‘हरियाणा के युवाओं को सामाजिक और आर्थिक न्याय देगा आरक्षण अधिनियम’

punjabkesari.in Tuesday, Mar 09, 2021 - 03:50 AM (IST)

भौगोलिक रूप से हरियाणा प्रदेश भारत का सिर्फ 1.8 और जनसंख्या के हिसाब से 2.9 हिस्सा है। लेकिन सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप में देश की तरक्की और समृद्धि में हरियाणा का योगदान बहुत ज्यादा है। लगभग 2 प्रतिशत आबादी और भूभाग के बावजूद देश की जी.एस.टी. में हरियाणा का योगदान 4.7 प्रतिशत रहा है। 

जब देश का प्रति व्यक्ति जी.एस.टी. राजस्व 9370 रुपए है तो हरियाणा का प्रति व्यक्ति जी.एस.टी. राजस्व 21745 रुपए है जो देश की दर से दोगुने से भी ज्यादा है। रक्षा सेवाओं जैसे कि आर्मी, नेवी, एयरफोर्स आदि किसी में भी हरियाणा की भागीदारी 10 प्रतिशत से कम नहीं है। शिक्षा, तकनीक, सामान्य सेवाओं, खेलों के क्षेत्र में तो ये भागीदारी और भी कई गुणा बढ़ जाती है। 

गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत आदि जिलों ने लाखों एकड़ जमीन देकर, हजारों एकड़ जमीन में घर, हाईवे, कारखाने, कार्यालय बनवाकर हरियाणा में न सिर्फ देश की राजधानी का बोझ कम किया बल्कि ट्रैफिक जाम आदि की समस्याओं से मुक्ति दिलवाई है। लेकिन देश के विकास, गौरव और सुविधाओं में इतना बड़ा योगदान देने के बावजूद हरियाणा अपने नागरिकों की आॢथक, सामाजिक सुरक्षा की रक्षा करने में पीछे रहा है। एक तरफ जहां हरियाणा प्रति व्यक्ति जी.एस.टी. राजस्व देने में सबसे आगे रहा है, वहीं आश्चर्यजनक बात ये है कि बेरोजगारी की दर में भी हरियाणा सबसे ऊपर आ गया है।  दूसरे राज्यों के लोगों को रोजगार, घर सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने वाले हरियाणा राज्य में बेरोजगारी दर सी.एम.आई.ई. के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 में 26.05 प्रतिशत थी तो सितम्बर 2020 में 33.5 प्रतिशत जो देश की दर से बहुत ज्यादा है। 

आर्थिक रूप से इतनी मजबूती देने वाले हरियाणा राज्य की बेरोजगारी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पिछले दो दशक में लाखों एकड़ जमीन अधिग्रहण करके जो कारखाने, कम्पनियां हरियाणा में लगीं उनमें हरियाणा के मूल निवासी तो 15 प्रतिशत से भी कम हैं और 1 लाख रुपए सैलरी जैसी पोस्ट वाली बड़ी नौकरियों में तो यह प्रतिशत 1 से भी नीचे है। विभिन्न सर्वे के अनुसार गुरुग्राम जैसे शहर की आबादी का 25 प्रतिशत भी हरियाणा के मतदाता नहीं हैं। हरियाणा में बेरोजगारी दर का इतना बढऩा और हरियाणा के युवाओं को नौकरियों से वंचित रखना कई सवाल खड़े करता है और इन सबका जवाब हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देकर ही दिया जा सकता था। 

नवम्बर 2020 में हरियाणा विधानसभा में पास हुए 75 प्रतिशत  आरक्षण बिल को राज्यपाल की अनुमति के बाद  2 मार्च 2012 को  सरकारी राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया। अधिनियम का सैक्शन 3 सभी कम्पनियों, सोसाइटी, फर्म, एल.एल.पी. आदि (जहां 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं) को बाध्य करता है कि वे ऐसे सभी कर्मचारियों की जानकारी सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध करवाएं जिनकी मासिक आय 50 हजार रुपए से कम है। ऐसा न करने पर सैक्शन 11 के अनुसार 25 हजार रुपए से एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। 

सैक्शन 4 के अनुसार ये जरूरी है कि अधिनियम लागू होने के बाद 50 हजार रुपए से नीचे की आय वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत लगने वाले कर्मचारी हरियाणा के स्थायी निवासी हों, ऐसा न करने पर पचास हजार से दो लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है जो 1000 प्रतिदिन बढ़ाया भी जा सकता है। अधिनियम के अन्य प्रावधानों के उल्लंघन पर 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। सैक्शन 5 के अनुसार कुशल और योग्य कर्मचारी न मिलने की स्थिति में 75 प्रतिशत आरक्षण में छूट दी जा सकती है। 

कुछ लोग हरियाणा सरकार द्वारा पास किए 75 प्रतिशत आरक्षण अधिनियम की संवैधानिकता पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन ‘हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमैंट ऑफ लोकल  कैंडिडेट  एक्ट’ पूर्ण रूप से संवैधानिक  है और संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। इस तरह 75 प्रतिशत आरक्षण अधिनियम एक तरफ रोजगार देकर हरियाणा के युवाओं को सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान करेगा, दूसरी तरफ प्रति व्यक्ति व्यय  बढ़ाकर, उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाकर, सौहार्द का माहौल बनाकर देश के आर्थिक विकास में और बढ़-चढ़कर योगदान देगा।-दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री (हरियाणा) 


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