घाटी में जेहादियों का सख्ती से सफाया हो

punjabkesari.in Saturday, Jun 04, 2022 - 04:25 AM (IST)

तरक्की और विकास के आधिकारिक गांवों के बीच कश्मीर आज हिंसा के मामलों में बढ़ौतरी देख रहा है। यह मामले विशेष तौर पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के हैं। इस वर्ष जनवरी से लेकर घाटी में अनेकों ही लक्षित हत्याएं हुई हैं जिनमें पुलिस अधिकारी, हिंदू टीचर, सरपंच तथा अन्य लोग शामिल हैं। 

31 मई को एक 36 वर्षीय हिंदू स्कूल टीचर की उस समय आतंकवादियों ने हत्या कर डाली जब वह जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में अपने स्कूल में प्रवेश कर रही थी।  रजनी बाला की हत्या घाटी में आतंकियों द्वारा की जाने वाली लक्षित हत्याओं का हिस्सा है। इन हत्याओं में एक कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी, एक टी.वी. आर्टिस्ट, एक हिंदू बैंक अधिकारी तथा एक वाइन शॉप का कर्मी भी शामिल है। यह तो स्पष्ट है कि कश्मीरी ङ्क्षहदू समुदाय घाटी में नवीनतम आतंकी हमलों का मुख्य टार्गेट है। 

जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने इन हत्याओं की आलोचना की है मगर केवल आलोचना ही आतंक की इस समस्या का समाधान नहीं है। समय की जरूरत खुफिया तंत्र का सक्रिय होना है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस तथा सेना के बीच आपसी मेल-जोल होना बेहद लाजिमी है। यह स्पष्ट है कि केंद्रीय तथा राज्य खुफिया तंत्र अपने प्रमुख मंतव्य में असफल हो चुका है। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को खुफिया एजैंसियों तथा प्रशासन की नाकामी के लिए उचित जवाब देना होगा। या तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा या नई दिल्ली में बैठे शीर्ष लोगों को सिन्हा को हटाना होगा। मगर कौन फिक्र करता है? 

श्रीनगर में पिछले कई वर्षों से दिल्ली प्रशासन की विफलता कई मौकों पर देखी गई है। जगमोहन की गवर्नरशिप के दौरान लोगों में कुछ उम्मीद की किरण जागी थी मगर उनके जम्मू-कश्मीर से बाहर होने के बाद सब कुछ वैसे का वैसा रह गया। यदि पीछे की ओर देखें तो पिछले कई वर्षों से घाटी को सर्व-इस्लामवाद के छत्र के नीचे लाने की कोशिश जारी है। हमें जेहादियों को उनके रास्ते पर चलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। हमें उनके साथ बेरहमी के साथ निपटना चाहिए। 

इस संदर्भ में हमें आतंक पर अमरीकी विशेषज्ञों की चेतावनी को दर-किनार नहीं करना चाहिए। युसूफ बोडैनस्की ने भारत को चेतावनी दी थी कि किसी कारणवश भारत कश्मीर को छोडऩे का निर्णय करता है तो घाटी को इस्लामवादियों द्वारा हथिया लिया जाएगा। कश्मीर को धार्मिक पुनरुत्थानवादी इस्लामिक ब्लाक के हब में परिवर्तन करने के लिए जेहादियों की विशेष रुचि है। 

युसूफ बोडैनस्की का यह विचार भी है कि कश्मीरी लोग आजादी का कभी भी आनंद नहीं ले सकते क्योंकि उन्हें हमेशा ही रूढि़वादियों और कट्टरपंथियों के आदेश को मानना पड़ेगा। बोडैनस्की का यह भी मानना है कि कश्मीर को खो देना भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर विपरीत नतीजे पैदा हो जाएंगे। आमतौर पर यह कहा जाता है कि घाटी के लोग अलग-थलग पड़ गए हैं। मगर कैसे? यह बात कोई नहीं जानता। यह भी पूछा जा सकता है कि कश्मीर के लोग आखिर किससे अलग-थलग और कैसे हुए हैं। यदि ऐसा कुछ हुआ तो उनके अलग-थलग होने का कारण खुद को भड़काना रहा होगा। 

अनेकों कश्मीरी नेता घाटी की समस्याओं के लिए नई दिल्ली के तंत्र को जिम्मेदार ठहराते हैं। कुछ हद तक वे ठीक भी होंगे मगर कश्मीरियों का अलग-थलग होना दिल्ली के तंत्र के कारण नहीं है बल्कि केंद्र की व्यक्तियों, मुद्दों तथा विषयों के लिए गलत नीतियों तथा गलत दृष्टिकोण होना है। कुछ राजनीतिक पंडित तथा इतिहासकारों ने आमतौर पर यह माना है कि जम्मू-कश्मीर की अनदेखी हुई है। यह तो एक मनगढ़ंत बात है जिसको उन लोगों ने गढ़ा है जिन्हें घाटी में भारत की उपस्थिति स्वीकार्य नहीं है। 

घाटी में जो लोग आतंक के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें यह जानना होगा कि कश्मीर में इस्लामवाद की प्रक्रिया को कैसे विराम देना है। वे आमतौर पर सोचते हैं कि घाटी में शत-प्रतिशत मुस्लिम समाज बनाया जा सकता है।  हालांकि यह धारणा बिल्कुल गलत है। हम कश्मीर के इस्लामीकरण की अनुमति नहीं दे सकते। सभी उपायों की सराहना होनी चाहिए। घाटी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का कोई भी शॉर्टकट नहीं है। आतंकियों की गोलियों की गडग़ड़ाहट पर विराम लगाने के लिए शांति प्रक्रिया चलनी चाहिए। इस मंतव्य के लिए यह जरूरी है कि घाटी में आतंक की रीढ़ की हड्डी को तोड़ा जाए। लोगों के मनों में से बंदूक का खतरा हमेशा के लिए निकाल दिया जाए। 

एक धुंधली-सी कार्रवाई हमें ऐसी नीतियों से दूर नहीं ले जा सकती। इसलिए यह बेहद लाजिमी है कि आतंकियों की गोलियों के खिलाफ एक कठोर नीति अपनाई जाए ताकि लोगों को सुरक्षित और बेहतर भविष्य के लिए यकीन दिलाया जा सके। मुझे आशा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी घाटी में एक प्रभावी भूमिका निभाएंगे। पाकिस्तान प्रायोजित आतंक को घाटी में से निकालने के लिए मोदी को कश्मीर में सख्ती से जेहादियों को बाहर निकालना होगा और अपना कश्मीरी कार्ड खेलना होगा।-हरि जयसिंह
    


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