एक ‘आपदा’ की रोकथाम

punjabkesari.in Sunday, Mar 08, 2020 - 02:49 AM (IST)

26 फरवरी को सैंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवैंशन (यू.एस.) की डायरैक्टर डा. नैंसी मैसनीयर ने कोरोना वायरस के फैलने के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि सवाल यह नहीं कि यह वायरस कहीं भी फैल सकता है, सवाल यह है कि आखिरकार यह कहां फैलेगा और इस देश में कितने लोग इस घातक बीमारी से प्रभावित होंगे। चीन में इस वायरस को फूटे 10 सप्ताह हो चुके हैं। चीन बड़ी सख्ती से इसे नियंत्रित करने में लगा है तथा समाज पर निगाह रखी जा रही है। चीनी सरकार अपने नागरिकों के ऊपर एक कड़ा रुख अपना सकती है। शुरूआती दौर में चीन का इसके प्रति व्यवहार सुस्त था मगर जब उसने हालात की गम्भीरता को भांपा तब जल्दी से सभी क्षेत्रों पर कार्रवाई की। उसने शहरों को बंद कर दिया, अंदरूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया, कोरोना वायरस रोगियों के लिए बिस्तरों का इंतजाम किया, दो नए अस्पतालों का निर्माण किया, डाक्टरों, नर्सों, पैरामैडिक्स तथा उपकरणों का प्रबंध किया। रूस तथा जापान जैसे अनुशासित देशों ने दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा अच्छा कार्य किया मगर ईरान ने कुछ अच्छा नहीं किया। 

मुस्तैदी की स्थिति 
भारत ने चिंता जताई है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिन पहले कहा कि हमें तैयार रहना चाहिए और भगदड़ नहीं मचनी चाहिए। बिल्कुल सही बात कही। मगर हमारा देश कितना मुस्तैद है? देश का प्रत्येक हिस्सा कितना तैयार है? देश में कुछ को छोड़कर सभी राज्यों में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट्स हैं। प्रत्येक दिन उड़ानें आती और जाती हैं। प्रत्येक दिन हजारों की तादाद में घरेलू यात्राएं होती हैं। ज्यादातर लोग घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहते हैं जहां पर घर एक-दूसरे से सटे हुए हैं और वहां  पर हर जगह गंदगी के ढेर हैं। कस्बे और शहर हाईजैनिक नहीं हैं। इन सब बातों को देखते हुए हम कितने तैयार हैं।

प्रधानमंत्री ने 3 मार्च को पहली समीक्षा बैठक ली। 5 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री ने एक बयान दिया। मगर अभी तक राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा स्वास्थ्य मंत्रियों की कोई बैठक नहीं हुई। नैशनल इंस्टीच्यूट आफ विरोलोजी, पुणे तथा 15 लैबोरेटरियां क्लीनिकल सैम्पलों को टैस्ट करने के लिए लैस हैं। हमें ऐसी ही और कई चीजों की आवश्यकता है। अन्य देशों से यह सबक मिला है कि एक बार वायरस किसी व्यक्ति में होने का पता चल जाए तब इसके द्वारा प्रभावित लोगों की गिनती बढ़ जाती है। भारत में तीन दिनों के भीतर एक से दो, दो से छह तथा छह से तीस लोग इसकी चपेट में आ गए। अभी इस पहलू पर घबराने की जरूरत नहीं। मगर चिंता तथा निराशावाद का कोई कारण तो है। बड़े स्तर पर संचार तथा दूर तक पहुंचने वाले कार्यक्रम कुछ सप्ताह पूर्व ही लांच कर दिए जाने चाहिए थे। इसके विपरीत सरकार तो सी.ए.ए., एन.पी.आर. तथा अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के स्वागत में उलझी थी, अभी भी सरकार की प्राथमिकताएं भिन्न नजर आ रही हैं। 

वास्तविकता की जांच 
इस दौरान साम्प्रदायिक वायरस कोरोना वायरस के खिलाफ होने वाले युद्ध पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। हमें यह मानना नहीं मगर वास्तविकता यह है कि अल्पसंख्यक जर्जर बस्तियों में रहते हैं। उन तक स्वास्थ्य कर्मी कैसे पहुंचेंगे जब तक कि समुदायों के साथ संबंध मैत्रीपूर्ण न हो जाएं। पुलिस बल प्रभावित लोगों को अलग करने तथा उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए कैसे तैनात किया जाएगा। इस वायरस से लडऩे के लिए सबसे पहला राष्ट्रव्यापी युद्ध यह होगा कि हमें सामाजिक सौहार्द तथा शांति स्थापित करनी होगी। इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार किस तरह सभी समुदायों को शामिल करेगी तथा हमारे बीच उत्पन्न कड़वेपन को कैसे दूर करेगी। देश में ऐसी भी पहल दिखाई नहीं देती कि खौफ में रह रहे लोगों तथा अपने घरों को छोड़ भागने वाले लोगों की कैसे वापसी की जाए। 

इसके अलावा हम प्रतिक्रिया कैसे दें जबकि कुछ देश हमारी कमियों की ओर उंगली उठा रहे हैं। क्या भारत ने उपनिवेशवाद (1950) रंगभेद की नीति, मानवीय अधिकारों का उल्लंघन (रोहिंग्या माइग्रेशन) और अनेकों अफ्रीकी देशों में नरसंहार के ऊपर टिप्पणियां नहीं कीं। अब हमें भी आलोचना सहनी होगी। हमें दोस्तों तथा व्यापारिक सहयोगियों की जरूरत है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से धड़ाम हुई है। यह पिछले सात तिमाहियों में 8 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत गिरी है। विश्व आर्थिक विकास (2020) का अनुमान 2.9 प्रतिशत से 2.4 प्रतिशत संशोधित हुआ है तथा इसके और अधिक गिरने की सम्भावना है यदि कोरोना वायरस का प्रभाव उत्पादन तथा सप्लाई लाइन पर पड़ता है। 

कुछ सुझाव 
ऐसे भी कुछ कदम हैं जो सरकार को उठाने चाहिएं। हालांकि कुछ भाजपा तथा आर.एस.एस. को सख्त लगेंगे। 
1. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तत्काल ही राष्ट्र को सम्बोधित करना होगा तथा उसके बाद प्रत्येक सप्ताह बात करनी होगी। उन्हें लोगों से मनमुटाव तथा मतभेदों को अलग रखकर एक साथ काम करने की अपील करनी होगी। इस राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों को आपस में सहयोग करना होगा। 
2.  ऐसी घोषणा की जाए कि नैशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन.पी.आर.) प्रक्रिया अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाए। 
3. नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) के संचालन को भी निलंबित कर देना होगा तथा सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करना होगा कि वह संशोधन कानून को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई स्थगित कर दे। 
4. हाल ही के दिल्ली दंगों की उत्पत्ति, घटनाओं तथा इसके नतीजों की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग को नियुक्त करना चाहिए। 

5. कोरोना वायरस से निपटने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को शामिल कर एक राष्ट्रीय आपदा कमेटी का गठन करना होगा। 
6. बेकार परियोजनाओं तथा दिखावटी चीजों पर खर्च को निलंबित कर देना चाहिए तथा कोरोना वायररस से संक्रमित लोगों के उपचार तथा उनके टैस्ट के लिए सहूलियतों के विस्तार पर कोष आबंटित करना होगा। प्राइवेट अस्पतालों को भी सहयोग देना होगा। 
7. क्योंकि ऐसी रिपोर्ट आई है कि कोरोना वायरस से वृद्ध लोग जल्दी ही शिकार हो जाते हैं। इसलिए पब्लिक तथा प्राइवेट अस्पतालों को वृद्धों के लिए अलग से वार्ड बनाने की सहूलियतें देने के लिए उनका समर्थन करना होगा। 
8. दवाइयां बनाने के कार्यों में लगे उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा ताकि वे मुखौटों, गल्व्स, सुरक्षात्मक  कपड़े, सैनीटाइजर्स तथा ड्रग्स के उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें। जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रोटोकाल के अनुसार बेहद लाभकारी है। 
9. प्रभावित देशों के लिए भारत से होने वाली अनावश्यक यात्राओं को निलंबित कर देना चाहिए। कोरोना वायरस से प्रभावित देशों के लोगों को वीजा देना बंद कर देना चाहिए। सभी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों से भारत को अलग हो जाना चाहिए। 
10. पर्यटन, एयरलाइंस, होटल एंड हास्पीटैलिटी, निर्यात तथा आयात इत्यादि प्रभावित सैक्टरों को कर राहत तथा प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवानी चाहिए। यह आपके ऊपर निर्भर है कि अपने हाथ धोएं तथा अपनी उंगलियां क्रास करके रखें।-पी. चिदम्बरम


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