घाटी में चल रहीं ‘किराए के दंगों’ की दुकानें

punjabkesari.in Sunday, Dec 08, 2019 - 01:22 AM (IST)

जम्मू तथा कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद लगाई गई सख्त पाबंदियों के बीच बेहद सनसनीखेज खुलासा हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया था कि घाटी में अब शांति फैल चुकी है। जम्मू-कश्मीर में नई दिल्ली के उपायों की अंतर्राष्ट्रीय आलोचना से भी पर्दा उठाया गया है। कुछ कथित भड़काने वाले लोगों ने देश की राजधानी नई दिल्ली में चैनल को रहस्योद्घाटन किया है कि घाटी में किराए के दंगों की दुकानें बड़े जोर-शोर से चल रहीं हैं। 

गंदरबल से एक स्थानीय क्रिकेटर फयाज अहमद भट्ट ने एक अंडर कवर रिपोर्टर को बताया कि यदि उसके आदमियों को धन मुहैया करवाया जाए तो श्रीनगर के साथ लगते इलाकों में वह अराजकता फैला सकता है जिसमें पुलिस वाहनों पर पथराव, सड़कों को जाम करना प्रमुख तौर पर शामिल हैं। इसके लिए मुखौटाधारी युवक उपलब्ध करवाए जा सकते हैं और यह सब कुछ पुलिस के सख्त पहरे के बावजूद भी हो सकता है। ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस को फायरिंग के लिए बुलाया जा सकता है। 10 से 15 युवक आएंगे तथा इस क्षेत्र में उग्र प्रदर्शन करेंगे। उनके चेहरों पर पैलेट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

20 दिनों के कार्य के लिए एक करोड़ रुपए
जुम्मे की नमाज के बाद ये लोग आर्टीकल 370 को लेकर नमाजियों को उकसा सकते हैं। इसके लिए आपको किसी की अनुमति नहीं लेनी पड़ती, आप सिर्फ इमाम के माध्यम से ये सब कर सकते हैं। मस्जिदों की अपनी प्रबंधक कमेटी होती है। फयाज का कहना है कि हम उनको लिखित आवेदन करते हैं। अगर हो सके तो बल का प्रयोग भी किया जाता है। उसका कहना है कि मस्जिद में उसे सिर्फ एक या दो मिनट का भाषण करने का मौका मिलना चाहिए, उसके बाद मैं उग्र नारेबाजी करूंगा। यह कश्मीरी क्रिकेटर 20 दिनों तक 2-3 दिन के अंतराल के बाद प्रदर्शन को अंजाम दे सकता है। उसका कहना है कि प्रदर्शन के एक दिन बाद सुरक्षा बलों को उस स्थान पर लगाया जाता है। फयाज अहमद भट्ट ने 20 दिनों के इस कार्य के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की यानी कि प्रत्येक दिन के लिए 5 लाख।

स्कूलों को जलाने का प्रस्ताव
एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के पूर्व कार्यकत्र्ता उमर मिराज को जब उकसाया गया तो उसने अपनी योजना कबूली। श्रीनगर के नजदीकी इलाके से संबंधित उमर का कहना है कि उसके पास स्कूलों को जलाने का प्रस्ताव है। उसने खुलासा किया कि हम 6 से 7 स्कूलों को जला सकते हैं। उसने एक मस्जिद के लोगों से बात की जिन्होंने दावा किया कि ऐसा किया जा सकता है। उसका कहना था कि स्कूल सरकारी तथा प्राइवेट भी हो सकता है मगर प्राइवेट स्कूल ज्यादा बेहतर है। उसका कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में तो बच्चे पढऩे जाते ही नहीं, वे बंद पड़े रहते हैं इसलिए प्राइवेट स्कूल ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। मिराज ने इसके लिए एक पैकेज डील का प्रस्ताव रखा, जिसमें पत्थरबाजी तथा एक माह के लिए आगजनी शामिल है। इसके लिए उसने 2 करोड़ की मांग रखी और कहा कि इस घटना को अंजाम देने के लिए एक सप्ताह, 10 दिन, 20 दिन या फिर एक महीना काफी है। इसके लिए एक से 2 करोड़ रुपए की लागत आएगी। 

वहीं हजरत बल के रियल एस्टेट एजैंट अलताफ अहमद सूफी ने पैसों के बदले घाटी में हिंसा कराने की गारंटी दी। उसने कहा कि तीन चीजें बेहद आसान हैं जिसमें पत्थरबाजी, दुकानें बंद करवाना तथा ट्रैफिक जाम शामिल है। ये तो छोटी-मोटी बातें हैं, इसके अलावा आगजनी भी तो है। जहां तक कश्मीर का सवाल है यह हमारा बैकयार्ड है। सूफी ने दावा किया कि उसके आदमियों को यदि पैसा दिया जाए तो वे श्रीनगर की सड़कों पर एक भी बाइक न चलने दें। गंदरबल से लेकर 8-9 किलोमीटर का क्षेत्र यह कवर करता है। जब उससे पूछा गया कि वह कितने दिनों तक रास्तों को जाम कर सकता है तो वह बोला कि मैं तब तक ऐसा कर सकता हूं जब तक गिरफ्तार नहीं हो जाता। इसके लिए उसे एक से 2 करोड़ चाहिए। 

उग्र प्रदर्शन करवाने के लिए बेरोजगार युवकों की भर्ती
टी.वी. चैनल को एक अन्य व्यक्ति असद सिद्दीकी ने खुलासा किया कि वह कश्मीर में से बेरोजगार युवकों की उग्र प्रदर्शन करवाने के लिए नियुक्ति करता है। पत्थरबाजों को जुटाने के लिए फंड की आवश्यकता होती है। यहां पर ऐसे युवक भी हैं जो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यह सारा आंदोलन युवकों द्वारा ही प्रगति लाता है। सिद्दीकी ने इन कार्यों को अंजाम देने के लिए 12 लाख रुपए की मांग की। उसने कहा कि एक बार घाटी मेंइंटरनैट सेवाएं सम्पूर्ण रूप से चालू हो जाएं तथा सुरक्षा घटा दी जाए, फिर देखिए क्या कुछ नहीं हो सकता। 

वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस प्रमुख कुलदीप खोडा का कहना है कि घाटी में उत्पात मचाने वाले लोग अभी भी हैं और उनको अभी भी पैसा मुहैया करवाया जा रहा है। हालांकि पिछले 2 वर्षों दौरान एन.आई.ए. ने काफी कार्रवाइयां की हैं मगर अभी भी फंड्स पहुंच रहे हैं। उधर इस सारे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लैफ्टिनैंट जनरल (सेवानिवृत्त) एस.ए. हसनैन का कहना है कि घाटी में आतंक के इस कारनामे के प्रति वह चिंतित हैं। पूरा ईको सिस्टम आतंक को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि सीमा पर ऐसे गाइड्स मौजूद हैं जो 4 से 6 लाख रुपए लेकर 4 से 5 आदमियों को सीमा पार करवा देते हैं।


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