ममता के पास चुम्बकीय आकर्षण तो कांग्रेस के पास क्या

punjabkesari.in Tuesday, Jun 15, 2021 - 03:57 AM (IST)

पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री तथा पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रभारी रहे जितिन प्रसाद ने भाजपा का हाथ थाम लिया है मगर पार्टी बदलने के उनके रुख ने कांग्रेस में ज्यादा हलचल पैदा नहीं की। उन्होंने लगातार तीन चुनावों को खोया है। अंतिम चुनाव में उन्होंने अपनी जमानत तक जब्त करा ली। फिर भी पार्टी ने उन्हें महत्वपूर्ण जि मेदारियां सौंपीं। तमिलनाडु के एक कांग्रेसी सांसद ने कहा कि जितिन प्रसाद का पार्टी से जाना कोई बड़ी डील नहीं। 

मगर उन्होंने कहा कि पार्टी के पास बड़े मुद्दे हैं जिनके बारे में चिंता करना लाजिमी है। मुकुल रॉय भाजपा से फिर से अपनी मूल पार्टी तृणमूल कांग्रेस में लौट आए क्योंकि वहां एक चुम्बकीय आकर्षण है। यह चु बकीय आकर्षण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रूप में है। कांग्रेसी सांसद ने आगे कहा कि कांग्रेस में हमारा चुंबकीय आकर्षण कहां है? इस समय पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आयोजित करना था जिसके लिए वास्तविक डैडलाइन 30 जून थी। कोविड-19 संकट के मध्य में यह प्रक्रिया अनिश्चितकाल के लिए रद्द हो गई और कांग्रेस कार्य समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) ने इसे रद्द करने पर अपनी मोहर लगा दी। 

इस कारण 23 कांग्रेसी नेताओं के समूह की नेतृत्व को लेकर अदला-बदली की मांग ड्राफ्टिंग टेबल पर ही रह गई। कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री के अनुसार सबसे बड़ी जरूरत एक निर्वाचित सी.डब्ल्यू.सी. की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस के हारने का मु य कारण शीर्ष नेतृत्व की प्रचार में अनुपस्थिति थी। कोविड संकट के कारण राहुल गांधी ने 2 रैलियों के बाद पश्चिम बंगाल में जाना छोड़ दिया। 

इसी तरह एक वर्ष पूर्व राजस्थान के तत्कालीन उपमु यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह किया था और वह भाजपा की ओर जाने की राह पर थे। यह कदम गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिरा सकता था। उसके बाद उन्हें यकीन दिलाया गया कि उनके समर्थकों को मंत्रिपरिषद में समायोजित किया जाएगा। अब पायलट उसी वायदे को पूरा करवाने के लिए दिल्ली में बैठे हैं। गहलोत के पास 9 कैबिनेट पद खाली हैं और पायलट ने इन सबकी मांग की है। वहीं गहलोत ने पार्टी नेतृत्व से कहा कि वह निर्दलीय विधायकों तथा अन्य लोगों को नकार नहीं सकते जिन्होंने पायलट के विद्रोह के दौरान उनका साथ दिया था। दूसरे शब्दों में जुलाई 2020 की पुनरावृत्ति हो सकती है। गहलोत का मानना है कि पार्टी के बाहर रहने वाले पार्टी के भीतर रहने वाले लोगों से ज्यादा निष्ठावान हैं। 

वहीं पायलट व उनके समर्थक स्पष्ट कारणों के लिए इसे मानने के लिए असमर्थ हैं। पायलट एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं और पार्टी में कोई समस्या नहीं। राजस्थान के पार्टी प्रभारी अजय माकन ने कहा है कि राज्य में जल्द ही कैबिनेट में रद्दोबदल होगा। वहीं पायलट के अनुसार मुझे 10 माह समझने के लिए दे दिए गए थे मगर अभी तक कोई तीव्र कार्रवाई नहीं हुई। सरकार का आधा कार्यकाल खत्म हो चुका है और उन मुद्दों को अभी भी नहीं सुलझाया गया। दुर्भाग्यवश उन लोगों की बात नहीं सुनी जा रही जिनके बलबूते पर पार्टी को राजस्थान में बड़ा जनादेश मिला था। 

पंजाब की कहानी भी ऐसी है। अमृतसर में रात को पोस्टर दिखाई दिए जोकि मतभेद रखने वाले नेता नवजोत सिंह सिद्धू का निर्वाचन क्षेत्र है। वह भी राज्य में नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं। कुछ पोस्टरों में लिखा है कि ‘पंजाब दा इक ही कैप्टन’ वहीं कुछ में लिखा है कि ‘2022 के लिए कैप्टन’। ये पोस्टर मु यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरफ इशारा करते हैं। एक अन्य पोस्टर में लिखा है कि ‘कैप्टन इक ही हुंदा है’। 

इस दौरान पटियाला में सिद्धू के समर्थकों की शह पर पोस्टर लगाए गए जिनमें लिखा है कि ‘सारा पंजाब सिद्धू दे नाल’ तथा ‘किसानां दी आवाज मंगदा है  पंजाब,  गुरु  दी  बेअदबी दा हिसाब’। पंजाब में चुनाव अगले वर्ष फरवरी-मार्च में होने हैं। जी-23 एक नेता ने कहा है कि ऐसी स्थिति उन राज्यों में है जहां पर हम सत्ता में हैं या हमारी उपस्थिति है। यह विचारने वाली बात है कि हम किस ओर जा रहे हैं।-आदिति फडणीस


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