स्टालिन से भी ज्यादा अलग-थलग हो गए पुतिन

punjabkesari.in Saturday, Mar 05, 2022 - 05:56 AM (IST)

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मानसिकता एक पुराने के.जी.बी. सेनापति की तरह है जो किसी समय घातक सोवियत साम्राज्यवादी मानसिकता का हिस्सा थे। पुतिन का सपना, इतिहास को दोहराना तथा पूर्व के रूसी साम्राज्य की पुन: स्थापना करने का है जो 21वीं शताब्दी में गलत  है। एक शानदार राष्ट्र के चेहरे में इतिहास को दोहराया नहीं जा सकता।

रूस का अस्तित्व 1000 वर्ष से भी ज्यादा का है। मिलिट्री आप्रेशन की रूस की धमकी स्पष्ट तौर पर यूक्रेन की क्षेत्रीय सम्प्रभुता तथा अखंडता के साथ खेलना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू.एन.जी.ए.) के 11वें एमरजैंसी सत्र के दौरान उठी मानवीय आवाज से खेला नहीं जा सकता। अनोखे एमरजैंसी सत्र को बुलाने का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण को तत्काल तथा सशर्त रोकना था। 

पुतिन की हेकड़ी तथा अडिय़लपन को देखते हुए यह कोई आसान बात नहीं लग रही। रूसी लेखक तथा नाटककार व्लादिमीर सोरोकिन ने पुतिन की तुलना ईवान के साथ की है जिसने खुद को 16वीं सदी में रूस का जार घोषित किया था। सोरोकिन को भयानक भी कहा जाता था। उसका कहना था, ‘‘रूस में सत्ता एक पिरामिड है। पिछली 5 शताब्दियों के दौरान रूसी सत्ता का सिद्धांत बदला नहीं है। सत्ता के पिरामिड ने शासक को एक निरकुंश अथॉरिटी का जहर पिला रखा है।’’ सोरोकिन के अनुसार, ‘‘रूसी साम्राज्य को पुन: स्थापित करने का विचार पूर्णत: पुतिन द्वारा ले लिया गया है।’’ 

शक्तिशाली हथियारों के साथ नागरिक क्षेत्रों को रूस द्वारा लक्ष्य बनाने के साथ सवाल यह उठता है कि इस युद्ध को जीतने के लिए पुतिन किस हद तक जा सकते हैं? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को अलग-थलग पाने के दौरान पुतिन ने न्यूक्लियर बलों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा हुआ है। एक तर्क संगत नेता से इस तरह का व्यवहार अपेक्षित नहीं है। रूसी राष्ट्रपति को इस तथ्य को नकारना नहीं चाहिए कि 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा मानवता के सामूहिक विवेक का प्रतिनिधित्व करती है। क्या सामूहिक ताकत को पुतिन नकार सकते हैं? 

‘फाइनांशियल टाइम्स’ में पुतिन के पूर्व सलाहकार ग्लेबपावलोवस्की का कहना है कि पुतिन स्टालिन से भी ज्यादा अलग-थलग हो गए हैं। अपने अंतिम दिनों में स्टालिन अपने घर ही रहे न कि क्रैमलिन में। पोलित ब्यूरो ने ही उनसे मुलाकात की थी। पुतिन ने भी वास्तविकता को खो दिया प्रतीत होता है। ग्लेबपावलोवस्की आगे लिखते हैं कि, ‘‘उस हालत में तर्कसंगत मुद्दे अतर्कसंगत प्रतीत होते हैं।’’ 

एक तर्कसंगत मानसिकता तथा आम ज्ञान रखने वाले नेता पुतिन से आशा की जाती थी कि वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस की बात सुनें जिन्होंने कहा था कि रूसी न्यूक्लियर बल का हाई अलर्ट पर रहना एक खतरनाक घटनाक्रम है। ऐसे ही समय पर उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि यूक्रेन तथा रूस के मध्य सीधी बातचीत युद्ध को रोकने में कामयाब होगी। वहीं पुतिन ने यूक्रेन पर हमले को अंतर्राष्ट्रीय कानून तथा यू.एन. चार्टर के तहत न्यायोचित ठहराया है। जातीय रूसियों के कत्लेआम का रूसी दावा कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता। इसके विपरीत रूस ने यू.एन. चार्टर के आर्टिकल 2 (4) की अवहेलना की है। यूक्रेन की क्षेत्रीय सम्प्रभुता तथा राजनीतिक स्वतंत्रता पर चोट की गई है। 

यूक्रेन की सम्प्रभुता तथा स्वतंत्रता में भारत की हिस्सेदारी है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ‘ब्रिक्स घोषणा’ की अनदेखी नहीं कर सकती जो सभी विवादों के प्रस्तावों को शांतिमय ढंग से निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रिक्स घोषणा किसी भी देश के खिलाफ बल के प्रयोग के भी विरुद्ध है। यूक्रेन पर हमले से रूस ने इस प्रस्ताव की अवहेलना की है। इस पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए थे। 6 माह के भीतर ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य रूस ने प्रस्ताव की सीधे तौर पर अनदेखी की है और यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है। यूक्रेन के खिलाफ रूस की उग्र तथा भड़काऊ आक्रामक नीति ब्रिक्स घोषणा की भावना के खिलाफ है। 

यह दयनीय बात है कि ऐसा प्रतीत होता है कि रूस का लक्ष्य यूक्रेन को एक ‘अवैध देश’ बनाने का है। रूसी युद्ध उन गलत धारणाओं पर आधारित है कि यूक्रेन रूस की सुरक्षा को एक बहुत बड़ा खतरा है। रूस को यूक्रेन की स्वतंत्रता के साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। न्यूक्लियर युद्ध का विचार मात्र एक समझ से बाहर की बात है। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए रूस तथा पुतिन का आक्रामक रवैया असफल होगा। रूस के विपक्षी नेता एलैक्सी नावालनी जोकि जेल में हैं, उनका कहना है कि, ‘‘मूक, डरे  तथा खौफ में जी रहे लोगों का राष्ट्र न बनें।’’ 

यूक्रेन के लोग भी नहीं चाहेंगे कि उनका राष्ट्र एक कठपुतली देश कहलाए। इस देश ने युद्ध के शुरूआती दिनों में बहुत ज्यादा हिम्मत तथा संयम दिखाया है। पुतिन का खेलने का कोई भी तरीका हो मगर निश्चित तौर पर यह सब आर्थिक तौर पर तथा मानवता के लिए एक बहुत बड़ा घाटा होगा। व्लादिमीर पुतिन ने ठीक ही कहा है कि, ‘‘पुतिनवाद एक अपराध है क्योंकि यह लोकतंत्र तथा स्वतंत्रता का दुश्मन है।’’-हरि जयसिंह
 


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