सरल श्रम कानून लागू कर रोजगार व अर्थव्यवस्था बहाल करे पंजाब सरकार

punjabkesari.in Wednesday, May 11, 2022 - 05:10 AM (IST)

रोजगार के अवसर बढ़ाने को कारोबार के लिए सुखद माहौल उतना ही जरूरी है जितना पूंजी निवेश। देश के ‘ईज ऑफ  डुइंग बिजनैस इंडैक्स’ में 19वें पायदान पर खिसके पंजाब के लिए मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सैक्टर में निवेश अनुकूल माहौल एक बड़ी चुनौती है। ऐसी चुनौतियों से पार पाने के लिए ‘जनता दा बजट’ पहल के जरिए जनता से संवाद स्थापित कर रही पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार से उतनी ही बड़ी उम्मीदें हैं, जितनी बड़ी जीत का सेहरा जनता ने उसके सिर सजाया है। ईज ऑफ डुइंग बिजनैस के लिए 2019 व 2020 में केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को चार नए लेबर कोड- वेज कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी,  हैल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस एवं इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड में तबदील किया, पर पंजाब सरकार इन्हें अभी तक लागू नहीं कर पाई है। पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने इन्हें नोटिफाई कर लागू करने की पहल की है। 

केंद्र के 4 नए लेबर कोड भी नियमों के पालन मेंं लापरवाही पर जेल की सजा जैसे प्रावधानों से मुक्ति नहीं दे पाए हैं। फैक्ट्री शौचालय में तय समय सीमा में सफेदी न करा पाने की वजह से 3 महीने जेल की सजा या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। ऐसी मामूली लापरवाही पर भी कारोबारियों को जेल की सजा के प्रावधान से मुक्ति न दिला पाने वाले केंद्र के लेबर कोड मेंं राज्यों को अपने मुताबिक सरल संशोधन का अधिकार है। इस अधिकार का प्रयोग करते हुए पंजाब सरकार 50 साल और उससे भी अधिक पुराने श्रम कानून के दबाव में भ्रष्टाचार और इंस्पैक्टरी राज पर नकेल के लिए अपने सरल श्रम कानून लागू करे। 

पंजाब में श्रम कानून के 31 एक्ट, 1427 नियमों के पालन और जेल की सजा की 1273 धाराओं की तलवार कारोबारियों के सिर पर आजादी के समय से लटकी है। आजादी का 75वां अमृतमहोत्सव मना रहे देश के कारोबारियों को अंग्रेजों के बनाए मनमाने कानूनों से अभी तक आजादी नहीं मिली। 31 साल के आॢथक सुधारों के बाद भी इंस्पैक्टरी राज की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका सहज अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकार द्वारा करीब 6 महीने पहले 44 विभागों के 1498 जरूरी ‘कंप्लायंसेज’ को खत्म किया गया, पर कोराबार आसान करने के लिए सजा के प्रावधान वाले कई गैर-जरूरी कंप्लायंसेज भी खत्म किए जाने की जरूरत है। 

इसके लिए कानून आयोग द्वारा एक ‘रैगुलेटरी इंपैक्ट असैसमैंट कमेटी’ का गठन किया जा रहा है। नीति आयोग राज्यों के साथ मिलकर उद्यमियों के कारोबारी जीवन में सुधार के लिए काम कर रहा है। इस दिशा में 3 ङ्क्षबदुओं पर यदि नीति आयोग और पंजाब सरकार विचार करती है तो उद्यमियों को जेल की सजा के कई प्रावधानों के खत्म होने से कारोबारियों की सम्मान बहाली का रास्ता साफ होगा है। पहला, नियमों का पालन न होने को प्रोसैसिंग चूक माना जाए और जेल की सजा की बजाय जुर्माना या अस्थायी रूप से काम पर रोक लगाई जा सकती है। दूसरा, पर्यावरण को जान-बूझकर नुक्सान, श्रमिकों की सुरक्षा में लापरवाही, लोन डिफाल्टर और टैक्स चोरी के मामलों में ही जेल की सजा का प्रावधान रखा जा सकता है। तीसरा, सभी श्रम सुधार और कारोबार कानूनों को एक व्यापक कानून के तहत लाकर उद्यमियों और श्रमिकों की गरिमा, बेहतर अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। 

कैसे पोर्ट के पास ले जा सकते हैं : बॉर्डर व लैंड लॉक्ड स्टेट होने के बावजूद अपनी उद्यमशीलता के दम पर पंजाब को देश का एम.एस.एम.ई. हब बनाने वाले मेहनतकश पंजाबी उद्यमी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे पश्चिम-दक्षिणी समुद्री तटीय राज्यों से लगातार पिछड़ रहे हैं। देश से 419 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट कारोबार में 75 फीसदी इन 5 राज्यों से हो रहा है, जबकि पंजाब की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम है। राज्य से 90 फीसदी एक्सपोर्ट कारोबार करने वाले लुधियाना ड्राई पोर्ट से सबसे नजदीकी समुद्री पोर्ट भी 1500 किलोमीटर दूर होने से पंजाब मालभाड़े पर दोगुनी लागत की वजह से एक्सपोर्ट और विदेशी निवेश में पिछड़ रहा है।  

ड्राई पोर्ट से समुद्री पोर्ट और समुद्री पोर्ट से ड्राई पोर्ट तक एक्सपोर्ट-इंपोर्ट (एक्जिम) के मालभाड़े पर होने वाला खर्च घटाकर राज्य सरकार अपनी मालगाडिय़ां खरीदने की पहल करती है तो इससे न केवल कारोबारी रोजगार के अवसर बढ़ा कर पंजाब की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाएंगे, बल्कि राज्य के थर्मल प्लांट, तेल रिफाइनरी, सीमैंट और फॢटलाइजर प्लांट्स को भी मालभाड़े में बड़ी राहत मिलेगी। मार्कफैड और मिल्कफैड जैसे सहकारी उपक्रमों के निर्यात पर मालभाड़े का बोझ घटाकर डेयरी, फल, सब्जियों के निर्यात को और बढ़ाया जा सकता है। 

रेलवे ने भी समुद्री पोर्टस के लिए रेल संपर्क बढ़ाने को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर दिया है। भारतीय रेलवे वित्त निगम मालगाडिय़ों की खरीद के लिए कम ब्याज दर पर कर्ज दे रहा है। पंजाब सरकार इस निगम से मालगाडिय़ों के लिए सस्ता कर्ज जुटा सकती है। ईस्टर्न-वैस्टर्न डैडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने से लुधियाना और दानकुनी (कोलकाता) पोर्ट के बीच 1839 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए डैडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड राज्यों और निजी ऑपरेटरों को ट्रेन रूट खरीदने की अनुमति भी दे रहा है। 

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एन.ई.आर.) राज्यों को डिपार्टमैंट फॉर प्रमोशन ऑफ  इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ‘डी.पी.आई.आई.टी.’ द्वारा परिवहन की लागत का 20 प्रतिशत परिवहन प्रोत्साहन ‘टी.आई.’ दे रहा है, जबकि सीमावर्ती पंजाब को ऐसी कोई राहत नहीं है। ऐसे में पंजाब की ‘आप’ सरकार एक्सपोर्ट-इंपोर्ट (एक्जिम), अपनी माल गाडि़यों की पहल के साथ सरल श्रम कानून लागू कर राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ रोजगार के अवसर बहाल कर सकती है।-अमृत सागर मित्तल(लेखक सोनालीका ग्रुप के वाइस चेयरमैन एंव एसोचैम नॉर्दर्न रीजन डिवैल्पमैंट कौंसिल के चेयरमैन हैं)
               


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