जीवन पर भारी पड़ती बेरोजगारी

punjabkesari.in Thursday, Feb 17, 2022 - 07:32 AM (IST)

बढ़ती बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसके दुष्परिणाम अवसाद, आत्महत्या जैसे भयावह रूपों में सामने आ रहे हैं। हालिया संसद सत्र में प्रश्नकाल के दौरान, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने वर्ष 2020 में बेरोजगारों द्वारा की गई आत्महत्याओं का आंकड़ा पहली बार 3,000 की संख्या पार कर जाने संबंधी जानकारी दी। 

इसी वर्ष 5,213 लोगों ने कर्जदार होने अथवा दिवालियापन के चलते आत्महत्या जैसा हृदयविदारक कदम उठाया। सरकार द्वारा प्रदत्त आंकड़े एन.सी.आर.बी. (नैशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो) पर आधारित हैं, जिनके अनुसार देश में आत्महत्या के आंकड़े 2019 के 1.39 लाख से बढ़ कर 1.53 लाख हो गए। 2018 से 2020 के मध्य बेरोजगारी, कर्जदारी तथा दिवालियापन के कारण 25 हजार से अधिक लोगों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। 2020 में 1.2 प्रतिशत आत्महत्याओं के पीछे निर्धनता प्रमुख कारण रही। 

आश्चर्य का विषय है कि आत्महत्या के अधिकतर मामले महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्यों से संबद्घ रहे, जिन्हें अपेक्षाकृत समृद्घ प्रांत माना जाता है। 2020 के आत्महत्या के मामलों में किसानों की बजाय कारोबारियों की सं या अधिक रही। हालांकि इसके पीछे मु य कारण महामारी से उपजी आर्थिक मंदी व देशव्यापी लॉकडाऊन रहे, किंतु यह बात भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती कि नोटबंदी एवं जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) से उपजी विसंगतियां भी इनमें काफी हद तक जिम्मेदार रहीं, जिनके आघात से मध्यम व्यवसायी चाह कर भी नहीं उबर पाए। 

उच्च शिक्षा प्राप्त होने पर भी देश में स्तरीय रोजगार न मिल पाना सबसे बड़ी चुनौती है। प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि विगत वर्षों के दौरान डिग्रीधारक युवाओं की आवश्यकता के अनुरूप राष्ट्र रोजगार सृजन क्षमता कहीं कम रही। विशेषत: सरकारी नौकरियों के हालात तो आटे में नमक समान हैं। गत 30 वर्षों में पब्लिक सैक्टर में अपेक्षित रोजगार अवसरों में 10 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। केंद्र सरकार द्वारा 40 लाख स्वीकृत पदों में लगभग 8.72 लाख पद रिक्त  हैं, जिसकी पूर्ति अस्थायी भर्ती के माध्यम से की जाती है। 

इस संदर्भ में विधानसभा चुनाव 2022 की बात करें तो घोषणापत्रों में बेरोजगारी का मुद्दा विशेष रूप से छाया रहा। चुनावी प्रचार के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके पंजाब में यह लगभग शीर्षस्थ स्थान पर ही रहा। स्वयं को ईमानदार, जनहितैषी, कर्मठ व निष्कलंक सिद्ध करने की कोशिश के बीच सभी दलों द्वारा जीतते ही समस्या के पूर्ण समाधान का आश्वासन दिया गया। 

कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 5 वर्षीय कार्यकाल के दौरान प्रतिवर्ष 1 लाख नौकरियां देने की घोषणा की गई। ‘आप’ संयोजक केजरीवाल ने प्रवासी युवाओं को 5 वर्षों के दौरान प्रांत में ही समुचित अवसर देने का वायदा किया है। शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने 5 वर्ष में 1 लाख सरकारी नौकरियां देने का आश्वासन दिया है, इनमें 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए सुरक्षित रहेंगे। राजग ने संकल्प-सक्षम युवा योजना में प्रतिमाह 150 घंटे कार्य करने एवं एक वर्ष के भीतर रिक्त पद भरने का वायदा किया है। हालांकि मौजूदा आंकड़े पंजाब में बेरोजगारी की जो तस्वीर दर्शा रहे हैं, उसे देखकर राजनीतिज्ञों की कथनी व करनी पर संदेह होना स्वाभाविक है। 

सर्वविदित है, पांच वर्ष पूर्व भी घर-घर रोजगार पहुंचाने की बात हुई थी, किंतु सी.एम.आई.ई. की सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि मार्च, 2016 को पंजाब में बेरोजगारी दर 2.6 प्रतिशत थी, जो अप्रैल में 1.8 प्रतिशत पर पहुंच, 5 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर रही। जनवरी, 2022 को बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत पर पहुंच गई। केंद्रीय सर्वेक्षणानुसार राज्य में बेरोजगारी दर 7.4 प्रतिशत है। पंजाब में हायर सैकेंडरी उत्तीर्ण बेरोजगारी दर 15.8 प्रतिशत, डिप्लोमा सर्टीफिकेट प्राप्त की 16.4 प्रतिशत तथा परास्नातक की दर 14.1 प्रतिशत है। 

‘सैंटर फॉर रिसर्च इन रूरल इंडस्ट्रियल डिवैल्पमैंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 22 लाख युवा बेरोजगार हैं। पंजाब घर-घर रोजगार पोर्टल पर सरकार अधिकृत रोजगार की निर्धारित सं या 19,464 बताई गई है, जिनमें 10,552 सरकारी व 8912 प्राइवेट सैक्टर के अंतर्गत आते हैं। 13,38,603 युवा रोजगार हेतु पंजीकृत हैं। नौकरी प्राप्त करने वालों का वेतन मात्र 8-10 हजार है, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता से कहीं कम है। पंजाब के अधिकतर लोग विदेश-प्रस्थान को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि उनकी कार्यक्षमता को यथेष्ठ अवसर व उचित पारिश्रमिक मिल सके। अब तक लगभग 15 लाख लोग विदेश पलायन कर चुके हैं। 

हालांकि बजट 2022-23 में एनिमेशन, विजुअल इफैक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (ए.वी.जी.सी.) सैक्टर के माध्यम से युवाओं को अपार रोजगार प्रदान करने की संभावनाएं व्यक्त की गई हैं, किंतु मूल्यांकन के आधार पर इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। बजट चर्चा 2022-23 के दौरान विपक्ष द्वारा बेरोजगारी को केन्द्रीय विषय के रूप में उठाया गया। बेरोजगारी न केवल स्वंय में एक बड़ी समस्या है, अपितु अन्य समस्याओं की जननी भी है। उपयुक्त रोजगार न मिल पाने की हताशा व क्षोभ युवाओं में मनोविकार बन कर उभर रहे हैं, जो दिमागी असंतुलन व आत्महत्या के आंकड़ों में अनवरत वृद्धि का एक बड़ा कारण है। नशे की लत, चोरी, छीना-झपटी आदि अपराधों के पीछे बेरोजगारी मुख्य कारण है। 

हमारे युवा प्रतिभास पन्न, सृजनशील व सक्षम हैं, अभाव है तो केवल अवसरों का, जिनसे उनकी कार्यक्षमता का उचित मूल्यांकन हो पाए। प्रतिभाओं का क्षरण, पलायन अथवा अपराध संलिप्तिकरण राष्ट्रीय विकास में बाधक है तथा प्रत्येक स्थिति में एक अपूर्णनीय क्षति है। आवश्यक है कि घोषणापत्र जारी करने वाले दल, तन्मयतापूर्वक समस्याओं पर मनन करें एवं प्रचार को अधिमान देने की बजाय मुद्दों के समुचित कार्यान्वयन हेतु प्रतिबद्धता दर्शाएं।-दीपिका अरोड़ा
 


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