अभी विकास से अधिक महामारी पर ध्यान जरूरी

punjabkesari.in Thursday, Jun 03, 2021 - 03:19 AM (IST)

इन दिनों कोविड-19 की दूसरी घातक लहर पर प्रकाशित हो रही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि अभी भारत के लिए विकास दर बढ़ाने से अधिक महामारी पर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी है। विभिन्न रिपोर्टों में दो विशेष बातें रेखांकित हो रही हैं। 

एक, कोरोना की दूसरी लहर से भारत में आर्थिक से अधिक मानवीय संकट निर्मित हुआ है, अतएव मानवीय दुख-दर्द को कम करने के लिए व्यापक राहतों की जरूरत है। दो, देश के विभिन्न प्रदेशों में लगाए गए लॉकडाऊन के बाद अनलॉक की प्रभावी रणनीति जरूरी है, ताकि कोरोना महामारी को पूरी तरह से मात दी जा सके। साथ ही अब सरकार के द्वारा स्वास्थ्य ढांचा और टीकाकरण पर अधिक व्यय किया जाना होगा। 

हाल ही में जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच आॢथक से अधिक मानवीय संकट है। ऐसे में आर्थिक के साथ-साथ मानवीय उपायों से कोरोना की दूसरी लहर के सबसे बुरे दौर की पीड़ाओं को कम किया जा सकेगा, इसी तरह रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी लहर में संक्रमण के मामले अधिक हैं मानवीय पीड़ाएं बढ़ी हैं और मौतें भी अधिक हुई हैं। 

ऐसे में सर्वाधिक प्रभावित वर्गों के लिए राहत के अधिक उपाय सुनिश्चित किए जाने जरूरी हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में हाल ही में लाकडाऊन के कारण प्रवासी मजदूरों की बढ़ती बेरोजगारी और बढ़ते पलायन पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिक और गरीब वर्ग को राहत देने के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को आदेश जारी किए हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और आर.बी.आई. ने महामारी की दूसरी लहर के बीच विभिन्न प्रभावित वर्गों की मदद के लिए कुछ कदम अवश्य आगे बढ़ाए हैं। केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के लिए एक बार फिर मई 2021 से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की है। 

किन्तु अभी लाकडाऊन के कारण रोजगार गंवाने वाले प्रभावित लोगों के लिए राहत के कदम जरूरी हैं। मनरेगा के तहत आबंटन बढ़ाया जाना भी जरूरी है। अभी भी स्वास्थ्य ढांचे के सुधार, टीकाकरण खर्च में वृद्धि और कमजोर वर्ग को महामारी से बचाने के लिए व्यापक राहतों की जरूरत बनी हुई है। 

गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना की दूसरी घातक लहर के बीच संक्रमण को रोकने के लिए अप्रैल और मई 2021 में स्थानीय स्तर पर उपयुक्तता के अनुरूप लाकडाऊन लगाए गए हैं। अब विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लाकडाऊन खोला जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। ऐसे में अब अनलॉक करने की प्रक्रिया बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ाई जानी होगी। 

इन दिनों वैश्विक स्तर पर दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संक्रमण के नियंत्रण हेतु लगाए गए लॉकडाऊन के बाद अनलॉक किए जाने संबंधी विभिन्न शोध अध्ययन रिपोर्टों में कहा गया है कि अनलॉक की हड़बड़ी और कठोर नियंत्रण की कमी फिर से भारी पड़ सकती हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, इटली समेत कई देश इस बात की नजीर हैं कि संक्रमण के पूर्ण काबू में आने से पहले प्रतिबंध हटाना घातक साबित हुआ है। 

अब देश के विभिन्न राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया में किसी भी जल्दबाजी से बचते हुए उद्योग-कारोबार को र तार देने और रोजगार अवसर बढ़ाने के लिए रणनीतिपूर्वक बाजार खोले जाने होंगे। नि:संदेह उद्यमियों और कारोबारियों को यह ध्यान रखना होगा कि शहर खुलते ही बाजारों में भीड़ बढ़ेगी, अतएव दुकानों पर आने वाले ग्राहकों के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ दो गज की दूरी बनाकर रखे जाने की अनिवार्यता हो। साथ ही जहां दुकानदार के लिए मास्क पहनने के साथ-साथ वैक्सीन का प्रमाणपत्र अनिवार्य हो। 

चूंकि अभी भी लोग टीकाकरण से हिचक रहे हैं, अतएव सरकार के साथ-साथ सामाजिक कार्यकत्र्ताओं की जि मेदारी बन गई है कि वे वैक्सीन के लिए लोगों को प्रेरित करें और वैक्सीनेशन प्रक्रिया में हरसंभव मदद करें। कमजोर समूहों का हरसंभव टीकाकरण हो तथा प्रतिबंधों व लॉकडाऊन में ढील देते समय यह महत्वपूर्ण आधार रहे। सबसे कमजोर आबादी समूह में तेज टीकाकरण की जरूरत है, ताकि संक्रमण की र तार बढऩे के बावजूद मौतें कम से कम हों। 

हम उम्मीद करें कि विभिन्न राज्यों के द्वारा महामारी को पूर्णतया समाप्त करने के लिए लॉकडाऊन को खोलने की प्रक्रिया में स्थानीय जरूरतों के साथ-साथ वैश्विक अध्ययन रिपोर्टों में आ रहे रणनीतिक सुझावों पर अवश्य ध्यान दिया जाएगा। हम उ मीद करें कि अभी सरकार अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ाने से अधिक महामारी से निर्मित दुख-दर्दों को कम करने के लिए विशेष आर्थिक राहत पैकेज दिए जाने, स्वास्थ्य ढांचे एवं टीकाकरण पर ज्यादा खर्च किए जाने और देश को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने पर ध्यान केन्द्रित करेगी।-डॉ. जयंतीलाल भंडारी


 


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