कोरोना से जंग जनता ही जिताएगी

punjabkesari.in Friday, Jun 18, 2021 - 05:54 AM (IST)

इस बार कोरोना की जो लहर आई, वह इतनी भयावह थी कि इसने लाखों लोगों के प्राण ले लिए और पूरे देश को हिला कर रख दिया। इसका आतंक अभी तक जारी है और तमाम कोशिशों के बावजूद यह पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ रहा। इस बार तो इसने पूरे भारत को अपनी चपेट में ले लिया है। इस महामारी के बारे में पूरी जानकारी किसी को नहीं है और इसलिए इसका इलाज भी एक निश्चित फॉर्मूले के तहत नहीं हो पा रहा है। जाहिर है कि ऐसे में सारा प्रयास इसे रोकने के लिए होना चाहिए और यह हर किसी की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

इस महामारी में सरकार की ओर से जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, उसमें जब प्रत्येक नागरिक की सहभागिता होगी तभी उसका सकारात्मक परिणाम आएगा। कोरोना से बचाव के नियमों का प्रत्येक नागरिक पालन कर ले तो यह जंग जीती जा सकती है। दरअसल, समाज की गुणवत्ता नागरिकों के कत्र्तव्य पालन का परिणाम होती है। प्राचीन भारत में विधि और नियम के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान था, अब भी है लेकिन कत्र्तव्य पालन ही आदर्श समाज की धुरी है। 

वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और सरकार के प्रयासों से कोरोना टीकाकरण अभियान जारी है। बावजूद इसके लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे और मर रहे हैं। इसके बीच ङ्क्षचता की बात यह है कि लोग मास्क और शारीरिक दूरी के नियम की लगातार अवहेलना कर रहे हैं। उन्हें चिंता नहीं है कि इससे दूसरे भी संक्रमित हो सकते हैं, उनकी इस आपराधिक लापरवाही से न जाने कितनी जानें जा सकती हैं। यह समय का तकाजा है कि लोग सावधानी बरतें और मास्क पहनने के साथ ही साबुन से हाथ धोएं। दूरी बनाए रखना तो जरूरी है ही। 

हमने कोरोना के शुरूआती दौर में देखा कि लोग संयम बरत रहे थे लेकिन बाद में फिर अपनी पुरानी आदतों पर लौट आए। उसके बाद से नागरिक कत्र्तव्यों की अवहेलना हो रही है। जानलेवा कोरोना के प्रोटोकॉल का मजाक उड़ाया जा रहा है। आखिर क्यों?लोगों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि यह जानलेवा बीमारी किसी को भी नहीं ब शती और इसकी कोई कारगर दवा नहीं है। सिर्फ प्रोटोकॉल के पालन से ही इस पर नियंत्रण लगेगा। 

इसके बाद सबसे जरूरी है कि टीके लगवाए जाएं। बहुत से इलाकों में लोगों ने टीके लगवाने से ही इन्कार कर दिया, बल्कि इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल शुरू में ही कुछ राजनीतिज्ञों और राजनीतिक दलों ने एक मुहिम चला कर टीके का कतिपय कारणों से विरोध किया और उसका असर जनता पर पड़ा है। अब जरूरी है कि इस धारणा को खत्म किया जाए और बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा की जाए।

यह बात आईने की तरह साफ है कि टीका ही हमें इस महामारी से बचा सकता है। भारतीय समाज प्राचीन काल से ही विधि और मर्यादा के अनुशासन में रहता आया है, मगर आश्चर्य है कि जानलेवा चुनौतियों के सामने हम सामान्य संयम भी बरतने को तैयार नहीं। हमारे संविधान में प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकारों की गारंटी है, साथ ही अनुच्छेद-51(क) में मूल कत्र्तव्य भी हैं। स य समाज के नागरिक संस्कृति, संविधान और विधि का स्वत: पालन करते हैं। 

हमारे मनीषियों ने कहा है कि स यता का मूल तत्व है कत्र्तव्य पालन लेकिन कत्र्तव्य पालन की यह प्रवृत्ति लगातार घटती गई। वर्तमान में सर्वप्रथम कत्र्तव्य कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करना है। यही समय और देश की मांग है। जि मेदार नागरिक के रूप में हमें निजी और सामूहिक कत्र्तव्यों का पालन करना चाहिए। भारतीय समाज का बड़ा वर्ग विधि पालन करता है, पर समाज के एक गैरजि मेदार वर्ग द्वारा नागरिक कत्र्तव्यों की अवहेलना हो रही है। 

सामाजिक समझौता सिद्धांत के प्रवर्तक हॉब्स ने सभी मनुष्यों के मध्य एक अनुबंध का उल्लेख किया है कि ‘हम अपने ऊपर शासन करने का अधिकार इस सभा-समाज को देते हैं। आप सब भी अपने ऊपर शासन करने के अधिकार इस सभा को स्थानांतरित करें।’ आत्मानुशासन में ही नागरिक कत्र्तव्य पूरे होते हैं और कत्र्तव्य पालन में ही समाज की गुणवत्ता है। अगर हमने इस सूत्र को आत्मसात कर लिया, तो यकीन मानिए कोरोना से जंग में हमारी जीत तय है। महामारी से अपना और दूसरों का बचाव हमारा कत्र्तव्य है।-मधुरेन्द्र सिन्हा


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