‘लोकल टू ग्लोबल’ रोजगार के लिए सही स्किल की दरकरार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 03, 2021 - 03:33 AM (IST)

कोरोना महामारी के मामलों की घटती संख्या के साथ देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार में सुधार के संकेत हैं। हालांकि नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी 2020-21 के सस्टेनेबल डिवैल्पमैंट गोल्स (एस.डी.जी.) इंडैक्स यानी सतत विकास लक्ष्य सूंचकांक के मुताबिक पंजाब के 15 से 59 वर्ष आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत दर 6.2 प्रतिशत है। बेरोजगारों को रोजगार के तमाम प्रयासों के बीच एक ऐसा स्किल मॉडल विकसित करने की जरूरत है जो  बिजनैस कम्युनिटी की अपेक्षाओं को पूरा कर सके। उनको रोजगार की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए उन्हें ऐसे तकनीकी स्किल की जरूरी है जिससे वे देश-विदेश में रोजगार पा सकें। 

स्किल डिवैल्पमैंट के जो कोर्स देश में कराए जा रहे हैं उनसे यहां रोजगार पाने की संभावना सीमित है तो विदेशों में रोजगार पाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। केंद्र व राज्य सरकारों को प्रतिभा का एक ऐसा सांझा मंच बनाने की जरूरत है जहां ऐसे स्किल कोर्स शुरू किए जाएं, जिनकी विदेशों में आवश्यकता है। इस कमी को पूरा करने के लिए हमारे टैक्नीकल इंस्टीच्यूट्स और यूनिवर्सिटीज को विदेशी इंस्टीच्यूट व वहां की एम्प्लॉयर कंपनियों के साथ तालमेल बैठाना चाहिए। 

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा लाभ और रोजगार की बहाली के साथ रोजगार के नए अवसर बढ़ाने के लिए एम्प्लॉयर्स को प्रोत्साहन देने के लिए अक्तूबर 2020 में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (ए.बी.आर.वाई.) शुरू की। इसके अलावा कुछ स्किल स्कीम्स का भी पुनर्गठन किया गया है, पर बेरोजगारी की समस्या जस की तस है।

उदाहरण के लिए कोरोना के समय शहरों से गांव की ओर ‘रिवर्स माइग्रेशन’ के बाद सामने आई स्किल व बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार की पिछले साल शुरू हुई गरीब कल्याण रोजगार योजना (जी.के.आर.वाई.) के अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए क्योंकि यह जरूरतमंद लाभाॢथयों तक पहुुंची ही नहीं। यह प्रणालीगत समस्या भारत में ‘टेलैंट ईकोसिस्टम’ को प्रभावित करती है। एक युवा को अपने लिए रोजगार के अवसर खोजने के लिए कहां और कैसे जाना चाहिए, कहां ट्रेनिंग लेनी चाहिए, उसके लिए किस तरह की नौकरियां खुली होंगी? आज कई युवाओं की कहानियां ऐसी हैं जिनके पास अपने जीवन को बेहतर बनाने का एक मजबूत अभियान और इरादा है पर उन तक उनकी पहुंच नहीं है। 

चुनौती : वर्तमान में जिस बड़ी चुनौती का सामना हमारे बेरोजगारों को करना पड़ रहा है वह है ‘टेलैंट पूल’ का अभाव, जिसमें नौकरी चाहने वालों, नौकरी देने वालों और स्किल डिवैल्पमैंट चाहने वालों व स्किल ट्रेङ्क्षनग देने वालों के बीच तालमेल जरूरी है। सही स्किल की तलाश करने वाले उम्मीदवारों को विश्वसनीय स्किल डिवैल्पमैंट कराने वालों से जुडऩा मुश्किल होता है, वहीं प्रमाणित ट्रेङ्क्षनग के पास अक्सर उन्हें रोजगार योग्य बनाने के लिए जरूरी स्किल नहीं होती। भारत के सबसे बड़े स्किल डिवैल्पमैंट प्रोग्राम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के. वी.वाई.) का डाटा इस तथ्य की गवाही देता है कि पिछले कुछ वर्षों में इसके तहत प्रशिक्षित 4 व्यक्तियों में से केवल एक को ही रोजगार मिला। 

भविष्य के रोजगार का सही आकार : टैक्नोलॉजी रोजगार बाजार की कमी को पूरा कर सकती है। हालांकि पहले से ही, कई एम्पलॉयर्स  डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए भर्ती कर रहे हैं। ‘पंजाब जॉब पोर्टल’ जैसी राज्य स्तरीय रोजगार पहल महत्वपूर्ण है। ‘ब्ल्यू’ और ‘ग्रे’ कॉलर श्रमिकों को रोजगार के लिए केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय खुले ‘डिजिटल ईकोसिस्टम’ के रूप में ‘इंटरऑपरेबिलिटी’ की सुविधा व पूरे डिजिटल ईकोसिस्टम को एक साथ लाने के लिए ‘उन्नति’ प्लेटफॉर्म को ‘प्लेटफॉर्म केप्लेटफार्म’ के रूप में स्थापित किया गया है। 

मजबूत ‘टेलैंट नोड’ : ‘टेलैंट नोड’ लागू करने के लिए कई कठिन चुनौतियों के नए समाधान की जरूरत है। पहला मसला मौजूदा उपलब्ध स्किल का वेरीफिकेशन है, एक ऐसी समस्या जिसे हल करना कठिन रहा है। हालांकि यह विश्वविद्यालय या कॉलेज की डिग्री के लिए काम कर सकता है, ग्रे कॉलर नौकरियों के लिए स्किल ट्रेङ्क्षनग की पुष्टि करना मुश्किल है। इसके लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के और मानकीकरण और प्रमाणन की आवश्यकता होगी। इसे केंद्रीय स्किल डिवैल्पमैंट मंत्रालय ने राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों के माध्यम से हाल ही में शुरू किया है।

सबसे बड़ा मसला स्किल्ड मैनपावर की यूनिवर्सल एक्सैस का है। भारत के अनौपचारिक सैक्टर में जनसंख्या का लगभग 93 प्रतिशत हिस्सा कार्यरत है। पंजाब जैसे राज्य में कॉमन सॢवस सैंटर (सी.एस.सी.) का इस्तेमाल सही टेलैंट तक पहुंचने में किया जा सकता है। इसके सही इस्तेमाल से 5 से 8 करोड़ लोगों को नई नौकरियों की उम्मीद की जा सकती है, जो उनकी स्किल से बेहतर मेल खाती हों। एक ‘इंटरकनैक्टेड ईकोसिस्टम’ के माध्यम से लाखों लोगों की ‘लोकल से ग्लोबल’ रोजगार पाने की आकांक्षाओं को  पूरा करने के अवसर बढ़ाएंगे। सोनालीका ग्रुप के वाइस चेयरमैन, कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन) -अमृत सागर मित्तल 


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