पेगासस : केवल सरकारों के साथ बिजनैस

punjabkesari.in Sunday, Aug 01, 2021 - 05:31 AM (IST)

लेख के शीर्षक के शब्द राजनेताओं (विपक्षी सदस्य तथा मंत्री), जजों, नौकरशाहों, विद्यार्थियों, सिविल राइट्स कार्यकत्र्ता, पत्रकारों तथा व्यवसायियों पर जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर के इस्तेमाल पर चर्चा को परिभाषित करता है। ये शब्द पेगासस नामक स्पाईवेयर के निर्माताओं तथा मालिकों एन.एस.ओ. ग्रुप के लिखित संचार में हैं।  ये वक्तव्य एन.एस.ओ. ग्रुप के एक पहले के वक्तव्य के बाद आया है कि ‘‘एन.एस.ओ. जांच की इच्छुक सरकारों की कानून लागू करने वाली तथा खुफिया एजैंसियों को ही अपनी तकनीकें बेचता है।’’ 

हालांकि इसके साथ ही एन.एस.ओ. ग्रुप ने खुद को इस बात से अलग कर लिया है कि उसके ‘ग्राहकों’ यानी सरकारों की सूची में कौन है? स भवत: कुछ सरकारों ने स्पाईवेयर का दुरुपयोग किया होगा। यहां भारतीय संदर्भ में कुछ प्रश्न है। इससे पहले कि मैं उन्हें सूचीबद्ध करूं, एक चेतावनी है : असहज प्रश्न उन लोगों के लिए नहीं है जो तर्क अथवा तर्कसंगत चर्चा को पसंद नहीं करते। बाकी के लिए प्रश्न है : 

कोई सीधे उत्तर नहीं
1. क्या भारत सरकार अथवा इसकी कोई एजैंसी एन.एस.ओ. ग्रुप की ग्राहक थी?
यह एक साधारण तथा स्पष्ट प्रश्न है। उत्तर केवल हां या न में हो सकता है। लेकिन कुछ अकथनीय कारणों से सरकार ने स्पष्ट उत्तर देने से इंकार दिया है। सरकार के प्रश्न का उत्तर देने से इंकार करने से संदेह दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।
2. सरकार के संभावित उत्तर को अन्तर्राष्ट्रीय जांचों के आधार पर ‘द वायर’ की रिपोर्ट द्वारा पेचीदा बना दिया गया है कि ‘एन.एस.ओ. ग्रुप का एक भारतीय ग्राहक है।’ यदि ग्राहक भारत सरकार नहीं तो वह कौन था?
सरकार कह सकती थी कि ‘हम ग्राहक नहीं हैं’ लेकिन इससे एक प्रश्न उत्पन्न होता है - ‘तो फिर भारतीय ग्राहक कौन था?’ सरकार कह सकती थी कि ‘मुझे नहीं पता’, लेकिन इससे एक प्रश्न पैदा होगा, ‘क्या आप यह जानने को उत्सुक नहीं कि भारतीय ग्राहक कौन था?’ सरकार को नहीं पता कि प्रश्न का क्या उत्तर देना है क्योंकि उत्तर जो भी हो इससे प्रश्नों की एक शृंखला शुरू हो जाएगी जिनका उत्तर देने के लिए सरकार तैयार नहीं।
3. यदि भारत सरकार या इसकी कोई एजैंसी ग्राहकों में से एक थी तो इसे स्पाईवेयर कब मिला?
यदि सरकार अपनी स्पष्टत: को लेकर विश्वस्त होती तो यह पहले प्रश्न का उत्तर ‘न’ कहकर दे देती और यह प्रश्न ‘नहीं उठता।’ फिर कुछ अकथनीय कारण से सरकार ने इस प्रश्न का भी सीधा उत्तर देने से इंकार कर दिया - और इसलिए संदेह तेजी से बढ़ गया है। 

हैरानीजनक उदासीनता
4. एमनेस्टी इंटरनैशनल तथा फॉरबिडन स्टोरीज द्वारा की गई जांच ने ‘हितधारक व्यक्तियों’ की एक ल बी सूची का खुलासा किया है। हम उस सूची को अलग रखते हैैं और केवल उन व्यक्तियों के नामों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जिनके फोनों में वास्तव में सेंध (कथित तौर पर) लगाई गई है। इनमें ‘द वायर’ के अनुसार अश्विनी वैष्णव व प्रह्लाद पटेल, दोनों मंत्री, शामिल हैं। क्यों सरकार इस खुलासे के बारे में व्याकुल नहीं है?

नागरिकों के तौर पर हम जानना चाहते हैं कि क्या मंत्रियों के फोनों में सेंध लगाई गई? क्यों सरकार ऐसा दिखा रही है कि उसे ङ्क्षचता नहीं? क्या यह सही प्रतिक्रिया नहीं होती कि सरकार संबंधित मंत्रियों को 2017-2019 के बीच इस्तेमाल किए गए उपकरणों को फोरैंसिक जांच के लिए जमा करवाने के लिए कहती। सरकार ने सच जानने के लिए कोई उत्सुकता नहीं दिखाई, न ही कोई जिज्ञासा, और उदासीनता ने सरकार पर संदेह की एक बड़ी काली छाया डाल दी है। 

जांच से प्राप्त निष्कर्षों का एक-एक करके खुलासा हो रहा है। भारत सरकार सतर्कता तथा चेतावनियों के पीछे छिपना चाहती है। सतर्कता अथवा चेतावनियों में कुछ भी इस कड़वी सच्चाई को नहीं छिपा सकता कि एन.एस.ओ. ग्रुप का एक भारतीय ग्राहक था और भारत में कुछ फोनों में सेंध लगाई गई। मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय ग्राहक का नाम जल्दी ही बाहर आ जाएगा। यह भी स भव है कि भारत में हितधारक व्यक्तियों की सूची में शामिल लोगों के और भी फोन फोरैंसिक जांच के लिए पेश किए जाएंगे तथा जांच से खुलासा होगा कि उनमें से कुछ में स्पाईवेयर ने सेंध लगाई थी। उस समय सरकार क्या करेगी? 

भारत बनाम अन्य देश
पेगासस खुलासों को लेकर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया फ्रांस जैसे उदार लोकतंत्र, इसराईल जैसे एक यंत्रस्थ लोकतंत्र तथा हंगरी जैसे एक संदिग्ध लोकतंत्र की प्रतिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है। फ्रांस ने आरोपों को अत्यंत ग भीरतापूर्वक लिया, राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक आपातकालीन सुरक्षा बैठक बुलाई, कई तरह की जांचों के लिए कहा, इसराईल के प्रधानमंत्री बेनेट से बात की तथा बेनेट ने उन्हें आश्वस्त किया कि इसराईल ने जिस जांच का आदेश दिया है उसके निष्कर्षों को सांझा करेंगे। इसके शीघ्र बाद इसराईल के रक्षामंत्री बेनी गांट्स फ्रांस पहुंच गए, स भवत: उसके साथ शांति प्रयासों के लिए। इसराईल ने एन.एस.ओ. ग्रुप के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की समीक्षा के आदेश दिए हैं। जांच की शुरूआत करते हुए इसराईली सरकार के अधिकारी एन.एस.ओ. ग्रुप के कार्यालयों में पहुंचे। 

हंगरी में न्याय मंत्री ने कहा, ‘‘प्रत्येक देश को ऐसे औजारों की जरूरत होती है।’’ लेकिन पेगासस स्पाईवेयर पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। विपक्षी नेता, मेयर तथा पत्रकार ऐसे लोगों में शामिल हैं जिनके फोनों में सेंध लगाई गई। सरकार के त्यागपत्र के लिए जोरदार मांग की जा रही है। सरकार अडिग है। भारत में सरकार ने किसी भी तरह की जांच का विरोध तथा संसद में चर्चा से इंकार किया है। भाजपा सांसदों ने संसदीय समिति की एक बैठक में  उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया तथा कार्रवाई में बाधा डाल दी। इस समय भारत हंगरी की श्रेणी में खड़ा है। क्या आपको इस पर गर्व है?-पी. चिदंबरम


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