भारत-पाक के मध्य ‘भरोसे का सेतु’ बनेगा करतारपुर कॉरिडोर

punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2019 - 02:11 AM (IST)

करतारपुर साहिब से मेरा संबंध बचपन से ही है। मुझे अब भी याद है कि गुरुद्वारा कैसा था। यह मेरे गृह नगर पटियाला से 235 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हमारे परिवार में बड़े आदर-सत्कार के साथ इसका नाम लिया जाता है क्योंकि इस स्थल की ऐतिहासिक महत्ता है जहां पर श्री गुरु नानक देव जी 22 सितम्बर 1539 को ज्योति जोत समाए।

मेरे परिवार का इस गुरुद्वारे संग निजी संबंध रहा है। पूर्व में बाढ़ द्वारा क्षतिग्रस्त होने के बाद वर्तमान इमारत जोकि 1925 में 1,35,600 रुपए की लागत से निर्मित हुई थी, की जमीन पटियाला के उस वक्त के शासक तथा मेरे दादा महाराजा भूपेन्द्र सिंह द्वारा दान की गई थी। इस गुरुद्वारे की यात्रा करने की इच्छा काफी समय से थी। गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को मनाने के दौरान मैं उनको नमन करता हूं जिन्होंने मुझे यह दात बख्शी। 

डा. मनमोहन सिंह ने भी किया था समर्थन
मुझे अपने पहले कार्यकाल की बात याद है जब मैंने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ बैठक की थी जिस दौरान मैंने उनसे प्रत्येक सिख की ऐतिहासिक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की यात्रा करने में अथाह श्रद्धा होने की बात कही थी। हालांकि उन्होंने मेरे आग्रह पर अपना सकारात्मक रवैया दर्शाया था, जिसका हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भी समर्थन किया था। वक्त के चलते ये चीजें नवम्बर 2018 तक आगे नहीं बढ़ पाईं। 

भारत सरकार ने पंजाब सरकार के सहयोग से करतारपुर साहिब कॉरीडोर जोकि डेरा बाबा नानक, जिला गुरदासपुर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा (पाकिस्तान के साथ) पर बनना था, के लिए अपने उद्देश्य का संदेश पाकिस्तान सरकार तक पहुंचा दिया। यह हम सबके लिए एक नया यादगारी पल होगा और हम बिना समय गंवाए करतारपुर कॉरीडोर के स्थल हेतु सभी प्रक्रियाएं निभाना चाहते थे। इसके लिए अपेक्षित भूमि का इंतजाम करने के लिए दो माह से भी कम समय लगा। कॉरीडोर पर कार्य (4190 किलोमीटर) की शुरूआत 13 दिसम्बर 2018 को हुई। यात्री टर्मिनल बिल्डिंग, इंटेग्रेटिड चैक पोस्ट (आई.सी.पी.) का निर्माण भी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लैंड पोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया द्वारा दी गई 50 एकड़ की जमीन पर हुआ, जिसका परिचालन यात्रियों के लिए गलियारा खोलने से पूर्व हो जाएगा। 

मैं इस कार्य हेतु केन्द्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा हूं। मैं यह कहने में भी खुशी महसूस करता हूं कि वाहेगुरु की कृपा से प्रधानमंत्री इस कॉरीडोर का विधिवत 9 नवम्बर को उद्घाटन करेंगे तथा करतारपुर साहिब के पहले जत्थे का स्वागत करेंगे। मेरे लिए यह सम्मान की बात है कि मैं इस जत्थे का हिस्सा हूं, जो मुझे खुशी और अपार संतुष्टि की अनुभूति करवाएगा। इस कार्य की महत्ता इसलिए भी बढ़ गई है कि भारत-पाक दोनों ने सभी बातों को छोड़ डैडलाइन तक यह चुनौतीपूर्ण कार्य सम्पूर्ण करवाया। भविष्य में दोनों देशों के लोग इसके प्रति आशावादी रहेंगे। भारत-पाक संबंधों में करतारपुर कॉरीडोर का निर्माण एक मील का पत्थर साबित होगा और यह एक नई दिशा और शांति का संदेश लेकर आएगा। 

पंजाब में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने भारत-पाक सरहद तक फैले डेरा बाबा नानक-अमृतसर-तरनतारन-गोइंदवाल साहिब-कपूरथला-सुल्तानपुर लोधी राष्ट्रीय राजमार्ग का नाम श्री गुरु नानक देव जी मार्ग रखा है और इस बात ने भारत और पाक के मध्य भरोसे का सेतु कायम किया है। मगर लम्बे और कठिन मार्ग पर इस माह कॉरीडोर का खुलना तो मात्र एक छोटा-सा कदम है, जिसे दोनों देश सुगम बना सकते हैं। दोनों देशों को इसके प्रति सकारात्मक रवैया रखना होगा। जब तक पाकिस्तानी सेना का सीमा पार आतंक को समर्थन खत्म नहीं होता, जब तक सीमा पार से हमारे जवानों की शहादत बंद नहीं होती, जब तक डर और संदेह के बादल छंट नहीं जाते तब तक दोनों देशों के बीच पनपने वाला तनाव कम नहीं हो सकता। 

हालांकि जब तक प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी के वैश्विक भाईचारा तथा प्रेम का संदेश कायम है तब तक मेरा मानना है कि कॉरीडोर दोनों देशों के बीच सौहार्द का वातावरण तैयार करेगा क्योंकि दोनों देशों के लोगों का बहुत कुछ सांझा है। यह मेरा सपना भी है कि भारत तथा पाक गहराई तक अपने रिश्तों को कायम रखें। 4.5 किलोमीटर वाले करतारपुर कॉरीडोर से परे मेरे जीवनकाल में पूर्व की सभी बातों को दफन कर दिया जाए और नए रास्तों की तलाश की जाए। भरोसे की इमारत का एक छोटा-सा रास्ता यह भी है कि करतारपुर साहिब की यात्रा हेतु यात्रियों पर लगाए जाने वाले 20 डालर का शुल्क इस्लामाबाद हटा ले। इस तरह का कदम यह दर्शाएगा कि पाकिस्तान भारतीय लोगों की भावनाओं का बेहद सम्मान करता है तथा दोनों देशों के बीच लोगों के रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है। 

संदेहों तथा ईष्र्या को दफन कर दिया जाए
मेरा मानना है कि कॉरीडोर सात दशकों में दोनों देशों के बीच बढ़ी दूरियों तथा आपसी मतभेदों को कम करेगा। वाहेगुरु करे, यह कॉरीडोर भविष्य में एक मिसाल के तौर पर जाना जाए। संदेहों तथा ईष्र्या को दफन कर दिया जाए। शांति के इस गलियारे में आतंक और हिंसा का कोई स्थान नहीं। मुझे यकीन है कि इस्लामाबाद इस पर अपना रुख और भी नरम करेगा। समय की जरूरत है कि अब रिश्तों को काटने वाली कुल्हाड़ी को जमीन में दफन कर दिया जाए और भारत से ज्यादा यह पाकिस्तान की जिम्मेदारी है। अगले कदम की ओर बढऩे के लिए इमरान खान सरकार की अब बारी है।-कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री पंजाब


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