कोविड से चीन में होने वाली खास-ओ-आम की मौत

punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 03:55 PM (IST)

चीन में कोविड फैलने के कारण न सिर्फ आम लोगों की जान जा रही है बल्कि वहां पर बड़ी संख्या में राजनयिक, पूर्व राजनयिक और विदेश विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी मारे जा रहे हैं। झुझुशोक जो पूर्व नीदरलैंड्स और हंगरी के राजदूत थे उनकी मौत कोविड महामारी के कारण हो गई। इसके बाद हांगकांग के मीडिया ने 11 जनवरी 2023 को बताया कि वू ताओ नाम के रूस में पूर्व चीनी राजदूत की 8 जनवरी को कोविड के कारण मौत हो गई, वह 2 वर्ष के थे चीन के बालक कल्याण शोध संस्थान के निदेशक शेन कांग ने 9 जनवरी को अपने वेईबो अकाऊंट पर इस बात की पुष्टि की कि वू ताओ की 8 जनवरी को कोविड महामारी से मौत हो चुकी है।

अपने बेईबो अकाऊंट पर शेन कांग ने वृ ताओ की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर भी सांझा की पिछले वर्ष दिसंबर में चीनी विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वैबसाइट पर एक पोस्ट छपी थी जिसमें इस बात का खुलासा किया गया था कि चीनी विदेश विभाग में काम करने वाले कई अधिकारी कोविड महामारी से मारे जा चुके हैं। ये पोस्ट चीन में सोशल प्लेटफॉर्म पर इन दिनों जमकर वायरल हो रही है। इस पोस्ट में वृ ताओ के बारे में बताया गया है कि वह सहायक विदेश मंत्री और रूस के राजदूत रह चुके हैं। उन्हें व्हाइट लंग्स की बीमारी थी जिसके चलते वह अस्पताल में भर्ती हुए परन्तु लाख कोशिशों के बावजूद उन्हेंबचाया नहीं जा सका। चीनी विदेश मंत्रालय की वैबसाइट पर यह भी छपा था कि 25 दिसंबर 2022 तक चीनी विदेश विभाग के 52 अधिकारी कोविड महामारी से मारे जा चुके थे। वहीं त्सिंग ताओ वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार पूर्व चीनी राजदूत शूजो, जो नीदरलैंड्स और हंगरी के राजदूत थे उन्हें बीजिंग के त्सांग क्वांग कुन अस्पताल में 11 दिसंबर को भर्ती कराया गया था।

उनके फेफड़ों में संक्रमण फैल गया था और उन्हें पहले से भी कुछ बीमारी थी जिसकी वजह से उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई और 1 जनवरी 2023 को अस्पताल में ही 27 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई। पिछले वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में चीन ने अचानक कोविड लॉकडाऊन से पाबंदी हटा ली जिसके कारण पूरे चीन में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैली जिसकी वजह से न सिर्फ आम चीनियों की मौत हुई बल्कि इसमें कई हाई प्रोफाइल लोगों की मौत भी हो गई। मरने वालों में कई चीनी थिंक टैंक के लोग और उच्चाधिकारी भी शामिल थे। लेकिन इस दौरान इन अधिकारियों की मौत की घोषणा करने के दौरान चीनी तंत्र भी मरा हुआ महसूस होने लगा क्योंकि किसी भी अधिकारी की मौत के बारे में यह नहीं बताया गया था कि वह कोविड महामारी से मरा है, सभी मरने वालों को मौत के कारणों में से कॉविड महामारी शब्द हटा दिया गया था। इस बात से ये साफ हो जाता है कि चीन सरकार को अपने आदमियों की जान बचाने से ज्यादा चिंता विदेशों में अपनी साख बचाने की थी।

चीन ने न सिर्फ कोरोना वायरस से हुई मौतों के सच को छुपाया है बल्कि इस दौरान कोरोना फैलने से उनकी मैडोकल व्यवस्था जिस कदर चरमराई है उसे भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने छुपाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन यह दौर सोशल मीडिया का है जहां पर मौतों को छुपाना और मैडीकल व्यवस्था के चरमराने को ये मीडिया की आंखों से छुपा नहीं सके। दिसंबर में जब चीन ने अचानक सख्त कोविड लॉकडाऊन से पाबंदी हटाई उसके तुरंत बाद बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ने लगे और बीमारी से उनकी मौत भी होने लगी थी।

इससे जुड़ी खबरें चीन के सोशल मीडिया से होते हुए पूरी दुनिया में फैल गई थीं, लेकिन चीन सरकार ने देश में होने वाली कोरोना से मौतों पर पर्दा डाले रखा। वहीं चीनी जनता दर्द और बुखार से छुटकारा पाने के लिए दवाएं ढूंढती रही लेकिन उन्हें दवा की शैल्फ हर जगह खाली मिली पैरासिटामोल और आईबूप्रोफेन की भारी किल्लत की ख़बर देश से बाहर ताईवान, जापान, कनाडा, न्यूजीलैंड से होते हुए अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और इंगलैंड तक जा पहुंची। दरअसल सी.पी.सी. को लोगों की जान बचाने से ज्यादा चिंता अपनी प्रतिष्ठा और शासन बचाए रखने की है। लेकिन चीन के लोग इस बात को जानते हैं कि उनकी सरकार किस हद तक सच्चाई को छुपाती रही है। इससे विदेशों के साथ-साथ चीन के स्थानीय लोगों में भी सी.पी.सी. की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है।


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