खुशहाली तथा सुरक्षा का एक लोकतांत्रिक रास्ता उपलब्ध करवाता है क्वाड

punjabkesari.in Saturday, May 28, 2022 - 04:41 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्वाड की ‘एक अच्छे के लिए बल’ के तौर पर प्रशंसा की है। टोक्यो में इसके सम्मेलन के दौरान भारत, जापान, आस्ट्रेलिया तथा अमरीका जैसी चार बड़ी शक्तियों के लिए एक मंच तैयार किया गया है जोकि भारत प्रशांत क्षेत्र में उभरती सुरक्षा तथा आर्थिक चुनौतियों से लड़ेगा। चार नेताओं द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य तथा प्रासंगिक दस्तावेज दर्शाते हैं कि क्वाड के टोक्यो सम्मेलन में नेताओं ने निरंकुश देशों के साथ-साथ लोकतांत्रिक राष्ट्रों द्वारा झेली जा रही चुनौतियों से पार पाने पर जोर दिया है। चारों नेताओं ने कुछ मुद्दों को लेकर सहयोग तथा योजनाओं पर कार्रवाई करने के बारे में बात की। ये मुद्दे आतंकवाद से लेकर अंतरिक्ष खोज तथा ऋण प्रबंधन को लेकर हैं। 

क्वाड के नेताओं ने 26/11 के मुम्बई हमले तथा पठानकोट हमले सहित सभी प्रकार के उग्र आतंकवाद की आलोचना की है। संयुक्त वक्तव्य में विशेष तौर पर मांग की गई है कि अफगानिस्तान की धरती कभी भी किसी भी देश के खिलाफ तथा उसे धमकाने के लिए प्रयोग में न लाई जाए। न ही आतंकी हमलों, उनके वित्त पोषण तथा आतंकियों को प्रशिक्षित करने या उनकी शरणस्थली बनाने में अफगानिस्तान का इस्तेमाल न हो। 

संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा गया है कि, ‘‘हम सभी किसी प्रकार के भी आतंकी वित्त पोषण पर अंकुश लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को तय करने की महत्ता पर जोर देते हैं।’’ साइबर सिक्योरिटी के मसले पर क्वाड नेताओं ने इसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से एक संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया है। इस संदर्भ में इस क्षेत्र की सुरक्षा और खुशहाली को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण तकनीकों को बढ़ाने के ऊपर अपना लक्ष्य केंद्रित करने पर जोर दिया जाएगा। ऐसे सभी कदम स्पष्ट तौर पर भारत प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा तथा भू-राजनीति को प्रभावित करेंगे। 

यदि पीछे की ओर देखेंगे तो यह कहा जा सकता है कि 2017 तक क्वाड एक विस्तृत धारणा पर आधारित था। उसके बाद इसने एक लम्बा सफर तय किया है। अब इसके पास अनेकों वर्किंग ग्रुप हैं जिनमें साइबर सिक्योरिटी, स्वास्थ्य, मूलभूत ढांचा तथा शिक्षा शामिल है। इससे क्वाड फोरम को सहयोग करने का एक विस्तृत आयाम मिलेगा। इसके साथ-साथ भारत प्रशांत देशों के बीच सहयोग तथा खुशहाली बढ़ेगी। इस क्षेत्र की महत्ता इस तथ्य से भी समझी जा सकती है कि इसके पास विश्व की सबसे बड़ी शिपिंग लेन्ज भी है जिसमें मलक्का जलसंधि भी शामिल है। वस्तुओं, कच्चा तेल सहित विश्व का 30 से 40 प्रतिशत का व्यापार इन लेन्स के माध्यम से होता है। 

क्वाड का मुख्य उद्देश्य एक खुला फोरम बनाने का है जोकि नियमों पर आधारित आदेश पर कार्य करेगा। इसका ज्यादा जोर कानून का नियम, क्षेत्रीय अखंडता, पथ प्रदर्शन की स्वतंत्रता तथा विवादों को शांतमय प्रस्तावों के जरिए निपटाने पर रहेगा। क्वाड की अब प्रमुख चुनौती इसके भाव को मजबूत करने की है। क्षेत्र में खुशहाली तथा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील सहयोग उत्पन्न करना होगा। इसके अलावा पर्यावरण बदलाव, महत्वपूर्ण तकनीकों का आदान-प्रदान, साइबर सिक्योरिटी और अपेक्षित मूलभूत ढांचे का निर्माण करना भी क्वाड का उद्देश्य होगा। इस मंतव्य के लिए क्वाड के नेताओं ने सहमति जताई है कि वे परियोजनाएं तथा पारदर्शी मूलभूत ढांचे का निर्माण करेंगे। इसके अलावा इस क्षेत्र के देशों के लिए फंडिंग का इंतजाम भी किया जाएगा। स्मार्ट फोन में इस्तेमाल होने वाले सैमी कंडक्टर के अलावा 5-जी तकनीक के विकास पर भी कार्य किया जाएगा। 

सबसे प्रमुख चुनौती क्वाड के लिए इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है और उस पर अंकुश लगाना है। इसके अलावा रूस भी एक ऐसा देश है जिस पर निगाह रखी जानी चाहिए। बेशक क्वाड का मुख्य विचार इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक शक्तियों को मजबूत करना है इस सारे घटनाक्रम को चीन उसे घेरने के प्रयास के तौर पर देखता है। क्वाड को चीन एक ‘एशियन नाटो’ मानता है। चार देशों के नेताओं के चमकते हुए विचारों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि क्वाड दक्षिण एशिया तथा आसियान देशों में एक प्रमुख शक्ति के तौर पर उभर रहा है। अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए क्वाड इस क्षेत्र में मूलभूत ढांचे के निर्माण पर 50 बिलियन डालर खर्च करेगा। 4 लोकतांत्रिक देशों के लिए चुनौती बेहद विकट है।-हरि जयसिंह 
    


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