‘मोदी भी कुछ नेहरू की तरह हैं’

punjabkesari.in Monday, Aug 17, 2020 - 02:07 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर एक भाषण दिया। मेरा मानना है कि यह एक अच्छा भाषण था क्योंकि उनके प्रशंसक उनसे ऐसी ही आशा करते हैं। मैं यकीनी तौर पर कह सकता हूं कि यह एक लम्बा भाषण था। मोदी एक मनोरंजक वक्ता हैं (मगर मेरे लिए नहीं क्योंकि मैं बौद्धिक सामग्री पसंद करता हूं तथा उनका स्टाइल मुझे नहीं भाता।) यकीनी तौर पर वह बहुत कुछ बोलते हैं। 

आस्ट्रेलिया के पूर्व राजदूत वाल्टर क्रोकर ने नेहरू की जीवनी पर किताब लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि नेहरू कई बार एक बात को एक दिन में 3 बार बोलते थे, कुछ मोदी भी उनकी तरह हैं। हालांकि नेहरू तथा मोदी का विषय वस्तु एक जैसा नहीं। मैंने तो पहले मोदी का भाषण सुनना ही बंद कर दिया मगर फिर सोचा कि स्वतंत्रता दिवस पर उनको सुनना मेरे लिए विशेष महत्ता रखता है। कुछ ऐसा ही मैंने उनके भाषण में पाया। मोदी ने तिरंगे को फहराया तथा सैल्यूट किया जिसके लिए मेरा मानना है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। सैल्यूट एक मिलिट्री हावभाव है तथा सिविलियन को इससे अलग रहना चाहिए। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मोदी के साथ सैल्यूट नहीं किया। मेरा मानना है कि राजनाथ का यह सही हावभाव था। 

अपने भाषण में मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में ज्यादा कहा। उनका संघ परिवार इससे अलग रहा। शायद मोदी अन्यों के लिए बोल रहे थे जिन्होंने भाग लिया। हालांकि उन्होंने कांग्रेस तथा न ही उनके नेताओं का उल्लेख किया। स्वतंत्रता संग्राम का व्याख्यान करने के लिए मोदी ने कुछ ऐतिहासिक गलतियां कर डालीं। 

मोदी कोविड योद्धाओं के आगे नतमस्तक हुए। मुझे यकीन नहीं है कि यदि मोदी जानते होंगे कि 6 लाख मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता (आशा) महिलाएं हड़ताल पर हैं। उन्हें प्रति माह 2000 रुपए की अदायगी की जा रही है तथा न ही उन्हें उनके कार्य करने के दौरान कोई सुरक्षित कपड़े दिए जा रहे हैं। पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पुलिस ने प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकत्र्ताओं के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की, शायद मोदी इस बात को नहीं जानते। न्यूज चैनलों ने भी ऐसी बातों की रिपोर्टिंग नहीं की क्योंकि ज्यादातर तो वह बॉलीवुड की आत्महत्याओं के बारे में उलझे रहे। मैं आशा करता हूं कि मोदी ने यह बताया होता कि हमारी अर्थव्यवस्था लगातार 10 तिमाहियों से निरंतर ढलान पर क्यों है? और इस वर्ष हमारी जी.डी.पी. सिकुड़ेगी। 

मोदी ने कहा कि हमारा देश प्राकृतिक दौलत से भरा हुआ है मगर उन्होंने यह नहीं कहा कि उनकी नई पर्यावरण नीति खिसक क्यों रही है? उन्होंने पूर्व में भारत द्वारा गेहूं के आयात के बारे में बात की। शायद वह यह नहीं जानते थे कि यह सब अमरीकी वैज्ञानिक नार्मन बोरलॉग तथा उनके बौने गेहूं पर हुए कार्य के कारण संभव हुआ जिसके बाद देश में हरित क्रांति आई। उन्होंने ऐसा कई बार कहा कि यह चीजें या फिर वे चीजें पूर्व में किसी व्यक्ति के द्वारा कभी भी सोची नहीं गई थीं। शायद उन्हें यह कहना चाहिए था कि यह उनके द्वारा कभी भी सोचा नहीं गया था। उन्होंने कश्मीर के बारे में बोला मगर वहां के लोगों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। उन्होंने वहां पर परिसीमन कार्य के बारे में बोला कि यह कश्मीर के मुख्यमंत्री तथा विधायकों के लिए फायदेमंद होगा। मगर उनके दिमाग से यह बात निकल गई कि वहां पर न विधायक और न ही मुख्यमंत्री है। 

चीन के बारे में भी वह गोलमाल कर गए। उन्होंने ऊंची आवाज में भारतीय एकता तथा अखंडता के बारे में बात की। उन्होंने लद्दाख में 20 जवानों के बारे में कहा मगर फिर भी उन्होंने चीन का नाम तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि विश्व ने देख लिया है कि हमने क्या हासिल किया। हालांकि मोदी ने यह कहा था कि एल.ए.सी. पर कुछ नहीं घटा तथा न ही कोई भारतीय सीमा में घुसा है। ले देकर उनका भाषण एक लम्बी लाऊंड्री या फिर शॉपिंग लिस्ट पढऩे के समान था। न तो कोई इसका अर्थ था और न ही किसी वस्तु पर उनका ध्यान केन्द्रित था जिस पर विस्तार में बात की जा सके। आर्थिक मंदी को हम किस तरह नियंत्रित करेंगे जिसके कारण लाखों लोग गरीबी में झोंक दिए गए हैं।-आकार पटेल


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