मोदी जी, देश को तनावमुक्त करो

punjabkesari.in Wednesday, May 04, 2022 - 05:09 AM (IST)

आर्य पुत्र मोदी, दुनिया तुम्हारी तरफ देख रही है। तुम्हारे होते देश तनाव में रहा तो मोदी नाम सार्थक कैसे होगा? बुल्डोजर नहीं, बुराई के विरुद्ध गांडीव उठाओ। योगी, मोदी और अमित शाह की त्रिमूर्ति के अधिकार में तो कटुता, वैमनस्य और तनाव खत्म करना ही आता है। देश के बहुलतावाद, इसकी विभिन्नता पर गर्व करना यह त्रिमूर्ति भारत की प्रजा को सिखाए। दंगे न तो समाज को कुछ देंगे, न इस त्रिमूर्ति के गौरव के अनुरूप हैं। देश का विकास, जो इस त्रिमूर्ति का आदर्श है, इन दंगों की ओट में रुकना नहीं चाहिए। 

यक्ष प्रश्र का उत्तर दो धरतीपुत्र मोदी, क्या आजादी के 75 वर्ष बीत जाने पर भी तुम देश को हिंदू-मुसलमान की चौखट से ऊपर नहीं उठा सकोगे? मंदिर-मस्जिद में फंसे रहोगे या विश्व राजनीति के नए मापदंड तय करोगे? दुनिया मोदी की ओर देख रही है कि वह हमारा मार्गदर्शन करेगा, यूक्रेन-रूस के युद्ध की मध्यस्थता करेगा पर यह क्या, तुम तो दिल्ली की जहांगीरपुरी की तंग गली में फंस गए? अपने को विस्तृत करो, विशाल करो। भारत के अनुपम गौरव को पहचानो। 

और सुनो, यह जो हम गाते आए हैं कि ‘रोम, मिस्र, यूनान सब मिट गए जहां से’, पता है क्यों मिटे? उत्कट कट्टरवाद से, उत्कट मजहबी उन्माद से, उत्कट अनुशासनवाद से। सीरिया, बेबीलोन और मिस्र की सभ्यताएं ही सबसे प्राचीन कही जाती थीं न? आज सीरिया खंडहर बन चुका है। ईराक, लीबिया कट्टरवाद का शिकार हो चुके हैं। मरणासन्न हैं ये देश। सारे इस्लामिक देशों को आतंकवाद खा रहा है। पूछो क्यों? इसलिए कि मजहब इन देशों का राजधर्म बन गया, स्टेट मजहब को आधार बना कर प्रजा का शोषण करती है। भारत एक वास्तविक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। लोकतंत्र भारत की शोभा और शृंगार है। इसका बहुलतावादी स्वरूप इसका गौरव है। सब देशवासी स्वतंत्र हैं। इस देश की प्रजा अपनी एकजुटता से राजा को शक्ति देती है। राजा ध्यान रखे कि प्रजा की यह एकजुटता न टूटे। 

देश की राजनीति के लाभ-हानि को सिर्फ मोदी समझ सकता है। वैसे तो संघ-प्रचारक होना ही सौभाग्य है परन्तु यदि मोदी जैसा परिपक्व प्रचारक देश की राजनीति में है तो निश्चय ही देश सम्पूर्णता प्राप्त करेगा। वह एक राष्ट्रीय दल के प्रभारी, एक प्रांत के मुख्यमंत्री और पिछले 8 वर्षों से देश के सशक्त प्रधानमंत्री हैं। देश का विपक्ष मरणासन्न अवस्था में है तो ऐसे हालात में देश के लिए प्रकाश स्तम्भ तो मोदी ही हुए न? तो स्वाभाविक प्रश्र सामने है कि क्या उनके होते राम-रहीम के झगड़े हों? मोदी के राज में रामनवमी की शोभायात्रा में तलवारें लहराई जाएं? मोदी जैसे राजा के राज में राम-हनुमान के नाम पर उन्मादी लोग ङ्क्षहसा करें? मस्जिदों से विस्फोटक पदार्थ फैंके जाएं? पत्थरों, कट्टों, पैट्रोल बमों से राम की शोभायात्रा का स्वागत हो? मोदी राजा है तो ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए। 

और भी सुनो, समाज मोदी राज में अपने को तनावमुक्त देखना चाहता है। मोदी राज मे 2 कौमों में ध्रुवीकरण क्यों? मोदी प्रतीक है समरसता का, समानता का, एकता का, विकास का। मोदी का नारा है ‘सब का साथ-सब का विकास’। हम सब एक हैं। दंगों में इस भावना का ह्रास हुआ है। अल्पसंख्यकों का विश्वास मोदी-साहिब जीत लें। मोदी राज है तो बहुसंख्यक, अल्पसंख्यक शब्द ही क्यों उभरें? एक पिता एकस के हम बारिक। दुराव क्यों? तनाव, भय, और डर मोदी राज में क्यों? आजाद भारत में 1940 का इतिहास क्यों दोहराया जाए? मोदी राज में अब कोई मोहम्मद अली जिन्ना न बने। समझने वाले समझ गए हैं जो नहीं समझे वह अनाड़ी हैं। 

अब थोड़ा भारत के बहुलतावाद का आनंद ले लें। भारत की विभिन्नता में भी एकता का भाव दिखाई देता है। पूर्व से पश्चिम में और उत्तर से दक्षिण में इस देश में सब कुछ अद्भुत है। विभिन्न भाषाएं, रंग-रूप, वेशभूषा, सभ्यता-संस्कृति, तीज-त्यौहार, जाति-भेद, मौसम, कहीं सूखा, कहीं बर्फ, कहीं पहाड़, कहीं मैदान, कहीं हिंदू, कहीं मुसलमान, कहीं सिख, कहीं ईसाई, कहीं बौद्ध, कहीं जैन, कहीं पारसी पर इन सबको मिला कर बना एक भारत। उस भारत के राजा नरेन्द्र मोदी, यह सारी मोदी की प्रजा। एक राजा, एक देश, एक प्रजा। फिर दंगे क्यों? वह भी मोदी के राज में? फिर उंगली किस पर उठेगी? मोदी पर, क्योंकि वह राजा हैं, प्रजा पालक हैं? इनके राज में प्रजा दुखी क्यों? यहां मंदिरों की घंटियों में संगीत है, मस्जिदों की अजान में कल्याण टपकता है। गुरुद्वारों से एकता और सद्भाव का पैगाम सुनाया जा रहा है। गिरिजाघरों से करुणा का संदेश सुनाई दे रहा है। 

ऐसे विचित्र वातावरण में मोदी अपने ‘मन की बात’ सुनाने में असफल क्यों हुए? दंगे ही होने हैं तो पाकिस्तान खुला पड़ा है। लडऩा ही है तो अफगानिस्तान बहुत नजदीक है। मरना ही है तो सीरिया के खंडहरों में जाकर दफन हो जाएं। यह भारत तो मेरा हीरे की कनी है। मोदी का गांडीव आसुरी शक्तियों के मन में भय पैदा करे, अपने देशवासियों के लिए तो अमृत की वर्षा करे। अवसर का लाभ उठाओ। महंगाई का भूत भगाओ। अतिवादी चाहे हिंदू हो या मुसलमान, मोदी का तीर सब पर समान निशाना साधे। शर्त सिर्फ यह कि शरीफ और ईमानदार व्यक्ति मोदी राज में भयमुक्त बनें और शातिर-बदमाश मोदी से भय खाएं। यही राजा का कत्र्तव्य है। जागो, राजधर्म पहचानो। यही वक्त है तुम्हारे सामने कोई है ही नहीं। भयमुक्त करो भारत।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)


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