हरियाणा में नौकरशाही के शीर्ष पर कई प्रमुख

punjabkesari.in Wednesday, Mar 16, 2022 - 05:35 AM (IST)

हरियाणा के व्हिसलब्लोअर आई.ए.एस. अधिकारी अशोक खेमका, जिनके नाम देश में सबसे ज्यादा बार (54 बार)स्थानांतरित किए जाने वाले बाबू का रिकार्ड है  अब उन्हें सेवा के 30 वर्षों के बाद मुख्य सचिव के शीर्ष पद पर प्रोमोट किया गया है। यह ध्यान में रखते हुए यह उल्लेखनीय है कि वह राज्य में आने वाली सभी सरकारों के लिए व्यावहारिक तौर पर अनिश्चिततापूर्ण रहे। 

लेकिन हरियाणा में कुछ इससे भी अधिक उल्लेखनीय चल रहा है। खेमका अकेले नहीं हैं जिन्हें शीर्ष पद के लिए प्रोमोट किया गया है-1991 बैच के 6 अन्य आई.ए.एस. अधिकारियों को भी प्रोमोट किया गया है जिससे ऐसे अधिकारियों की संख्या बढ़ कर 20 हो गई है। खेमका के अतिरिक्त प्रोमोट होने वाले अधिकारी हैं विनीत गर्ग, अनिल मलिक, कुमारी जी. अनुपमा, ए.के. सिंह, श्रीकांत वाल्गाड तथा अभिलाष लिखी। 

यह देखते हुए कि हरियाणा की कुल कार्डर क्षमता 2005 पदों की है, जिनमें 44 पद केंद्रीय डैपुटेशन के लिए हैं, राज्य में पदानुक्रम के शीर्ष पर इतने अधिक बाबुओं को इकट्ठा करना प्रश्र उठाता है। भारतीय नौकरशाही को आमतौर पर ‘टॉप-हैवी’ कह दिया जाता है और यह बिना कारण नहीं। हरियाणा का उदाहरण अलग नहीं है, स्वाभाविक तौर पर यह रुझान देशभर में काफी मुखर बन गया है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि विरूपण है, नियम पुस्तिका की बात करें तो राज्य सरकार शीर्ष पद पर 6 आई.ए.एस. अधिकारियों से अधिक नहीं रख सकती, लेकिन स्पष्ट तौर पर नियमों को नजरअंदाज करना सरकार के अनुकूल है। 

केंद्र ने डी.आई.जी. स्तर के अधिकारियों के लिए डैपुटेशन नियम बदले : अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन का प्रस्ताव, जो केंद्र को किसी भी आई.ए.एस., आई.पी.एस. अथवा आई.एफ.ओ.एस. अधिकारी को केंद्रीय डैपुटेशन पर बुलाने की शक्ति प्रदान करता है, राज्य की सहमति से अथवा बिना, ने पहले ही विपक्ष शासित राज्यों में सरकारों को परेशान कर रखा है। व्याकुल सरकार ने अब डी.आई.जी. स्तर के आई.पी.एस. अधिकारियों की केंद्र के लिए डैपुटेशन हेतु इम्पैनलमैंट नियमों को वापस ले लिया है। 

जाहिर तौर पर नियमों में बदलाव केंद्रीय डैपुटेशन के लिए डी.आई.जी. स्तर के पुलिस अधिकारी के पूल को चौड़ा करने तथा केंद्रीय पुलिस संगठनों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में कई खाली पदों को भरने  के लिए किया गया है। स्थिति वास्तव में गंभीर है-केंद्र में आई.पी.एस. अधिकारियों के लिए आरक्षित डी.आई.जी. स्तर के सभी पदों में से लगभग आधे खाली हैं। आई.पी.एस. काडर के लिए स्वीकृत डी.आई.जी. के 252 पदों के विपरीत 118 पद खाली हैं। 

सूत्रों ने जानकारी दी है कि जहां केंद्र में जाने से पहले ऐसे अधिकारियों को राज्यों द्वारा सेवामुक्त करना होगा, कुछ को डर है कि यह राज्य में सेवा दे रहे अधिकारियों पर राज्यों की कीमत पर अपनी ताकत बढ़ाने का केंद्र का प्रयास है। आई.ए.एस. अधिकारियों के लिए डैपुटेशन नियमों में संशोधन पर पूर्ववर्ती प्रस्तावों को भी कुछ राज्यों की ओर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने दावा किया है कि यह कदम संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर करेगा। इसे भी इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। 

रेल भवन में बदलाव की हवाएं : केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुशलता में सुधार करने तथा प्रबंधकीय ढांचे के भीतर गोपनीयताओं को दूर करने के लिए भारतीय रेलवे के बहु-प्रतीक्षित पुनर्गठन की शुरूआत कर दी। केंद्र द्वारा भारतीय रेलवे की वर्तमान 8 सेवाओं को एक इकाई में मिलाने की स्वीकृति देने के दो वर्षों बाद वैष्णव ने इंडियन रेलवे मैनेजमैंट सर्विस (आई.आर.एम.एस.) बनाने की घोषणा की है। आई.आर.एम.एस. का प्रस्ताव कई अन्य महत्वपूर्ण सुधारों के साथ लम्बित था जिनमें एक कार्पोरेट अकाऊंटिंग सिस्टम लागू करना तथा अन्यों के अलावा यात्री तथा मालभाड़े का निर्धारण करने के लिए एक स्वतंत्र रेल नियामक का गठन करना शामिल था। 

आई.आर.एम.एस. के लिए नियुक्तियां यू.पी.एस.सी. के माध्यम से आयोजित कॉमन एग्जामिनेशन द्वारा की जाएंगी जिसके साथ अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्तियां भी की जाएंगी, जहां उम्मीदवार अपनी विशेषज्ञता के पसंदीदा क्षेत्रों को इंगित करेंगे। अभी तक रेलवे के लिए नियुक्तियां या तो यू.पी.एस.सी. के माध्यम से ट्रैफिक तथा प्रशासनिक स्टाफ के लिए संयुक्त इंजीनियरिंग सेवाएं परीक्षा द्वारा की जाती थीं या सीधे जमालपुर स्थित भारतीय रेलवे संस्थान के माध्यम से। 

यद्यपि सूत्रों का कहना है कि अभी कुछ ब्यौरों का सामने आना बाकी है। इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि नई प्रणाली में वर्तमान क्लास-ए अधिकारियों की वरिष्ठता, वेतन तथा तरक्कियां कैसे निर्धारित की जाएंगी। यही वह चीज है जिसे वैष्णव, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं सी.ई.ओ. वी.के. त्रिपाठी तथा वरिष्ठ रेल अधिकारियों को स्पष्ट करना होगा।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन
 


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