चीनी परियोजनाओं को लेकर बंगलादेश में बवाल, खत्म हो रही ड्रैगन की साख

punjabkesari.in Monday, Jun 20, 2022 - 06:29 AM (IST)

बंगलादेश में चीन अपनी कई परियोजनाएं चला रहा है, जिनमें बड़े बिजलीघर, बड़े सेतु, सीवेज ट्रीटमैंट प्लांट, इकोनॉमिक जोन, सिलहट में हवाई अड्डे के अलावा कई हाईवे और रेलवे लिंक बना रहा है। पद्मा नदी पर ब्रिज रेल लिंक परियोजना भी चीन के हिस्से आती है, जो 3.3 अरब डॉलर की है जिसमें 85 फीसदी धन चीन द्वारा निवेश किया गया है। लेकिन बंगलादेश में चीन और चीनी परियोजनाओं को लेकर भारी आक्रोश है। 

पिछले महीने पिरोजपुर के मथबरिया क्षेत्र में चीनी परियोजना के तहत एक बांध के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों और चीनी मजदूरों के बीच झड़प हो गई, जिसमें बताया जा रहा है कि 1000 से ज्यादा लोग शामिल थे। चीनी लोगों ने स्थानीय लोगों द्वारा उन पर हमले के झूठे आरोप लगाए, जिसके विरोध में स्थानीय लोगों ने मानव शृंखला बनाई और खुलकर चीन का विरोध किया। चीनी पक्ष द्वारा यह बताया गया कि मथबरिया क्षेत्र में बांध निर्माण के काम में स्थानीय लोगों ने बाधा डाली, जिसके बाद उन्होंने चीनी मजदूरों पर हमला भी किया था। 

स्थानीय लोगों ने शांतिपूर्ण रैली निकाली और चीनी लोगों को हमलावर दिमाग वाला चीनी व्यापारी बताया। यह भी कहा कि देश आगे बढ़ रहा है लेकिन यह चीन को पसंद नहीं, इसलिए चीनी लोग हमारे देश में ढेर सारी दिक्कतें पैदा कर रहे हैं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले स्थानीय बंगलादेशी लोगों ने कहा कि अगर चीनी लोगों ने उन पर लगाए झूठे आरोपों को वापस नहीं लिया तो ये लोग भविष्य में विरोध को तेज करेंगे। साथ ही इन्होंने चीनी दूतावास को आगाह किया कि वह चीनी इंजीनियरों, मजदूरों और दूसरे श्रमिकों को यह बात समझाएं कि उनके द्वारा आगे से ऐसी कोई हरकत न हो। 

दरअसल मई के महीने में मथबरिया में एक परियोजना के तहत जमीन के चीनी अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोगों ने काम को रोक दिया था। इसके बाद चीनी मजदूरों की स्थानीय लोगों से झड़प हो गई, जिसके बाद चीनी कंपनी ने पुलिस पर दबाव डाल कर स्थानीय लोगों के खिलाफ हिंसा का मुकद्दमा दर्ज कर दिया। अपने ऊपर चीनी कंपनी द्वारा लगाए गए इन आरोपों को स्थानीय लोग फर्जी बताते हुए अब सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 

बंगलादेश में चीन के खिलाफ माहौल बनता जा रहा है। बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि जिस तरह से चीन से कर्ज लेने के बाद श्रीलंका में आर्थिक बदहाली बढ़ी है, उससे बंगलादेश में चीन को लेकर संशय और शंका दोनों में बढ़ोतरी हुई है। इन दोनों ही देशों में जो एक बात समान है, वह यह कि दोनों ने ही चीन से कर्ज लिया है। बंगलादेशी जानकार कह रहे हैं कि कहीं आने वाले समय में इस कारण बंगलादेश में भी आर्थिक संकट खड़ा न हो जाए। बंगलादेशी मीडिया में भी श्रीलंका का उदाहरण देते हुए आने वाले दिनों में बंगलादेश के भी उसी राह पर अग्रसर होने की आशंका जताई गई है। इसे देखते हुए चीन को यहां टिके रहने में कोई परेशानी न हो इसलिए चीन को एक स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा है। बंगलादेश में चीनी राजदूत लीजमिंग ने एक संवाददाता सम्मेलन बुला कर कहा कि बंगलादेश चीन के किसी भी तरह के कर्ज के जाल में नहीं है। 

वहीं दूसरी तरफ बंगलादेशी बुद्धिजीवी वर्ग को लग रहा है कि श्रीलंका की तर्ज पर आने वाले दिनों में चीन बंगलादेश को भी अपने कर्ज के जाल में फंसाएगा। बंगलादेश के कुलीन वर्ग में चीन का खुला विरोध हो रहा है, तो वहीं किसान और श्रमिक भी चीनी परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। खासकर ग्रामीण लोग चीनी परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन चीन को नहीं देना चाहते। 

बंगलादेशी लोग चीन पर परियोजनाओं में मनमानी करने और बंगलादेश के कानून की धज्जियां उड़ाने का भी आरोप लगा रहे हैं। चीन का विरोध बंगलादेश में सिर्फ एक जगह पर नहीं हो रहा, बल्कि धीरे-धीरे यह आग भड़कते हुए कई जगहों पर पहुंच गई है, जिसे देखते हुए लग रहा है कि चीन जितना ज्यादा समय बंगलादेश में बिताएगा, उतने ही बुरे दिन देखेगा। बंगलादेश और चीन के इस खेल में सबसे ज्यादा नुक्सान बंगलादेश के किसानों का हो रहा है, क्योंकि जमीन बेचने के बाद किसान सिर्फ मजदूर बन कर रह जाता है। यह मजदूरी भी चीन उस से छीन रहा है, क्योंकि अपनी परियोजनाओं के लिए चीन मजदूर अपने देश से ही लाता है। बहुत कम जगहों पर चीन बंगलादेशी मजदूरों का इस्तेमाल कर रहा है। 

अब देखना यह है कि इस हालत में चीन अपनी कितनी परियोजनाएं पूरी कर पाता है, क्योंकि पाकिस्तान का उदाहरण हमारे सामने है, जहां पर 5 वर्ष में पूरी होने वाली 27 परियोजनाओं में से 10 वर्षों में सिर्फ 9 परियोजनाएं ही पूरी हो पाई हैं और वे सब भी सिर्फ बिजली परियोजनाएं हैं। इसके बाद चीन ने पाकिस्तान में दिलचस्पी लेनी छोड़ दी है। इस बात का डर है कि कहीं आने वाले दिनों में यह हाल बंगलादेश का न हो जाए।


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