में सुबह दांत साफ करते और हाथ-पैर, चेहरे धोते हैं, समूह में खाना खाते हैं। ऐसे में जिन्हें अभी कोरोना नहीं है उन्हें भी कोरोना हो रहा है। यह हालत बहुत खतरनाक है। यहां पर खिड़कियां नहीं खोली जा रहीं, जिससे ताजी हवा अंदर नहीं आ रही और मरीजों के साथ वे लोग भी उसी हवा में सांस ले रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इससे मरीजों की संख्या में तेज बढ़ोतरी होना तय है। चीन इस समय जीरो-कोविड पॉलिसी का पालन कर रहा है, लेकिन इससे बहुत सारे लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। 

शंघाई में बहुत-से लोग बाहर से आकर काम करते और रहते हैं। कोरोना महामारी के दोबारा फैलने के बाद उन मजदूरों की हालत बहुत खराब है जिन्हें उनके गांव नहीं जाने दिया जा रहा। वे शंघाई में जहां भी जाते हैं, उनसे 48 घंटे पहले हुए नुक्लेइक एसिड टैस्ट की रिपोर्ट मांगी जाती है। रिपोर्ट नहीं देने पर उन्हें उस इलाके में घुसने तक नहीं दिया जाता। काम बंद होने से उन्हें पैसे भी नहीं मिल रहे। बाजार बंद हैं, इन्हें खाने-पीने का कोई सामान नहीं मिल रहा। नई नौकरी भी नहीं मिल रही। ऐसे में ढेर सारे मजदूर, जो चीन के भीतरी गांवों और छोटे कस्बों से आकर शंघाई में बसे हैं, उनका हाल पूछने वाला कोई नहीं। 

शंघाई पूरे चीन के सकल घरेलू उत्पाद में अपना 3.8 फीसदी योगदान देता है। यह शहर चीन की आर्थिक राजधानी है। यहां से पूरे चीन की आर्थिक और सामाजिक तरक्की की गतिविधियां चलाई जाती हैं। लॉकडाऊन के कारण शंघाई का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद है। इसके अलावा टेस्ला कार कंपनी को अपना उत्पादन बंद करना पड़ा। चीन की अंतर्राष्ट्रीय और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंटेनर और शिपिंग कंपनी माएस्र्क में भी काम बंद है। इन सभी के बंद होने से चीन को बहुत बड़ी आर्थिक चपत लग रही है। 


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