यूक्रेन पर रूस के हमले से महंगाई पर पड़ेगा गहरा असर

punjabkesari.in Thursday, Mar 03, 2022 - 04:48 AM (IST)

यद्यपि यूक्रेन पर रूस का हमला भारत से हजारों किलोमीटर दूर हो रहा है, हमले का असर न केवल पूरे देश में महसूस किया जाएगा बल्कि किसी न किसी रूप में यह प्रत्येक भारतीय नागरिक को भी प्रभावित करेगा। जहां भारतीय अर्थव्यवस्था गलत सलाह पर लागू की गई नोटबंदी तथा जी.एस.टी. और फिर लम्बी चली कोविड महामारी के कारण पहले से ही गिरावट का सामना कर रही है, ऐसी आशा की जा रही थी कि अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौट आएगी। नवीनतम आधिकारिक आंकड़े  दर्शाते हैं कि जी.डी.पी. की वास्तविक वृद्धि इतनी अच्छी नहीं रही जितनी कि आशा थी। 

अर्थव्यवस्था में योगदान डालने वाले विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घकाल में जहां धीरे-धीरे वृद्धि की आशा की जा रही है, इन पर निश्चित तौर पर रूस पर जारी हमले तथा उस पर पश्चिमी देशों द्वारा की जा रही प्रतिक्रिया का असर पड़ेगा जो महंगाई में और अधिक वृद्धि लाने का कारण बनेगा। भारत अपने 80 प्रतिशत से अधिक पैट्रोलियम उत्पादों का आयात करता है और इनकी वैश्विक कीमतों में तीव्र वृद्धि होने की आशंका है जिससे जीवन के सभी पहलुओं पर प्रभाव पडऩे की आशा है। 

वैश्विक खाद्य कीमतें पहले ही काफी बढ़ चुकी हैं क्योंकि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने गेहूं तथा मक्के की आपूॢत में बाधा डालने का खतरा पैदा कर दिया है। दोनों देश वैश्विक स्तर पर गेहूं के 29 प्रतिशत तथा मक्के के 19 प्रतिशत का योगदान डालते हैं। वे विश्व के सूरजमुखी के तेल के निर्यात में भी 80 प्रतिशत का योगदान डालते हैं। ऊंची कीमतों, कमजोर चालू खाते तथा वित्तीय संतुलनों और आर्थिक वृद्धि के संकुचन के रूप में असर अधिकतर सभी वस्तुओं पर महसूस किया जाएगा, विशेषकर खाद्य वस्तुओं तथा ईंधन पर। 

कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें पहले ही 105 डालर प्रति बैरल को पार कर चुकी हैं तथा इनके और ऊपर जाने की संभावना है। यद्यपि पैट्रोलियम उत्पादों की कीमतें गत कुछ सप्ताहों से नहीं बढ़ाई गई हैं, इनके उत्तर प्रदेश में मतदान समाप्त होने के बाद तेजी से बढऩे की आशंका जताई जा रही है। इसकी कीमतों में वृद्धि के परिणामस्वरूप परिवहन की लागतें बढऩा लाजिमी हैं जो बदले में सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित करेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट समाप्त होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों के नीचे आने की संभावना है लेकिन आमतौर पर यह देखा गया है कि अन्य वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतें नीचे नहीं आतीं। 

एक विशेषज्ञ रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में प्रति 10 प्रतिशत की वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत की जी.डी.पी. में 0.2 प्रतिशत प्वाइंट्स की कमी आएगी। बदले में यह ऊंची कीमतों में योगदान देगी। पैट्रोलियम कीमतों में तीव्र वृद्धि की आशा के अतिरिक्त यूक्रेन संकट का अन्य आयातों पर बड़ा विपरीत असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए देश की सूरजमुखी के तेल की जरूरतों का 75 प्रतिशत से अधिक यूक्रेन से आयात किया जा रहा था। पश्चिमी देशों द्वारा रूस के साथ वित्तीय लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर भी काफी असर पडऩे की आशंका है। 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन.एस.ओ.) द्वारा इस सप्ताह के शुरू में जारी किए गए आंकड़े के अनुसार 2021-22 के दौरान जी.डी.पी. में वृद्धि का अनुमान 8.9 प्रतिशत लगाया गया है जो वर्तमान वर्ष के लिए दर्शाई गई 9.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में है। आंकड़े दर्शाते हैं कि आर्थिक रिकवरी यूक्रेन संकट से पहले ही धीमी हो गई थी। युद्ध वृद्धि की संभावनाओं को और धूमिल कर देगा। 

तेल के साथ-साथ लड़ाकू विमानों, बख्तरबंद वाहनों तथा असाल्ट राइफलों सहित रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर हमारी अत्यंत निर्भरता को देखते हुए भारत के लिए यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाना कठिन बन गया है। यूक्रेन संकट ने एक बार फिर भारत के आत्मनिर्भर बनने तथा यह देखने के लिए कि अन्य देशों पर इसकी निर्भरता न्यूनतम हो, की जरूरत को रेखांकित किया है। कीमतों में संभावित वृद्धि के साथ बढ़ती बेरोजगारी देश के लिए एक बुरा समाचार है।-विपिन पब्बी
 


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