आवाज उठाएं, वर्ना आपके लिए बोलने वाला कोई नहीं होगा

punjabkesari.in Sunday, Jan 09, 2022 - 06:13 AM (IST)

शनिवार 25 दिसम्बर को क्रिसमस थी। इससे पहले कि समारोह समाप्त होते, मध्यरात्रि से काफी समय पूर्व कुछ स्थानों पर सभी बुराइयों, जिनके खिलाफ क्राइस्ट ने उपदेश दिए थे, अपने सिर उठा लिए। यद्यपि वर्ष का समापन कड़वाहट के साथ हुआ, नए वर्ष की शुरूआत मनहूसियत के साथ हुई। गत 2 सप्ताह ईसाइयों तथा उनके जैसे उदारवादियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं।

2021 में तमिलनाडु के ईसाई मशीनरी स्टैन स्वामी का निधन हुआ जिन्होंने अपना सारा जीवन ओडिशा के जन-जातीय लोगों के बीच बिताया था। उन पर आतंकवादी गतिविधियों का आरोप (मेरे विचार में झूठा) लगाया गया, जेल में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, यहां तक कि चिकित्सीय आधार पर उन्हें जमानत देने से इंकार किया गया, मुकद्दमा नहीं चलाया गया तथा उन्हें ऐसे ही मरने दिया गया। वर्ष का अंत मिशनरीज ऑफ चैरिटी (मदर टैरेसा द्वारा स्थापित) को इसके परोपकारी कार्यों के लिए खातों में कथित मामूली गड़बड़ी के लिए विदेशी योगदान प्राप्त करने के अधिकार पर रोक लगाने से हुआ। 

क्रिसमस को अपवित्र किया गया 
क्रिसमस के दिन जो हुआ वह क्षमा करने योग्य नहीं है, यहां तक कि यदि क्रिसमस का उद्देश्य शरारत करने वाले लोगों को माफ करना है, ‘यदि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं’। जरा हालिया घटनाओं पर गौर करते हैं : 

-अम्बाला, हरियाणा में होली रिडिमर का गिरजाघर है जिसका निर्माण 1840 के दशक में हुआ था। लगभग मध्यरात्रि को, गिरजाघर बंद होने के बाद, 2 लोग दाखिल हुए तथा जीसस क्राइस्ट की प्रतिमा को तोड़ कर गिरा दिया तथा सांता क्लॉज के चित्रों को जला दिया। इससे दो दिन पहले एक समूह हरियाणा में गुरुग्राम के पटौदी स्थित एक गिरजाघर में दाखिल हुआ था और ‘जय श्रीराम’ जैसे नारों के साथ प्रार्थना में व्यवधान डाला। 
-आगरा, उत्तर प्रदेश में मिशनरी कालेजों के सामने सांता क्लॉज के कई चित्रों को आग लगा दी गई। बजरंग दल के महासचिव ने इस उत्पात को न्यायोचित ठहराया और कहा, ‘वे हमारे बच्चों को यह कह कर आकॢषत करते हैं कि सांता क्लॉज उनके लिए उपहार लाया है तथा उन्हें ईसाईयत की ओर आकॢषत करते हैं।’ वह यह कहने में असफल रहे कि मिशनरी कालेज कई दशकों से ‘हमारे हजारों बच्चों’ को नि:स्वार्थ पढ़ा भी रहे हैं। 

-असम के कचार जिला में क्रिसमस की रात 2 भगवाधारी व्यक्ति प्रेसबीटेरियन गिरजाघर में घुस गए और मांग की कि सभी हिंदू उस स्थान को छोड़ दें। अन्य क्रिसमस एकत्रों में  एक्टिविस्टों ने ‘मिशनरियों को मौत’ जैसे नारे लगाए। 

‘कभी कभार’ बन गई मुख्यधारा
वर्ष 2021 में कई राज्यों, जिनमें कर्नाटक उल्लेखनीय है, ने ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर धर्मांतरण विरोधी विधेयक बनाए अथवा पारित किए। इस बात के अत्यंत कम सबूत हैं कि अन्य मतों के लोग, विशेषकर ङ्क्षहदुओं का ईसाईयत में धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि ईसाई दक्षिण पथियों का निशाना है जो संघ, भाजपा तथा संघ से जुड़े अन्य संगठनों में बहुतायत में मौजूद हैं। अब वे ‘कभी कभार’ वाले नहीं रहे, वे मुख्यधारा बन गए हैं और यहां तक कि केंद्र सरकार की मंत्रिपरिषद में भी मौजूद हैं। 

मुसलमान और अब ईसाई अब उनका निशाना हैं जिसे ‘हेट स्पीच’ कहा जाता है। हेट स्पीच गैर-हिंदुओं के खिलाफ फैल रही नफरत का हिस्सा है। 6 महीने पूर्व दिल्ली में ‘सुल्ली डील्स’ नामक एक ऐप सामने आया तथा कुछ दिन पूर्व ‘बुल्ली बाई’ नामक एक अन्य ऐप मुम्बई में सामने आया। इन ऐप्स में नीलामी के लिए मुस्लिम महिलाओं के चेहरे डाले गए थे। ट्विटर हैंडल, जिसने ‘बुल्ली बाई’ को प्रोमोट किया, ने सिखों जैसे नामों का इस्तेमाल किया जैसे कि ‘खालसा सुपरमैसिस्ट’, ‘जतिन्द्र सिंह भुल्लर’ तथा ‘हरपाल’, जो संभवत: यह बताता है कि नफरत के व्यापारियों का अगला निशाना कौन होगा-सिख। 

मुसलमान, ईसाई तथा सिख उतने ही भारतीय हैं जितने कि ङ्क्षहदू, उन्हें अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है तथा यदि आपने संविधान के अनुच्छेद 25 को पढ़ा है तो इसके द्वारा अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार भी दिया गया है। कट्टर दक्षिण पंथी उनके अपने धर्म का पालन करने के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं। यह गैर-संवैधानिक है। क्या होने वाला है, इसके एक नमूने का खुलासा हरिद्वार में हुआ। वहां दिए गए भाषणों में कुछ अंश : 

‘यदि आप उन्हें समाप्त करना चाहते हैं तो उन्हें मार दो...इस विजय के लिए हमें 100 सैनिकों की जरूरत है जो उनमें से 20 लाख को मार सकें (अर्थात मुसलमानों को)’ तथा ‘मारने अथवा मरने के लिए तैयार हो जाएं, कोई अन्य विकल्प नहीं है...पुलिस, सेना, राजनीतिज्ञों सहित प्रत्येक हिंदू को सफाई शुरू कर देनी चाहिए जैसा कि म्यांमार में हुआ’। हेट स्पीच से भी अधिक है यह नरसंहार के लिए आह्वान। 

ये एक पागल व्यक्ति की डींगें नहीं हैं, पागलपन में भी एक तरीका होता है। हिलाल अहमद ने अपने एक लेख में स्पष्ट किया है कि क्यों तथा कैसे मोदी ने भाजपा के एजैंडे को पुनर्भाषित किया है। अहमद के अनुसार, कोविड की तबाही, किसानों के आंदोलन तथा बढ़ रहे आर्थिक संकट ने मोदी को ‘हिंदुत्व खेमे के भीतर एक सर्वश्रेष्ठ नेता के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत करने को’ बाध्य किया। विकास व हिंदुत्व अब अलग नहीं किए जा सकते तथा इस उद्देश्य के लिए कट्टर दक्षिण पंथियों ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि गैर-हिंदू धर्म (और उनको मानने वाले) हिंदुत्व के अतिरिक्त विकास के शत्रु हैं। 

क्रिसमस समारोहों में व्यवधान, हेट घृणास्पद भाषणों तथा दुर्भावनापूर्ण ऐप्स के खिलाफ प्रधानमंत्री की ओर से आलोचना का एक भी शब्द नहीं कहा गया। भविष्य के लिए तैयार हो जाएं, कट्टरता असीमित होगी। और आवाज उठाएं, वर्ना आपके लिए बोलने वाला कोई बाकी नहीं होगा।-पी. चिदम्बरम 

असीमित कट्टरता  
पहले वे कम्युनिस्टों के लिए आए, और मैं कुछ नहीं बोला...
क्योंकि मैं एक कम्युनिस्ट नहीं था।
फिर वे समाजवादियों के लिए आए, और मैं कुछ नहीं बोला...
क्योंकि मैं एक समाजवादी नहीं था।
फिर वे व्यापारिक संगठनवादियों के लिए आए, और मैंने कुछ नहीं बोला...
क्योंकि मैं एक व्यापारिक संगठनवादी नहीं था।
फिर वे यहूदियों के लिए आए, और मैं कुछ नहीं बोला...
क्योंकि मैं एक यहूदी नहीं था।
फिर वे मेरे लिए आए...
और वहां कोई भी मेरे लिए बोलने वाला नहीं बचा था।
—मार्टिन नीमोलर, जर्मन धर्मशास्त्री (1892-1984)


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