‘आस्था की पहरेदारी’ के लिए सियासी घमासान

punjabkesari.in Friday, Aug 20, 2021 - 04:46 AM (IST)

दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के 22 अगस्त को होने वाले आम चुनाव में कोविड की बंदिशों के बावजूद चुनाव प्रचार अपने उफान पर है। सभी बड़ी सियासी पाॢटयों ने पूरी ताकत झोंक दी है। डोर-टू-डोर प्रचार की अनुमति न मिलने के कारण पोस्टर, पम्फ्लेट एवं यूनिपोल ही सार्वजनिक प्रचार का सहारा बने हैं। यही कारण है कि दिल्ली के चारों हिस्सों में लगी यूनिपोल साइटों को प्रचार से पाट दिया गया है। 

जिस प्रकार दिल्ली में विज्ञापन लगे हुए हैं, ऐसा नहीं लगता कि यह विधानसभा चुनाव से कम है। चुनाव में प्रत्याशी हर हथकंडा अपना रहा है। कहीं सफारी सूट एवं कपड़े बांटे जा रहे हैं तो कहीं शराब, अफीम एवं भुक्की की डिमांड हो रही है। शराब पकड़े जाने की भी खबर है। लिफाफे का चलन तो अब पुराना हो चुका है। चुनाव में 6 पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे हैं। मुकाबला तीन पार्टियों शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) एवं जागो पार्टी के बीच है। रिजल्ट 25 अगस्त को आएगा। 

3.42 लाख मतदाता चुनेंगे 312 कैंडीडेट : दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी में कुल 46 वार्डों में चुनाव हो रहा है, जिनमें कुल 312 कैंडीडेट मैदान में उतरे हैं। इसमें 180 प्रत्याशी सियासी पाॢटयों के हैं जबकि 132 कैंडीडेट निर्दलीय भी चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। निर्दलीयों में ज्यादातर बड़ी सियासी पार्टियों ने जानबूझ कर वोट काटने के लिए खड़े किए हैं। चुनाव में 6 राजनीतिक पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे हैं। इस बार कुल 3.42 लाख वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसमें 1.71 लाख पुरुष एवं करीब 1.71 लाख महिला मतदाता हैं। पिछले चुनाव में 3.86 लाख वोटर थे। तब 45 फीसदी वोट पड़े थे। 

2021 में बनी संशोधित मतदाता सूची में 92 हजार वोट कट गए, जबकि 48 हजार नए वोट बनाए गए हैं। खास बात यह है कि इस बार 80 प्रतिशत वोटर लिस्ट फोटो युक्त बन गई है। हालांकि अब तक इसे 100 प्रतिशत बन जाना चाहिए था। चुनाव के लिए 546 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। 

6 फीसदी से कम वोट मिले तो खत्म होगी मान्यता : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में 6 फीसदी से कम वोट पाने वाले राजनीतिक एवं धार्मिक दल की मान्यता रद्द हो सकती है। इसके अलावा 20 प्रतिशत से कम वोट पाने वाले कैंडीडेट की जमानत राशि (5000 रुपए) जब्त हो जाएगी। 

सट्टा बाजार भी हुआ गर्म : दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव में सत्ता किसे मिलेगी, यह तो 25 अगस्त को दोपहर बाद पता चलेगा लेकिन चुनाव की गरमाहट के बीच सट्टा बाजार भी गर्म हो गया है। सट्टा बाजार के खिलाडिय़ों की मानें तो शिरोमणि अकाली दल और जागो पार्टी के बीच कई सीटों पर सीधा मुकाबला बताया जा रहा है, जबकि एक दर्जन सीटों पर सरना दल और अकाली दल के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं 6 सीटों पर जागो और सरना दल के बीच कांटे का मुकाबला बना हुआ है। 

अकाली दल : 2 साल बेमिसाल : शिरोमणि अकाली दल (बादल) दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरा है और पिछले 2 साल में किए अच्छे कार्यों को गिना रहा है। कमेटी अध्यक्ष  मनजिंद्र सिंह सिरसा 2 साल बेमिसाल के नाम पर वोट मांग रहे हैं। 

70 साल का लेखा-जोखा लेकर उतरी जागो पार्टी : जागो पार्टी 70 साल में किए गए कार्यों पर वोट मांग रही है। जत्थेदार संतोष सिंह के कार्य काल से लेकर मंजीत सिंह जी.के. के कार्यकाल में हुए सकारात्मक कार्यों, ऐतिहासिक गुरुद्वारों की संभाल, गुरुद्वारा बाला साहिब की जमीन दिलवाने आदि पुराने कार्यों को गिनवा रहा है। 

सरना दल : पुराने कार्यों एवं कमेटी की नाकामियां उजागर : परमजीत सिंह सरना की अगुवाई वाली पार्टी शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) अपने पुराने सकारात्मक कार्यों एवं दिल्ली कमेटी की वर्तमान नाकामियों को लेकर चुनाव मैदान में उतरी है। 

और अंत में... कमेटी चुनाव में संगत अभी भी कन्फ्यूज है। कमेटी नेताओं के खिलाफ गोलक चोरी के लगे दाग एवं कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पढ़ी-लिखी संगत खुश नहीं है। लोग अपनी श्रद्धा से गुरुद्वारों में आते हैं। जो भी सिख है वह गुरु को समॢपत है, और उन्हीं के चरणों में आस्था रखता है। यही कारण है कि दलों पर लगे गोलक चोरी के आरोपों के बावजूद गोलक में कोई कमी नहीं आई है। संगत नेताओं एवं पाॢटयों को नहीं बल्कि गुरु को ध्यान में रखकर मदद करती है। कोरोना काल में संगत के द्वारा की गई मदद बेमिसाल है। उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय 
 


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