हिमाचल के पर्यटन के लिए अवरोध हैं भूस्खलन

punjabkesari.in Saturday, Aug 14, 2021 - 06:23 AM (IST)

कई वर्षों बाद मैं मानसून के मौसम के दौरान शिमला की पहाडिय़ों की ओर यात्रा कर रही थी। मैं जानती हूं कि मैदानी इलाकों से पहाड़ों की ओर यात्रा करने का यह बेहतरीन समय नहीं है। मैं एक पहाड़ी लड़की हूं। मैं वहां सारा जीवन रही हूं और हर मौसम में कालका-शिमला उच्च मार्ग पर यात्रा करती रही हूं। सभी ओर पहाड़ों में भूस्खलन की सनसनीखेज खबरों के बावजूद यह एक ऐसा दौरा था जिसे मैं किसी अन्य समय के लिए नहीं टाल सकती थी इसलिए मैंने शिमला की यात्रा करने का जोखिम उठाया। 

दरअसल हिमाचल प्रदेश की इस खूबसूरत राजधानी तक पहुंचने के लिए कोई अन्य रास्ता नहीं है। दुर्भाग्य से इसके लिए कोई हवाई सेवा नहीं है। ट्रेन सेवा कालका से शिमला तक ट्वॉय ट्रेन की है जिसमें पहुंचने के लिए कई घंटे लगते हैं। मैं हिमाचल के एक छोटे से स्थान से हूं जिसे च बा कहा जाता है। दिल्ली से शिमला ड्राइव करके जाने के लिए हमें दिल्ली बार्डर पर किसानों के आंदोलन को पार करना पड़ता है जिससे एक घंटे की देरी हो जाती है या फिर आपको इस मानसून के मौसम के दौरान गांवों के बीच कई छोटे टूटे रास्तों तथा सड़कों से होकर जाना पड़ता है। 

फिर जब आप उच्च मार्ग पर पहुंचते हैं तो दुर्भाग्य से फिर देरी हो जाती है क्योंकि वहां धीरे-धीरे काम चल रहा होता है मगर आशा करती हूं कि निरंतर चलता है। इसलिए एक बार फिर वहां एक ही लेन कार्य कर रही होती है और ऐसा गत कई वर्षों से चल रहा है। यात्रियों के लिए यह काफी परेशानीपूर्ण होता है लेकिन क्या आप अपनी कार की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जो अत्यधिक गहरे खड्डों में से होकर गुजरती है। परमात्मा हमारी पीठ और रीढ़ को बचाएं। अधिकांश उत्तर भारतीय इस उच्च मार्ग से नियमित तौर पर गुजरते हैं तथा रास्ते में पडऩे वाले खानपान के स्थानों पर रुक कर ताजा होते हैं। ऐसी जगहों पर रुक कर यात्री अपनी टांगें फैला कर आराम कर सकते हैं और जैसे ही शिमला के लिए आप बाईपास पकड़ते हैं तो कालका तथा परवाणु के ट्रैफिक से पीछा छुड़ाकर आराम से हिमाचल की सीमा पर पहुंच जाते हैं। 

मगर एक बार फिर उच्च मार्ग शुरू होते ही फोर लेन पर निर्माण कार्य चल रहा होता है जो परेशान करता है। यह देख कर आंखें खुल जाती हैं कि कार्य कितना गंदा है। दोनों तरफ मुश्किल से 2 या 3 मजदूर होंगे तथा पहाडिय़ों पर घर बने हैं और उनसे नीचे आते पत्थरों के कारण हमें कई स्थानों पर रुकना पड़ा ताकि इन छोटे भूस्खलनों से बचे रहें। यह राज्य के पर्यटन के लिए एक अवरोध है तथा सेब तथा आलुओं के मौसम में यह हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर चोट है। सबसे बड़ी खामी यह है कि हमारे पास पहाड़ों की इस खूबसूरत मल्लिका तक पहुंचने के लिए कोई अन्य मार्ग नहीं। 

उड़ानें सारा दिन दिल्ली से शिमला तथा शिमला से मनाली आती थीं। उस समय उनका किराया बहुत कम था। वे पर्यटन तथा स्थानीय लोगों के लिए एक प्रोत्साहन था। साथ ही चिकित्सा आपातकाल सेवाओं तथा राजनीतिज्ञों के लिए भी जो काम के लिए राजधानी पहुंचते थे। यह उच्च मार्ग पर लगने वाले उनके कई घंटों को बचाता था। मैं यह देख कर बहुत परेशान हुई कि देश के सर्वाधिक खूबसूरत हिल स्टेशन की सड़कें इतनी बुरी तरह से टूटी हुई थीं। पहाडिय़ां काटने के कारण अब भूस्खलन हो रहे थे। मुझे विदेशों की तरह यहां पर धातु के तार तथा मजबूत कार्य नहीं दिखाई दिया जिस कारण अब हम मानसून के मौसम में मानवीय कारणों से ही भूस्खलन देखते हैं।

शिमला में हर कोई कहता है कि हमारे पास पवन हंस है लेकिन कौन-सा स्थानीय व्यक्ति इसमें यात्रा करेगा? यह राजनीतिज्ञों के ऊपर तथा नीचे आने-जाने के लिए ठीक है क्योंकि उनके पास सुविधाएं होती हैं। कोई भी पवन हंस में आधे रास्ते तक आने का जोखिम नहीं उठाएगा क्योंकि आप टिकट खरीदते हैं और फिर वापस दिल्ली पहुंचा दिए जाते हैं क्योंकि यह बादलों से ऊपर नहीं उड़ सकता इसलिए यदि आप दिल्ली से शिमला के लिए सड़क मार्ग से चलते हैं तो आपको 3-4 घंटे किसानों के आंदोलन, टूटे-फूटे उच्च मार्गों जिनमें खड्डे पड़े होते हैं, के कारण 3-4 घंटे बर्बाद करने पड़ते हैं। इसका कारण एन.एच.ए.आई. के लंबित कार्य हैं। 

आखिर में इसका खमियाजा एक आम आदमी तथा सामान्य हिमाचली को भुगतना पड़ता है। ठीक तरह से देखभाल न करने के कारण उच्च मार्गों की हालत खस्ता है। कोरोना की रिपोर्टें तथा चिकित्सा सेवाओं की अच्छी उपलब्धता न होने का डर यहां आना और भी खौफनाक बना देता है। यदि आप बीमार पड़ जाएं तो आप सरकारी अस्पतालों की दया पर निर्भर हो जाते हैं जहां डाक्टर तो टॉप क्लास के हैं मगर सुविधाएं नहीं हैं और सरकारी अस्पताल उन लोगों के लिए हैं जिनके पास ताकत या सत्ता है या फिर आपको कोरोना के इस काल में घंटों अथवा दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा या फिर इलाज के लिए चंडीगढ़ जाने हेतु टेढ़े-मेढ़े उच्च मार्ग से जाना पड़ेगा।

टेबल टॉप एयरपोर्ट के कारण एयर ए बुलैंस शिमला में लैंड नहीं कर सकते। यही समय है हिमाचल सरकार राज्य के कल्याण पर ध्यान दे जहां पर्यटन स्थानीय लोगों की आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं। उच्च मार्गों की समस्या के कारण सेब भी सड़ रहे हैं। हालांकि काफी मुआवजा मिल जाता है मगर वह नाममात्र होता है। सबसे प्रभावित सामान्य स्थानीय लोग होते हैं। 

मैं पहाड़ों की सर्वाधिक खूबसूरत ग्रीष्मकालीन राजधानी के साथ हमारे लिए अधिक संपर्क की प्रार्थना करती हूं। विभिन्न राजनीतिक दलों की कई सरकारें आईं तथा गईं। लेकिन दुख की बात है कि वे कनैक्टिविटी उपलब्ध नहीं करवा पाईं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वहां की पुलिस  ने शानदार भूमिका निभाई है और लोकसेवाओं के कार्यों में अपना भरपूर योगदान दिया है।-देवी एम. चेरियन
 


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