कोविड पाबंदियों में ढील देने का अभी समय नहीं

punjabkesari.in Thursday, Jul 15, 2021 - 06:51 AM (IST)

पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी इलाकों में लोगों के भीड़ जुटाने के चित्र तथा वीडियो देखे जा सकते हैं। ये लोग मैदानी क्षेत्रों से गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए कुछ राहत पाने हेतु पहाड़ों की ओर रुख कर रहे हैं। ज्यादातर लोग बिना मास्क के और बिना किसी सामाजिक दूरी के नियमों की पालना कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में लोग न केवल अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं बल्कि अपने पारिवारिक सदस्यों, सहयोगियों तथा अपने स पर्क में रहने वाले दूसरे लोगों को भी कोविड के प्रकोप को झेलने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 

विशेषज्ञ कोरोना वायरस की तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं। सवाल यह नहीं कि क्या यह लहर आएगी या फिर यह कब फूटेगी? कुछ विशेषज्ञों ने आशा जताई है कि जुलाई के मध्य तक इस तीसरी लहर के बढ़ने की संभावनाएं हैं और अगले 2 से 3 महीनों में यह अपने चरम सीमा पर होगी। इन्हीं विशेषज्ञों ने दूसरी लहर के उठने तथा कम होने की भविष्यवाणियां भी की थीं, जो सही साबित हुईं। 

हालातों के बिगड़ने के संकेत हमारे सामने हैं। सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट में पता चला है कि रोजाना की सकारात्मकता दर में दर्जन भर राज्य पहले से ही कोविड के बढऩे के ट्रैंड बता रहे हैं। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और कुछ हद तक पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल भी शामिल हैं। ऐसे जोखिम भरे समय के दौरान कुछ गैर-जि मेदार लोग पहाड़ी इलाकों में भीड़-भाड़ जुटा रहे हैं। ये लोग कोविड के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए बाजारों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी नजर आ रहे हैं। लोगों की याद्दाशत स्पष्ट तौर पर छोटी है क्योंकि ऐसे ही हालातों के चलते तबाहकुन दूसरी लहर आई थी। 

टोक्यो ओलंपिक्स के लिए जाने वाले खिलाडिय़ों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चेताया कि लोगों को गैर-जि मेदार व्यवहार से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि लोग कोविड प्रोटोकाल की पालना नहीं कर रहे। 

उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात की कि तीसरी लहर अपने आप में आ जाएगी, यदि लोग अपने गैर-जि मेदार व्यवहार को प्रकट करेंगे। इस संदर्भ में उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा को रद्द करने का निर्णय  स्वागत योग्य कदम है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस यात्रा को कोविड प्रोटोकोल के तहत अनुमति दी है। हालांकि कांवडिय़ों के लिए यह एक बेहद कठिन बात होगी जो सैंकड़ों मील की यात्रा तय करते हैं। उन्हें मास्क तथा सामाजिक दूरी भी बनाकर रखनी होती है। सामाजिक दूरी की पालना न करने के चलते कुंभ मेले ने दूसरी लहर को बढ़ावा दिया। इसके अलावा चुनावी प्रचारों के दौरान आयोजित रैलियों में लोगों की बड़ी भीड़ निकलते देखी। 

यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया जैसे अनेकों देश फिर से लॉकडाऊन तथा पाबंदियों में चले गए हैं। लगभग ये सभी देश कोविड के डेल्टा प्रारूप द्वारा बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जिसने भारत में जन्म लिया और अब यह विश्व के अन्य हिस्सों में भी फैल रहा है। देश में वर्तमान हालात का सबसे ज्यादा विचलित करने वाला पहलू आर. फैक्टर (री-प्रोडक्टिव फैक्टर) है जोकि 1.05 प्रतिशत पर खड़ा है और इसे बेहद खतरनाक माना जाता है। देश में कोविड के पुनर्जीवन के चिन्हों में से यह एक है। 

सबसे महत्वपूर्ण कारक ने भारत को खतरनाक जोन में डाला है वह यह है कि सबसे कम लोगों का टीकाकरण किया गया है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मात्र 7 करोड़ लोगों को कोविड की दोनों खुराकें दी गई हैं। जबकि 28 करोड़ लोगों को एक खुराक दी गई है। इसको देखते हुए कि हमारे देश की आबादी 135 करोड़ की है, टीकाकरण के ये आंकड़े अपर्याप्त दिखाई देते हैं।

सरकार का दावा है कि साल तक पूरी आबादी का टीकाकरण किया जाएगा जोकि वर्तमान दर को देखते हुए असंभव प्रतीत होता है। टीकों की कमी और उनका सीमित उत्पादन भी है। टीकाकरण के प्रति लोगों की उदासीनता भी एक चिंता का विषय है। अशिक्षित तथा अनजान लोगों को और जागरूक करना होगा। देश में शहरी क्षेत्रों में पढ़े-लिखे लोग भी हैं जो टीकाकरण के प्रति उदासीन हैं। 

देश में कुछ टीकाकरण के साइड इफैक्ट्स के बारे में भी भ्रम है। विशेषज्ञों ने ऐसे सिद्धांतों को नकारा है। मगर फिर भी नागरिकों का एक वर्ग अभी भी अटल है। उन्हें समाज तथा देश के प्रति अपने कत्र्तव्य को समझना चाहिए। जीवन के घटने से राष्ट्र का एक बड़ा नुक्सान है। प्रतिबंधित क्षेत्रों में छूट आहिस्ता-आहिस्ता देनी चाहिए। यह समय सरकार को अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने का नहीं है।-विपिन पब्बी
 


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