प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र भारत के कृषि क्षेत्र को बदल सकता है
punjabkesari.in Monday, Aug 14, 2023 - 05:43 AM (IST)

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और 47 प्रतिशत आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि एक समयबद्ध गतिविधि है जिसमें उत्पादन और उत्पादकता को अधिकतम करने के लिए सही समय पर सही कृषि-इनपुट की आवश्यकता होती है। कृषि-इनपुट कृषि के आवश्यक तत्व हैं और एक कुशल वितरण प्रणाली कृषि आय की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत में, इनपुट सेवाओं का नैटवर्क बिखरा हुआ है और साइलो में बीज, उर्वरक, कीटनाशकों और उपकरणों के लिए अलग-अलग डीलर नैटवर्क काम कर रहे हैं। इसके अलावा मिट्टी, बीज, उर्वरक की जांच की सुविधाएं और विभिन्न योजनाओं की जानकारी अलग-अलग एजैंसियों के माध्यम से असंबद्ध और टुकड़ों में किसानों तक पहुंचती है। यह व्यवस्था एक समुचित निर्णय लेने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समग्र जानकारी प्रदान करने में विफल रहती है जिसका समाधान सरकार द्वारा समॢथत एक छत के नीचे किसानों को समग्र सुविधाएं प्रदान करने में निहित है, जिस पर किसान भरोसा कर सकें और उसका पालन कर सकें। अतीत में, निजी क्षेत्र ने किसानों के इनपुट और सेवाओं के लिए ऐसे ही केंद्रों के मॉडल को दोहराने की कोशिश की है, लेकिन काफी हद तक असफल रहा।
इस प्रकार, मौजूदा उर्वरक खुदरा दुकानों को वन-स्टॉप शॉप समाधान, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पी.एम.के.एस.के.) में बदलने का विचार किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्थायी और दीर्घकालिक समाधान के रूप में सामने आया है। इस कार्यक्रम ने देश के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत की है। किसानों को सशक्त बनाने और कृषि विकास को बढ़ावा देने की दृष्टि से, इस पहल का उद्देश्य कृषि इनपुट, सूचना और सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाना, किसानों के जीवन का उत्थान करना और देश की प्रगति में योगदान देना है।
पी.एम.के.एस.के. पहल के तहत, लगभग 280,000 सक्रिय खुदरा उर्वरक दुकानें किसानों के लिए व्यापक वन-स्टॉप शॉप में चरणबद्ध रूपांतरण के दौर से गुजर रही हैं। इसके मूल में, पी.एम.के.एस.के. किसानों को परेशानी मुक्त तरीके से उर्वरक, बीज और कीटनाशक, ड्रोन सेवाओं और कीटनाशकों सहित छोटी कृषि मशीनरी सहित कृषि-इनपुट की एक विविध शृंखला की पेशकश केंद्रित है। एक महत्वपूर्ण पहलू मिट्टी और बीज परीक्षण सुविधाओं का प्रावधान भी है। किसानों को उनकी विशिष्ट मिट्टी और फसल की स्थितियों के बारे में ज्ञान प्रदान करके, ये सुविधाएं उचित निर्णय लेने, अनुकूलित संसाधन उपयोग और उच्च पैदावार को सक्षम बनाती हैं।
यह सटीक कृषि और संसाधन-कुशल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, पी.एम.के.एस.के. एक ज्ञान केंद्र के रूप में काम करते हैं, जो फसलों और सरकारी कल्याण योजनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी का प्रसार करते हैं। सूचना अंतर को पाटते हुए, ये केंद्र किसानों को सही विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाते हैं, जिससे उनकी दक्षता और आय में वृद्धि होती है।इसका उद्देश्य लाखों किसानों के जीवन को सरल बनाना है। हाल के घटनाक्रम इसकी सफलता को दर्शाते हैं। 27 जुलाई को राजस्थान के सीकर में आयोजित पी.एम.-किसान सम्मेलन जैसे एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने 1,25,000 पी.एम.के.एस.के. राष्ट्र को समॢपत किए। देश भर के लगभग 20 मिलियन किसानों की व्यापक भागीदारी इस पहल पर अंतिम उपयोगकत्र्ताओं तक पहुंच की सकारात्मक मुहर दिखाती है।
सफलता का अंदाजा विभिन्न हितधारकों के बीच एकता और गर्व की भावना से भी लगाया जा सकता है। एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि केंद्रों पर आने वाले किसानों की संख्या में पहले से ही 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह पाया गया है कि वे पी.एम.के.एस.के. के माहौल और उपलब्ध इनपुट से खुश हैं। इन पी.एम.के.एस.के. के माध्यम से नैनो यूरिया की बिक्री भी 6 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। उर्वरक कंपनियों द्वारा समॢथत ड्रोन उद्यमी उर्वरकों और रसायनों के छिड़काव को बेहतर तरीके से बढ़ावा देने के लिए धीरे-धीरे किसानों को पी.एम.के.एस.के. के साथ जोड़ पा रहा है। राज्यों, के.वी.के. और डीलरों के बीच बढ़ते संबंधों के परिणामस्वरूप ज्ञान और सेवाओं का सफल प्रसार हुआ है।
पी.एम.के.एस.के. पहल किसानों को सशक्त बनाने और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को मजबूत करने में गेम चेंजर साबित हो रही है। कृषि इनपुट्स और नॉलेज तक पहुंच को सरल बनाकर, आधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ किसानों को सशक्त बनाकर और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर, पी.एम.के.एस.के. कृषक समुदाय के लिए समृद्धि के एक नए युग की शुरूआत कर रहे हैं। अटूट सरकारी समर्थन और हितधारकों के सामूहिक प्रयासों से, पी.एम.के.एस.के. सकारात्मक बदलाव लाना जारी रखेंगे, देश की कृषि रीढ़ को मजबूत करेंगे और एक संपन्न और आत्मनिर्भर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देंगे।-डा. मनसुख मंडाविया(केंद्रीय रसायन और उर्वरक, और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री)