भारतीय मूल्यों की मर्यादा हैं महात्मा गांधी

punjabkesari.in Sunday, Oct 02, 2022 - 03:46 AM (IST)

विश्व के इतिहास में महात्मा गांधी जैसा कोई व्यक्तित्व नहीं हुआ, जिस प्रकार उन्होंने लंगोटी लगाकर सूट वाले ब्रिटिश हुक्मरानों को भारत छोडऩे पर मजबूर किया। वह भारत के महापुरुषों में इसलिए महान माने जाते हैं क्योंकि उन्होंने आजादी की लड़ाई में समग्र भारत को एक किया। वे अपने आप में आजादी के प्रतीक बन गए।

‘गांधी’ यानी आजादी की लड़ाई लडऩे वाला। उनके आह्वान पर लोगों ने पेट की चिंता नहीं की बल्कि राष्ट्र की चिंता की। महात्मा गांधी भारतीय आस्थाओं के प्रतीक हैं। वे जन गण मन हैं। वे वंदे मातरम हैं। ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता रामईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।’ वे भारतीय जीवन मूल्य के अनुपम उदाहरण हैं। जैसी कथनी वैसी करनी के पर्याय हैं। महात्मा गांधी श्रद्धा हैं। वे अगाध स्नेह के पात्र हैं। वे भारतीय मूल्यों की मर्यादा हैं।

गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोगों को उन्होंने आजादी की लड़ाई में जोड़ा। वे सभी भारतीयों के मन में आज भी बसे हैं और सदैव बसे रहेंगे। उन्होंने पत्रिका निकाली तो उसका नाम हरिजन रखा। वे जहां भी जाते थे हरिजन परिवार में भोजन करते थे। उन्होंने न कभी गरम दल को लताड़ा, न नरम दल को दुत्कारा। समन्वय और सामंजस्य उनकी कार्य पद्धति के अभूतपूर्व अंग थे। वे नेहरू जी को भी संभालते थे और सरदार वल्लभभाई पटेल को भी।

नेताजी सुभाष चंद्र जब उनके पास आजाद हिंद फौज बनाने की अनुमति लेने आए तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। वे आज की तरह आंदोलन करवाते नहीं थे, करते थे। वे चरखा चलाते थे, चलवाते नहीं थे। उन्होंने दंड भी उठाया तो दांडी मार्च के लिए। भारतवासियों को नमक भी छुड़वाया तो देश के लिए। उनका अपना कुछ नहीं था। रक्त का एक-एक कतरा, शरीर की एक-एक हड्डी मां भारती की आजादी के लिए उन्होंने खपाई। गांधी जी पर लोगों का विश्वास था। उनकी वाणी में कर्म की प्रेरणा थी। वे सहज थे, सरल थे, सभी को सहयोग करते थे।

‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ यह कहने का अदम्य साहस उन्होंने किया। गांधी जी पर अनेकों शोध हुए, भारत सरकार को चाहिए कि जिन-जिन लोगों ने गांधी जी पर शोध किया है, उन शोध पत्रों का अध्ययन करवाकर गांधी जी के विचार की ओर भारत को ले जाए। गांधी जी का नाम जाति, धर्म और राष्ट्र-राज्यों की सीमाओं से परे है। वे राष्ट्रवादी भी थे और अंतर्राष्ट्रीयवादी भी। वे परंपरावादी  भी थे और सुधारवादी भी। राजनीतिक नेता भी थे और आध्यात्मिक गुरु भी। लेखक और विचारक के साथ-साथ सामाजिक सुधार और बदलाव के लिए बड़े कार्यकत्र्ता भी थे।

सत्य और अहिंसा के साथ-साथ, उन्होंने सामूहिक इच्छा, सांझा नियति, नैतिक उद्देश्य, जनांदोलन और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के जो मंत्र हमें दिए समकालीन समय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। निश्चय ही इस मार्ग पर चलकर हम समाज का, राष्ट्र का, विश्व का और मानवता का कल्याण ही करेंगे। भारत का कोई व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि गांधी जी मेरे हाथ में नहीं। 1 रुपए के नोट से लेकर 2000 के नोट पर भारत में छपने वाले सभी नोटों में गांधी जी मौजूद हैं। गांधी जी अद्वितीय थे।

विदेशों में भी उनकी प्रतिमा स्थापित की गई। भारत तो उनको मानता ही रहेगा, पर विदेशों में भी जब भारत की चर्चा होती है, महात्मा गांधी की चर्चा जरूर होती है। आने वाली पीढ़ी को जिस तरह गीता पढ़नी चाहिए उसी तरह महात्मा गांधी को पढ़ना चाहिए। वे प्रेरणा हैं, वे संवेदना हैं,  कर्मणा हैं, वे ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव और आचार्य देवो भव’ के प्रतीक हैं। गांधी जी की 153वीं जयंती पर उन्हें सादर नमन।-प्रभात झा/तरुण चुघ (भारतीय जनता पार्टी)


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