‘लव जेहाद’ का नारा राजनीतिक लाभ के लिए गढ़ा गया

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 04:53 AM (IST)

मुझे आशा नहीं थी कि एक ऊंचे पद पर बैठा ईसाई धर्म गुरु इस्लामोफोबिया से ग्रस्त होगा। केरल में पालाई के सीरियाई कैथोलिक बिशप मार जोसेफ कालारांगाट ने एक या दो महीने पहले एक अपेक्षाकृत चकित करने वाली टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कट्टरवादी ईसाई तथा गैर-मुसलमान (स्वाभाविक है कि वह हिंदुओं की बात कर रहे थे) मुसलमान लड़कियों का ड्रग्स का इस्तेमाल करके धर्म परिवर्तन करवाने में जुटे हैं। उन्होंने इसे ‘ड्रग जेहाद’ का नाम दिया। 

उनकी इस हास्यास्पद टिप्पणी के पीछे कारण, जिसने केरल में काफी हलचल पैदा कर दी, एक ईसाई लड़की सोनिया सेबैस्टियन का पलायन था जो संभवत: अपने प्रांत के पालाई से एक स्थानीय मुस्लिम लड़के के साथ भाग गई थी। जोड़ा संभवत: सीरिया में आई.एस.आई.एस. में शामिल हो गया था लेकिन इसकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई। दिलचस्प बात यह है कि आई.एस.आई.एस. द्वारा स्वघोषित ‘इस्लामिक खलीफा’ का एक-दो वर्ष पहले पतन हो गया था और अब वह अस्तित्व में नहीं है। इसका जीवन महज एक दशक का था। 

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बिशप की टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आंकड़े बिशप की टिप्पणी की पुष्टि नहीं करते कि मुस्लिम अतिवादी दूसरे धर्म की लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुसलमान राज्य की जनसंख्या का 26 प्रतिशत बनाते हैं लेकिन नारकोटिक्स कानून के तहत गिरफ्तार होने वालों में उनका प्रतिशत 34.47 है। कुल जनसंख्या में ईसाई लगभग 18 प्रतिशत हैं जबकि ऐसी गिरफ्तारियों में उनका प्रतिशत 15.73 है।

हिंदू राज्य की जनसंख्या के आधे हैं तथा ड्रग्स अपराधों में उनकी शमूलियत 49.8 प्रतिशत है। आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि आई.एस.आई.एस. में शामिल होने वाले 100 मलयालियों में से केवल 6 गैर-मुसलमान थे और 6 में से एक सीधा खाड़ी देश से शामिल हुआ था जब वह वहां नौकरी कर रहा था। बिशप के डर के पीछे कोई वास्तविक कारण नहीं है। संभवत: लड़की सोनिया सेबैस्टियन उनके प्रांत के एक  प्रभावशाली परिवार से थी। इसी कारण वह उखड़ गए। मगर निश्चित तौर पर एकमात्र कारण से चेतावनी की घंटी नहीं बजनी चाहिए। 

केरल में संस्कृति अधिक रूढि़वादी है। मैं अपनी पत्नी तथा दो बेटियों (उन दिनों वे स्कूल में थीं) को 1975 में केरल ले गया था। यदि मैं गलत नहीं तो पालाई प्रांत में इडुकी शामिल है जहां यदि विश्व का नहीं तो एशिया का सबसे बड़ा गोलाकार बांध है। हम रात में इडुकी में रुके। वह शनिवार था। मैंने सी.आर.पी.एफ. कम्पनी कमांडर से पता किया कि क्या वहां नजदीक में कोई कैथोलिक गिरजाघर है? एक जवान हमारे धर्म का ही था। वह हमें गिरजाघर तक ले गया लेकिन वहां रुका नहीं। 

उसी शाम वह आधिकारिक तौर पर (जिसका मुझे पता नहीं था) वहां गया और पादरी से मुलाकात करके उन्हें सूचित किया कि उनके डी.आई.जी.पी. सॢवस के लिए अगली सुबह उपस्थित होंगे। मेरी पत्नी तथा बेटियां बैंचों की कतार में मुझसे आगे बैठीं जैसा कि वे मुम्बई तथा हैदराबाद में करती थीं जहां तब मैं तैनात था। सर्विस शुरू होने से पहले पादरी गलियारे से मेरी तरफ आया और मैंने वहां एकत्र लोगों का ध्यान मेरी तथा मेरे परिवार की ओर आकॢषत करवाने के लिए जवान को चुपचाप कोसा। मगर पादरी को मेरे रैंक अथवा मेरा स्वागत करने में कोई रुचि नहीं थी। वह उस बात पर अडिग था कि परमात्मा ने सबको एक जैसा बनाया है। उन्होंने मुझे गलियारे की दूसरी तरफ बैंच पर पुरुषों के साथ बैठने का आदेश दिया। तब मैंने ध्यान दिया कि पुरुष बाईं ओर एक पंक्ति में बैठे थे तथा महिलाएं दूसरी ओर। 

इसने मुझे मुम्बई में मुस्लिम शादियों की याद दिला दी जहां पुरुषों तथा महिलाओं को कड़ाई से अलग रखा जाता था। एक सुधार-मेरे मित्र गुलाम वाहनवटी की बेटी का विवाह एक सिख लड़के से हुआ। रिसैप्शन में ङ्क्षहदू, मुसलमान, सिख तथा ईसाई एक-दूसरे के साथ अभिवादन का आदान-प्रदान कर रहे थे तथा उनमें आयु तथा लिंग तथा निश्चित तौर पर किसी धर्म अथवा जाति के साथ संबद्धता का कोई भाव नहीं था। और इसके बारे में सोचते हुए मेरे धर्म के मित्रों फारुख तथा इकबाल ने भी अपने बच्चों की शादी की रिसैप्शन में पूरी तरह से कोई अलगाव नहीं रखा। यदि वे ऐसा करते तो मुझे हैरानी होती। 

‘लव जेहाद’ एक ऐसा नारा है जिसे राजनीतिक लाभ के लिए गढ़ा गया है। चूंकि बिशप एक राजनीतिज्ञ नहीं हैं उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। ङ्क्षहदू अथवा ईसाई लड़कियों के साथ विवाह करने वाले मुसलमान लड़के धर्म परिवर्तन की भावना से प्रेरित नहीं होते। ‘प्रेम’ में पडऩे के बाद ही उन्हें एहसास होता है कि ‘निकाह’ की रस्म सम्पन्न करने के लिए पत्नी का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए वे अपनी इस्लामिक प्रथाओं के कारण बाध्य होते। ऐसी ही स्थिति कैथोलिक चर्च की भी है। भाग्य तथा समझदारी से गिरजाघर ने उस जरूरत को खत्म कर दिया है। मेरे अपने परिवार में, विशेष विवाह कानून के अंतर्गत रजिस्ट्रार ऑफ मैरिजिस द्वारा दोनों धर्मों के रस्मों-रिवाजों के अंतर्गत अंतर धार्मिक विवाह हुए हैं।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 


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